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प्रधान डाकघर में अभिकर्ता बैठने तक के लिए भटकते हैं इधर-उधर

मोतिहारी के प्रधान डाकघर में लघु बचत अभिकर्ताओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस नवीनीकरण में देरी, कमीशन में कटौती और सुरक्षा की कमी जैसे मुद्दे हैं। महिला अभिकर्ताओं को विशेष रूप...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीTue, 18 Feb 2025 10:54 PM
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प्रधान डाकघर में अभिकर्ता बैठने तक के लिए भटकते हैं इधर-उधर

मोतिहारी। शहर के स्टेशन रोड स्थित प्रधान डाकघर में डाकघर की जमा योजनाओं के लिए बने काउंटर पर बैठे कर्मचारी लघु बचत अभिकर्ताओं की राह देखते मिल जाएंगे। दरअसल, डाकघर की बचत योजनाओं के मुख्य आधार भी यहीं अभिकर्ता होते हैं। लेकिन प्रधान डाकघर ही नहीं, बल्कि शहर व ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न डाकघरों में लघु बचत योजनाओं में राशि जमा करानेवाले अभिकर्ताओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर बैठने उचित व्यवस्था नहीं होने के अलावा शौचालय का प्रबंध व पेयजल की कमी से जूझना पड़ता है। नहीं हो रहा लाइसेंस का नवीनीकरण : अभिकर्ताओं के समक्ष सबसे बड़ी समस्या लाइसेंस नवीनीकरण की आ रही है। संघ के जिलाध्यक्ष शैलेश कुमार ने बताया कि अभिकर्ताओं के नए लाइसेंस से लेकर पुराने लाइसेंस के नवीनीकरण का काम समाहरणालय में बैठनेवाले राष्ट्रीय लघु बचत पदाधिकारी के स्तर से होता है। मगर, लंबे समय से न तो नया लाइसेंस बन रहा है, न ही लाइसेंस का नवीनीकरण हो पा रहा है। इससे अभिकर्ताओं के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। खासकर महिला अभिकर्ताओं को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।

संघ के सचिव संतोष कुमार ने बताया कि अभिकर्ता कई बार मोटी रकम लेकर डाकघर में जमा कराने आते हैं, लेकिन पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से उन्हें हमेशा अपराधियों का डर सताते रहता है। इतना ही नहीं डाकघर परिसर में एक शेड में अभिकर्ताओं को बैठने का इंतजाम किया गया है। इसे कर्मचारियों ने वाहन स्टैंड बना दिया गया है। यहां खुले में पैसा जमा कराने से पहले गिनती करते समय लूटपाट का डर सताते रहता है। लेकिन, विभाग के आला अधिकारी इस संबंध में शिकायत किए जाने के बावजूद आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं।

जिला सचिव संतोष कुमार ने कहा कि सरकार लघु बचत योजनाओं से जुड़े अभिकर्ताओं की रोजी-रोटी पूरी तरह समाप्त करना चाहती है। इसका उदाहरण बचत कार्यालय बंद करने के अलावा जमा राशियों पर दिए जानेवाले कमीशन में भारी कटौती है। पहले 14 प्रतिशत तक कमीशन मिलता था, जिसे घटाकर अब 7.5 प्रतिशत तक कर दिया गया है। साथ ही विभागीय अधिकारी गैर कमीशनवाली बचत योजनाओं में राशि डालने का दबाव बनाते हैं। इससे व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।

90 प्रतिशत निवेश कराते हैं अभिकर्ता

अभिकर्ताओं ने बताया कि राष्ट्रीय बचत पत्र, किसान विकास पत्र, इंदिरा विकास पत्र और सावधिक जमा जैसी लघु बचत योजनाओं के माध्यम से आम आदमी छोटी बचत से बड़े सपने साकार कर पाता है। इन जमा योजनाओं पर सरकार अन्य बैंकों की जमा योजनाओं से अधिक व्याज देती है। इन योजनाओं में निवेश कराने में राष्ट्रीय लघु बचत अभिकर्ताओं की भूमिका अहम होती है। डाकघर की विभिन्न लघु बचत योजनाओं में निवेश का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा अभिकर्ताओं के माध्यम से ही आता है।

शिकायतें

1.डाकघरों में हमलोगों के लिए किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यहां तक की बैठने की जगह नहीं मिल पाता, भटकना पड़ता है।

2.कमीशन की दरों में बड़े पैमाने पर कटौती कर दी गई है, जिससे गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा है।

3.अभिकताओं का नया लाइसेंस नहीं बन पा रहा है। लाइसेंस के नवीनीकरण को लेकर भी विभाग को पहल करनी चाहिए।

4.कमीशन भुगतान पर काटे जानेवाले टीडीएस का प्रमाण पत्र लेने के लिए अधिकारियों का चक्कर काटना पड़ता है।

5.डाकघरों के जमा काउंटरों पर स्टेशनरी का अभाव है, जिससे लघु बचत अभिकर्ताओं को परेशानी का समाना करना पड़ता है।

सुझाव

1.जिले के प्रत्येक डाकघर में अभिकर्ता व डाकघर के ग्राहकों के लिए बुनियादी सुविधा बहाल होनी चाहिए। शौचालय व बैठने की सुविधा हो।

2.विभागीय अधिकारियों को जल्द से जल्द समन्वय समिति की बैठक करनी चाहिए, ताकि समस्याओं का समाधान हो।

3.केंद्र सरकार को एक बार फिर से कमीशन की दरों में बढ़ोतरी करनी चाहिए, ताकि लघु बचत अभिकर्ताओं को गुजर-बसर करने में सुविधा हो।

4.डाक विभाग के द्वारा हम सभी अभिकर्ताओं का ग्रुप बीमा कराया जाना चाहिए। बैठने, पेयजल व शौचालय की उत्तम व्यवस्था होनी चाहिए।

5.विभागीय अधिकारियों द्वारा बिना कमीशन वाले खाता खुलवाने के लिए अभिकर्ताओं पर अतिरिक्त दबाव नहीं बनाया जाए।

महिला सम्मान निधि योजना में मिले कमीशन

वर्तमान में डाकघर में निवेशकों के लिए जो योजना आ रही है, वह बिना कमीशन के आ रही है। जिले में 50 फीसदी से अधिक महिला अभिकर्ता हैं। बावजूद इसके महिला सम्मान निधि योजना व सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं में कमीशन बंद कर दिया गया है। इससे काम में मन नहीं लगता। वहीं डाक विभाग की ओर से ऐसी ही योजनाओं पर ज्यादा करने का दबाव बनाया जाता है। जिलाध्यक्ष शैलेश कुमार ने बताया कि कांग्रेस सरकार द्वारा 2011 में एक प्रतिशत कमीशन को घटाकर आधा प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं पीएफ वरिष्ठ नागरिक योजना में कमीशन को समाप्त कर दिया गया है। महिला प्रधान अभिकर्ता को 5% कमीशन मिलता था, उसमें भी एक प्रतिशत की कटौती कर दी गई। ग्राहक द्वारा संग्रह राशि डाकघर में लाने के क्रम में जान माल का भय बना रहता है। अभिकर्ता को कार्य स्थल डाकघर में कोई भी बुनियादी सुविधा नहीं मुहैया करायी जाती।

बढ़ती जा रही महंगाई घटता जा रहा कमीशन

अभिकर्ताओं ने कहा कि एक तरफ महंगाई बढ़ती जा रही है, दूसरी ओर लगातार डाक विभाग की विभिन्न योजनाओं में हमारा कमिशन घटाया जा रहा है। लगातार कमीशन कम होने से परिवार चलाने में समस्या उत्पन्न होने लगी है। जिले के अधिकतर अभिकर्ता डाकघर एजेंसी से ही अपना परिवार चलाते हैं। परिवार का भरण-पोषण, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य जरूरी चीजों का इंतजाम उन्हीं की कमाई पर निर्भर है। हम लोग देश एवं राज्य के विकास के लिए निवेश को बढ़ावा देते हुए अधिक से अधिक डाकघर में राशि संग्रह करवाते रहे हैं। बावजूद सरकार का हम पर ध्यान नहीं है। अभिकर्ताओं का पूर्व की तरह एक प्रतिशत कमीशन कर दिया जाए। आवर्ती जमा योजना जो केवल महिलाओं के लिए ही है उसमें भी जो कमीशन में कटौती की गई है, उसे पुन: बढ़ाकर 5% किया जाए। अभिकर्ताओं का डाक विभाग की ओर से ग्रुप बीमा कराया जाना चाहिए।

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