वन देवता बाबा सवा लाख के आगे शीश झुकाने के बाद यात्री करते हैं आगे की यात्रा
टेटियाबंबर, अजीत सिंह/,एक संवाददाता। एनएच 333 गंगटा-जमुई मार्ग में घने जंगल पार करने वाले लोग बाबा सवा लाख के आगे शीश झुकाने के बाद ही आगे की यात्रा क
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टेटियाबंबर,एक संवाददाता। एनएच 333 गंगटा-जमुई मार्ग में घने जंगल पार करने वाले लोग बाबा सवा लाख के आगे शीश झुकाने के बाद ही आगे की यात्रा करते हैं। गंगटा-लक्ष्मीपुर के बीच 12 किलोमीटर जंगल मार्ग के बीच कुंडा स्थान स्थित बाबा सवा लाख इस क्षेत्र के साथ दूसरे जिले के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। लोग मन्नतें मांगने के लिए बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते हैं एवं मनोकामना पूरी होने पर बाबा को पशु बलि चढ़ाते हैं। सावन मास को छोड़कर बांकी के 11 महीने बाबा सवा लाख को पशु बलि दी जाती है। जंगल के अनेक देवी-देवताओं में श्रेष्ठ माने जाने वाले बाबा सवा लाख की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है। जंगल के बीच सड़क किनारे स्थित यह मंदिर है।
बाबा सवा लाख की स्थापना को लेकर है मान्यताएं: बाबा सवा लाख की स्थापना को लेकर दो विचारधारा है। वर्तमान में मंदिर के पुजारी जगन्नाथ ने बताया कि करीब 120 वर्ष पूर्व इस घने जंगल के बलिया बांक कुंड से लाकर बाबा सवा लाख को इस स्थल पर स्थापित किया गया था। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज देवराज पुजारी द्वारा बाबा की स्थापना की गई थी। तब से आज तक उनके वंशज ही वहां के पुजारी होते आए हैं। वहीं स्थानीय गाय घाट निवासी हरिनंदन यादव ने बताया कि 1906 में इस घने जंगल में बाघों का आतंक बढ़ गया था। जंगल से सटे गांव के लोग बाघ के हमले से डरे रहते थे। हर रोज भेड़, बकरियां उसके शिकार हो रहे थे। कई लोग घायल भी हुए थे। ग्रामीण उस समय के चर्चित भगत लक्ष्मीपुर खीर भोजना निवासी के पास पहुंच समस्या का समाधान करने का आग्रह किया। उन्होंने ग्रामीणों को जंगल के बीचों बीच स्थित कुंडा स्थान में जंगल के देवता बाबा सवा लाख की स्थापना कर पूजा अर्चना करने को कहा। इसके बाद ग्रामीण समर गोप के नेतृत्व में बाबा सवा लाख की स्थापना उक्त स्थल पर की। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह में यहां पशु बलि देने का संकल्प लिया। उसके बाद से ही क्षेत्र में बाघों का आतंक समाप्त हुआ और क्षेत्र में शांति व अमन चैन स्थापित हो पाया।
मंदिर में चढ़ावा बढ़ने के बाद हक जताने को हुआ था विवाद: बाबा सवा लाख की प्रसिद्धि बढ़ने एवं अधिक चढ़ावा आने के बाद मंदिर के पुजारी पक्ष एवं दूसरे पक्ष के बीच मंदिर पर हक जताने को लेकर काफी विवाद भी हआ। लेकिन फिर क्षेत्रीय लोगों एवं स्थानीय प्रशासन ने मामले में हस्तक्षेप कर मसले को दूर किया और पुजारी के वंशज ही वहां काबिज रहे।
छह वर्ष पूर्व एक भक्त ने कराया मंदिर का निर्माण: बाबा सवा लाख से मांगी मन्नतें पूरी होने के बाद रजौली नवादा के भक्त सोनू कुमार ने 6 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण कराया। भक्त ने लगभग एक माह तक कुंडा स्थान में रूककर मंदिर के निर्माण से लेकर रंग-रोगन तक का कार्य संपन्न कराया।
यात्रियों की रक्षा करते हैं बाबा सवा लाख: मान्यता है जंगल की खतरनाक स्थिति से निपटने में बाबा सवा लाख ही सहयोगी होते हैं। जंगली जानवरों से रक्षा के साथ घुमावदार सिंगल सड़क मार्ग में लुटेरों से भी बाबा सवा लाख यात्रियों की रक्षा करते हैं। यही कारण है कि इस जंगल मार्ग से गुजरने वाले यात्री बाबा के आगे शीश झुकाने के बाद आगे की यात्रा करते हैं।
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