सत्य और अहिंसा को जीवन का बनायें अभिन्न हिस्सा : कुलपति
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के गांधी भवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने गांधी जी के आदर्शों पर...
मोतिहारी,निप्र। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के गांधी भवन परिसर में गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पुष्पांजलि अर्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव द्वारा गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। इस अवसर पर कुलपति प्रो. श्रीवास्तव ने चंपारण सत्याग्रह का उल्लेख करते हुए गांधी जी के जीवन और उनके आदर्शों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के माध्यम से समाज में बदलाव का जो संकल्प लिया, उसे आत्मसात करके हम उनके प्रति अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने छात्रों और शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे गांधी जी के जीवन और विचारों पर शोध कार्य करें। उन्होंने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में गांधी जी से संबंधित पुस्तकों के संग्रह को और समृद्ध करने का सुझाव भी दिया। कार्यक्रम में गांधी जी के प्रिय भजनों और लोकगीतों की मनमोहक प्रस्तुति ऋत्विज भारद्वाज और उनकी टीम द्वारा की गई, जिसने पूरे वातावरण को गांधीमय बना दिया। इस अवसर पर, गांधी भवन परिसर के निदेशक प्रो. प्रसून दत्त सिंह, गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. जुगल किशोर दधीच, डॉ. असलम ख़ान, डॉ. नरेंद्र आर्य, डॉ. कैलाश प्रधान, डॉ. श्याम झा, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. नरेंद्र सिंह, डॉ. अभय विक्रम सिंह, डॉ. अनुपम वर्मा, डॉ. श्वेता, डॉ. पाथलोट ओंकार, डॉ. मनीषा, डॉ. बबलू पाल, डॉ. ओम प्रकाश समेत कई प्राध्यापक व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ. अम्बिकेश त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम में गांधी जी के विचारों और आदर्शों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
वैश्विक शांति के अद्वितीय वाहक थे गांधी: प्रो प्रद्युम्न सिंह
गांधी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के गांधी व शांति अध्ययन विभाग में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई। मुख्य वक्ता बीएचयू के प्रो प्रद्युम्न शाह सिंह ने अहिंसक संचार के गांधीवादी दृष्टिकोण विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गाँधी जी ने एकेश्वरवाद,वसुधैव कुटुंबकम,सर्वोदय,पंचयम,पंचशील का व्यवहारिक स्वरूप प्रदान करके न सिर्फ अपने महात्मा उपनाम को सार्थक बनाया। बल्कि जैन,बौद्ध,सनातन कर्म मीमांसा की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए विश्व को सत्य व अहिंसा के वास्तविक स्वरूप का दर्शन भी कराया। साथ ही उन्होंने गांधी जी के राम व कबीर से समानता की चर्चा करते हुए गांधी जी के जीवन को चार सोपान में पृथक करके विस्तृत चर्चा की।
विशिष्ठ व्याख्यान से पहले डॉ असलम ख़ान ने वैश्विक राजनीति में व्याप्त हिंसा का समाधान गांधीय परिप्रेक्ष्य में किए जाने की वकालत की।
विषय स्थापना करते हुए डॉ अम्बिकेश त्रिपाठी ने गांधीजी के अहिंसक आंदोलनों को उनके अहिंसक संचार का माध्यम बताया। इस अवसर पर डॉ नरेंद्र आर्य, डॉ कैलाश प्रधान, डॉ नरेंद्र सिंह, डॉ पंकज सिंह, डॉ ओम प्रकाश, डॉ संजय एवं अन्य प्राध्यापक और विभाग के शोधार्थी और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के सहायक आचार्य डॉ अभय विक्रम सिंह ने किया। डॉ जुगल किशोर दधीच ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ अम्बिकेश त्रिपाठी थे।
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