ताइवान की रेड लेडी से बढेगी चम्पारण के किसानों की आय
ताइवान की रेड लेडी पपीता चम्पारण में किसानों की आमदनी बढ़ा रहा है। राजेश कुमार ने 20,000 पौधे अन्य किसानों को उपलब्ध कराए हैं, जिससे पपीते का उत्पादन बढ़ रहा है। यह पौधा कम समय में अधिक मुनाफा देता है...
पीपराकोठी, एक संवाददाता। ताइवान की रेड लेडी पपीते की खुशबू से चम्पारण की फिजां गुलजार होने लगी है। चम्पारण की जलवायु भी उसके अनुकूल हो गई है। जिससे पपीते का उन्नत प्रभेद रेड लेडी के पीलापन ने किसानों की आमदनी बढ़ाने की उम्मीद जगाई है। जिले के एक सैनिक को ताइवान की रेड लेडी भा गई है। रेड लेडी की लालिमा ने सैनिक को लाखों की कमाई करा रही है। जिले में पपाया मैन से पहचान बना चुके पड़ौलिया के राजेश कुमार ने अबतक बीस हजार रेड लेडी का पौधा अन्य किसानों को उपलब्ध करा चुके हैं। उनके द्वारा तैयार रेड लेडी पपीते का शिशु पौधा नेपाल व मुजफ्फरपुर के किसानों तक पहुंच रहा है। उनके नर्सरी का स्वस्थ पौधा किसानों को सस्ता व सुलभता से प्राप्त हो रहा है। उनके द्वारा उजाया व पोषित एक-एक रेड लेडी फल तीन से चार किलोग्राम का हो रहा है। जिससे बाजार के व्यापारियों व ग्राहकों में इसकी मांग बढ़ी है। इसके लिए कई संस्थानों ने इन्हे सम्मानित भी किया है। राजेश ताइवानी किस्म के पपीता रेड लेडी 786 का प्लॉटिंग भी किया हुआ है।
मुनाफे की है खेती:
किसानों को यह कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली है। एक एकड़ में इसके एक हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। हर पौधे से 35-40 किलो पपाया का उत्पादन होता है। इस हिसाब से प्रति एकड़ 350 से 400 क्विंटल पपाया पैदा हो जाता है। यह पौधा पहले साल में ही 5 फीट होने के बाद फल देने लगता है। तीसरे साल तक यह 8-10 फीट का हो जाता है। पपीते को साल में कभी भी लगा सकते है।
रेड लेडी की ये है खासियत:
इसके प्रत्येक पुष्प से फल निकलता है। जो उत्पादन में इजाफा करता है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत एक ही पौधे पर नर व मादा दोनों फूल का लगना बताया गया है। यानी किसानों को प्रत्येक पौधे से फल मिलने की गारंटी तय होगी। जबकि पपीते के अन्य किस्मों में नर व मादा का फूल अलग-अलग पौधों पर लगते हैं। ऐसे में किसानों के लिए फूलों के निकलने तक यह पहचान पाना काफी कठिन होता है कि कौन सा पौधा नर है और कौन सा मादा है। वहीं रेड लेडी में आम-पपीता दोनों का स्वाद मिलता है।
फलों में एक विशेष प्रकार की किपिंग क्वालिटी पाई जाती है। इस वजह से यह पकने के बाद जल्दी नरम नहीं होता है। अन्य पपाया पकने के बाद एक से दो दिन तक चल पाता है। जबकि मार्केटिंग के लिए रेड लेडी ज्यादा उपयुक्त है। इसे तोड़ने के बाद लगभग एक महीने बाद भी इसका क्वालिटी खराब नहीं होती और आम और पपाया दोनों का मिक्स स्वाद मिलता है। गुदा में विशेष सुगंध होती है।
पौधे लगाने के वैज्ञानिक तरीके:
वैज्ञानिक मनीष कुमार ने बताया कि खेतों की जुताई करने के बाद दो-दो मीटर की लाइन और एक पौधे से दूसरे की दूरी दो मीटर रखनी पड़ेगी। इस तरह एक एकड़ में एक हजार पौधे लग जाते है। मेड़ बनाकर एक-एक फीट गड्ढा खोदकर उर्वरक देकर पौधे लगाकर सिंचाई कर दी जाती है। इसे लगाने के 6 महीने बाद फल-फूल आने लगते है, जिसके चार-पांच महीने बाद यह पकना शुरू हो जाता है। तीन साल तक एक पौधे से फल प्राप्त किया जा सकता है।
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