32वें विश्वस्तरीयय धर्म महासम्मेलन को लेकर 72 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन शुरू
निज प्रतिनिधि आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से स्थानीय अमझर पहाड़ी की तराई अविस्थत आनन्द सम्भूति, मास्टर यूनिट, बाबा नगर (जमालपुर) में आज से तीन दिवसी

जमालपुर। निज प्रतिनिधि आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से स्थानीय अमझर पहाड़ी की तराई अविस्थत आनन्द सम्भूति, मास्टर यूनिट, बाबा नगर (जमालपुर) में आज से तीन दिवसीय 32वें विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेलन (डीएमएस) समारोहपूर्वक शुरू होगा। जबकि आनंद सम्भूति, मास्टर यूनिट परिसर में इसबार 6ठा डीएमएस होना है। इधर, गुरुवार को की संध्या में 72 घंटे का अखंड कीर्तन महाअष्टाक्षरी महामंत्र बाबा नाम केवलम का कीर्तन शुरू हो गया है। तथा आगामी 9 मार्च की शाम 4 बजे समापन किया जाएगा। इधर, आनंदमार्गियों का जत्था जमालपुर पहुंचना शुरू हो गया है। आंनद जागृति वलीपुर परिसर से आनंदमार्गियों का जत्था निकली, तथा बाबा का जन्मस्थली, स्टेशन रोड, कारखाना गेट संख्या, धरहरा रोड होते हुए अमझर पहाड़ी की तराई अस्थित आनंद सम्भूति मास्टर यूनिट पहुंची, जहां अखंड कीर्तन कार्यक्रम में शामिल होकर बाबा की परिक्रमा शुरू की। बाबा नाम केवलम के जयकारों से शहर का चप्पा-चप्पा गूंजायमान हो उठा। आनंदमार्ग जागृति परिसर सहित अमझर पहाड़ी की यूनिट परिसर गेरूआ वस्त्र से पट गया है। गौरतलब है कि श्रीश्री प्रभात रंजन सरकार उर्फ आनंदमूर्ति जी के 104वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। 32वें डीएमएस में करीब 25 देशों के करीब 25 हजार आनंदमार्गी, समर्थक, अनुयायी जमालपुर जुटेंगे।
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आनंदमार्गियों का पवित्र मक्का है आनंदमूर्ति बाबा की जन्म व कर्मभूमि लौहनगरी
जमालपुर। निज प्रतिनिधि
मुंगेर से जुड़वां शहर जमालपुर (सौंदर्य) यद्वपति कस्बानुमा है, मगर इसकी प्रसिद्धि आज भी साउथ पार करीब 180 देशों में आज भी कायम है। आध्यात्मिक और दार्शनिक उपदेशों के पथ पर चलकर शोषणमुक्त समाज का निर्माण करने में आज देश व विदेशों में करीब 50 लाख से अधिक आनंदमार्गी व उनके समर्थक निरंतर सेवामूलक कार्य कर रहे है। आनंदमार्ग प्रचारक संघ की स्थापना 9 जनवरी 1955 हुई थी, इनका मुख्य उद्देश्य है। आत्ममोक्षार्थ जगत् हिताय च। अर्थात व्यक्तिगत जीवन में आत्ममोक्ष की धर्मसाधना के साथ निस्वार्थ भाव से सेवा कार्यक्रमों का संचालन करने तथा समाज के पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाना है। इसकी शुरूआत प्रभात रंजन सरकार उर्फ श्रीश्री आनंदमूर्ति जी ने 9 जनवरी 1955 में पहला धर्ममहाचक्र का प्रवर्त्तन से किया था। वैसे बाबा का जन्म 22 मई 1921 को केशोपुर स्थित दल्हट्टा रोड में लक्षमीनारायण सरकार के यहां आज से 104 साल पूर्व हुआ था। गौरतलब है कि आनंदमूर्ति बाबा ने अपने जीवन काल में ही मुंगेर की धरती पर करीब 26 बार धर्माचक्र कार्यक्रम आयोजित किये थे। हालांकि बाबा 21 अक्टूबर 1990 में कैंप मुख्यालय कोलकाता में समाधि ले लिये थे। इनके बाद संघ का बागडोर सह पुरोधा प्रमुख के रूप में आचार्य श्रद्धानंदन अवधूत को 28 अक्टूबर 1990 को बनाया। तथा 15 अक्टूबर 2008 तक रहे। फिर आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत को पुरोधा प्रमुख बनाए गये है। इनके नेतृत्व में संघ का संचालन देश व विदेशों में सफलता पूर्वक किया जा रहा है।
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