अशोक स्तंभ के विकास में नेताओं व अफसरों ने नहीं ली रूचि
अरेराज से महज दो किलोमीटर की दूरी पर अरेराज बेतिया मुख्य मार्ग के किनारे लौरिया गांव मेंमौर्य वंश सम्राट प्रियदर्शी अशोक द्वारा स्थापित ऐतिहासिक शिलास्तम्भ विदेशी व देशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का...
अरेराज से महज दो किलोमीटर की दूरी पर अरेराज बेतिया मुख्य मार्ग के किनारे लौरिया गांव मेंमौर्य वंश सम्राट प्रियदर्शी अशोक द्वारा स्थापित ऐतिहासिक शिलास्तम्भ विदेशी व देशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। मगर इसके विकास में जनप्रतिनिधियों ने रूचि नहीं दिखाई। जबकि क्षेत्र की आर्थिक मजबूती के लिए यह जरूरी है। वायदे होते रहे। प्रशासन ने भी ध्यान नहीं दिया। बौद्ध धर्मावलंबियों सहित अन्य पर्यटकों की भारी संख्या में पहुंचने का सिलसिला सालों भर लगा रहता है। सम्राट प्रियदर्शी अशोक अशोक ने अपने पूज्य गुरु उपयुक्त के साथ बुद्ध के जन्म स्थल कपिलवस्तु नेपाल की ओर जाते समय भगवान बुद्ध के यात्रा स्थलों का निरीक्षण किया और वहां पर स्मारक के रूप में अशोक स्तंभ स्थापित किया था। संपूर्ण भारत वर्ष में एकमात्र चंपारण ही वैसा जगह है जहां चार अशोक स्तंभ आज भी विद्यमान हैं। अरेराज लौरिया का अशोक स्तंभ के संदर्भ में यह कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने अपने राज्याभिषेक के 26 वर्षों बाद इस स्तंभ को गड़वाया था। यह अशोक स्तंभ गंडक नदी के जल मार्ग से ही उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर चुनार से मंगवाया गया था। गांव गवही के लोग आज भी इसे ‘लउर बाबा या भीमसेन की लाठी के नाम से भी पुकारते हैं ।अरेराज स्थित बौद्ध धर्म के स्मृति का प्रतिक अशोक स्तंभ। फाईल फोटो
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