कानून हमारी सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप हो: डॉ पाण्डेय
मुंगेर विश्वविद्यालय के डॉ. भवेश चंद्र पाण्डेय ने कहा कि आजादी के आठ दशक बाद भी हम उपनिवेशकालीन कानूनों के तहत चल रहे हैं। उन्होंने कानून को हमारी सभ्यता और संस्कृति के अनुकूल बनाने की आवश्यकता पर जोर...
मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। देश की आजादी के आठवें दशक में पहुंचकर भी हम पाते हैं कि अब भी उपनिवेशकालीन कानून के तहत ही हमारी व्यवस्था का संचालन होना चाहिए। तब का कानून हम पर शासन करने के लिए बनाया गया था, पर अब तो हम संप्रभु देश में रह रहे हैं। हमारा कानून हमारी सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप तथा लोक कल्याणकारी होना चाहिए। यह बातें मुंगेर विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू सह पीजी अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ भवेश चंद्र पाण्डेय ने बुधवार को विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में आयोजित विशेष कक्षा के दौरान कही। डॉ पाण्डेय भाषा व विधि पर आयोजित विशेष कक्षा के दौरान विधि स्नातक के विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया के दौरान विधि की सम्यक व्याख्या पर जोड़ दिया। साथ ही कहा कि एक कुशल पेशेवर विधि विशेषज्ञ की यह विशेषता होती है कि वे कानून की सही व्याख्या करते हैं। इस क्रम में उन्होंने प्रसिद्ध विधिवेत्ता जान आस्टिन के अलावा अंग्रेजी के प्रख्यात उपन्यासकार विलियम सेक्शपियर आदि के उपन्यास के उद्धरणों के आधार पर विधि स्नातक के विद्यार्थियों को सटीक भाषा के चयन के बारे में जानकारी दी।
कालेज के प्राचार्य डा. राजेश कुमार मिश्रा ने कहा कि न्यायालय न्याय निर्णय देते समय घटना के कारणों से अधिक उसके आशय की परख करता है। दोषी को दंडित करने के बजाय उसके आचरण में बदलाव लाना विधि का ध्येय है। मौके पर डा. शैलेश कुमार मिश्रा, पवन कुमार झा, असीत कुमार सिंह, कुंदन कुमार साह, डा. मनीष कुमार आदि उपस्थित थे।
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