आदापुर के हरकटवा उमवि,उर्दू में आने जाने का कोई रास्ता नहीं
आदापुर के कई विद्यालयों में पहुंचने के लिए रास्ते नहीं हैं, जिससे बारिश के समय बच्चों को स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की कमी के कारण यह समस्या गंभीर हो गई है।...
आदापुर, एक संवाददाता। प्रखंड के कई ऐसे विद्यालय है जहां पहुंचने के लिए कोई पहुंच पथ नहीं है और बारिश होते ही विद्यालय में पहुंचना बच्चों के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है। इस दिशा में स्थानीय जनप्रतिनिधि,ग्रामीण हो या अधिकारी कोई आवश्यक पहल नहीं होती। फलत: यह समस्या अब नासूर बन गई है। इंडो नेपाल सीमा पर स्थित राजकीय मध्य विद्यालय कोरैया में भी आवाजाही के रास्ते नहीं है। बच्चे नो मेंस लैंड होकर इस स्कूल में पहुंचते हैं। इस रास्ते पर बारिश होते ही जलजमाव और कीचड़ भर जाता है। एचएम मीना राय का कहना है कि विद्यालय आने के लिए नोमेंसलैंड ही एकमात्र रास्ता है और वह बरसात में कीचड़ तथा जलजमाव से लबालब भर जाता है।इस पथ का पक्कीकरण भी नही कराया जा सकता,क्योंकि यह दो देशों की सीमा रेखा है और नोमेंसलैंड पर कोई भी देश पक्का निर्माण नही करा सकता।ऐसा ही हाल उत्क्रमित मध्य विद्यालय(उर्दू) हरकटवा का है।इस विद्यालय में आने के लिए कोई सीधी सड़क नही है।नरकटिया बाजारझ्रपकही मुख्य सड़क से करीब पांच सौ मीटर की दूरी पर दुधौरा नदी किनारे स्थित इस विद्यालय में आने जाने के लिए पगडंडी ही सहारा है और यह पगडंडी बरसात में पानी से भर जाता है। विद्यालय के मुख्य द्वार पर भी महज डेढ़ फीट चौड़े गली से बच्चे पढ़ने आते हैं।वरीय शिक्षक गालिब साहेब कहते हैं कि गांव का एक नाला विद्यालय के गेट तक पहुंचा दिया गया है और उसे बगल में बहती दूधौरा नदी में गिराना है।ग्रामीण विद्यालय के बाउंड्री वॉल को ही तोड़ने की बात करते है लेकिन विद्यालय में आवाजाही के रास्ते के लिए कोई पहल नही होती। निजी भूमि होने के कारण गेट तक बांस की बाती के टाट लगा दिए गए है मात्र डेढ़ फीट के रास्ते छोड़े गए है। उसी रास्ते विद्यालय आने की मजबूरी है। बीईओ हरेराम सिंह ने बताया कि इसके लिए स्थानीय प्रतिनिधियों को भी पहल करने होंगे।
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