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उपभोक्ता फोरम: तीन वर्षों में महज 109 मामले

जिले के उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत व्यापारी के खिलाफ शिकायत करने के लिए उपभोक्ता फोरम बनाया गया है। लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता और जानकारी का अभाव होने के कारण पिछले 03...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुंगेरTue, 14 Jan 2020 12:42 AM
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जिले के उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत व्यापारी के खिलाफ शिकायत करने के लिए उपभोक्ता फोरम बनाया गया है। लेकिन उपभोक्ताओं में जागरूकता और जानकारी का अभाव होने के कारण पिछले 03 वर्षों में 109 लोगों ने ही उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं।

जबकि उपभोक्ता फोरम के द्वारा पिछले 03 वर्षों में 192 मामलों का डिस्पोजल किया गया है। इतना ही नहीं उपभोक्ता फोरम में अध्यक्ष (न्यायाधीश) के अलावा कोई पदस्थापित नहीं हैं। कलेक्ट्रेट कार्यालय के दो कर्मियों को कई वर्षों से उपभोक्ता फोरम में प्रतिनियुक्त किया है। इनके भरोसे ही जिले का उपभोक्ता फोरम चल रहा है। नवंबर 2019 से दो सदस्य का पद रिक्त रहने के कारण न्यायिक कार्य पूरी तरह से बंद है। इसी कारण उपभोक्ता फोरम में 81 मामले अभी भी लंबित हैं।

कितने मामले हुए दर्ज और कितने का हुआ डिस्पोजल : 2017 में 33, 2018 में 42 और 2019 में 34 लोगों ने उपभोक्ता फोरम में मामले दर्ज कराएं थे। 31 दिसंबर 2016 तक उपभोक्ता फोरम में 163 मामले लंबित थे। इसी कारण 2017 में 24, 2018 में 101 और 2019 में 67 मामले का डिस्पोजल किया गया।

कितने पद हैं स्वीकृत : अध्यक्ष (सेवानिवृत्त न्यायाधीश) का एक, महिला सदस्य, पुरुष सदस्य, निजी सहायक, पेशकार, आशुलिपि , प्रधान सहायक का एक-एक पद, लिपिक का दो, कार्यालय परिचारी का तीन और रात्रिप्रहरी का एक पद स्वीकृत है।लेकिन वर्तमान में एक अध्यक्ष के अलावा कोई पद पर नहीं है। डीएम के निर्देश पर कलेक्ट्रेट कार्यालय से एक उच्च वर्गीय लिपिक और एक कार्यालय परिचारी को उपभोक्ता फोरम में प्रतिनियुक्त किया गया है।

केस स्टडी : जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र के मिर्जाचक निवासी मो. निजामुद्दीन ने बजाज एलियांज लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में 15 फरवरी 2018 को परिवाद लाया था। फोरम ने त्रुटिपूर्ण सेवा एवं लापरवाही के कारण बजाज एलियांज को परिवादी को परिपक्वता राशि 1.50 लाख रुपये पर 06 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही विपक्षी को मानसिक क्षति के रूप में 10 हजार एवं विधिक खर्च के रूप में 05 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

किसे कहते हैं उपभोक्ता शिकायत : उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता फोरम में केवल उपभोक्ता ही शिकायत कर सकते हैं। विक्रेता जब वस्तु या सेवा को गलत जानकारी देकर बेचता है तब उपभोक्ता उस वस्तु को लेकर विक्रेता से फरियाद करता है और सही वस्तु व सेवा देने की मांग रखता है, या फिर अपना पैसा वापस मांगता है। लेकिन जब विक्रेता पैसे वापस करने से या वस्तु बदल के देने से मना कर देता है तो उपभोक्ता के पास उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत व्यापारी के खिलाफ शिकायत करने का रास्ता खुला होता है। जिसे उपभोक्ता शिकायत कहा जाता है।

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