माता पार्वती व भगवान शिव के मिलन की रात्रि है महाशिवरात्रि: आचार्य मुकुल मनोहर
संग्रामपुर में महाशिवरात्रि पर आयोजित संगोष्ठी में आचार्य मुकुल पाण्डेय ने बताया कि यह दिन माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह का प्रतीक है। शिव भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और शिवालयों में जलाभिषेक करते...
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संग्रामपुर, निसं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को आयोजित होने वाला महाशिवरात्रि कोई साधारण मूहूर्त नहीं है। बल्कि यह माता पार्वती व भगवान शिव के मिलन यानि शुभ विवाह की रात्रि है। इसलिए इसे शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इसी दिन जगत का कल्याण करने के लिए और पापियों के संहार के लिए शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। उक्त बातें शनिवार को ऋषिकुल आश्रम संस्कृत उपशास्त्री महाविद्यालय में शिवरात्रि की तैयारी को लेकर आयोजित संगोष्ठी में उपस्थित छात्रों व अभिभावकों को संबोधित करते हुए दैनिक शिक्षक सह आचार्य मुकुल मनोहर पाण्डेय ने कही। आचार्य ने बताया कि शिवरात्रि सनातन धर्मियों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण माना गया है। शिवरात्रि पर शिवानूरागी शिव भक्त पूरे श्रद्धा विश्वास से शिवालयों में जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक के साथ साथ कई अन्य वस्तुओं से रुद्राभिषेक करते हैं। कई जगहों पर भगवान शिव की बारात निकाली जाती है। पूरे दिन शिव भक्त उपवास रखकर रात्रि जागरण कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना करते हैं। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार शिवरात्रि को ही माता पार्वती एवं भगवान शिव का पाणिग्रहण संस्कार हुआ था। इसलिए यह महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शिवरात्रि का व्रत पूजन करने वाले सभी भक्तों को शिवलोक की प्राप्ति होती है।
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