पूर्वी चंपारण में हुआ सिर्फ 47 प्रतिशत ही संस्थागत प्रसव
मोतिहारी में सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने सुधार के लिए निर्देश जारी किए हैं। पिछले वर्ष 1 लाख 70 हजार गर्भवती में से केवल 47% ने सरकारी अस्पताल...

मोतिहारी, नगर संवाददाता। विभागीय उदासीनता के कारण जिला के सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव टारगेट से आधा भी नहीं हो पा रहा है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय अपर निदेशक ने सिविल सर्जन को पत्र लिख कर इसमें सुधार लाने का निर्देश जारी किया है। बताते हैं कि प्रमंडल स्तर पर की गई समीक्षा में पाया गया कि सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए करीब 1 लाख 70 हजार गर्भवती का प्रसव के लिए निबंधन किया जाता है। मगर प्रसव सरकारी अस्पताल में कम और ज्यादा निजी नर्सिंग होम में होता है। पिछले साल अप्रैल से लेकर इस साल जनवरी तक सरकारी अस्पताल में मात्र टारगेट के 47 प्रतिशत प्रसव हुआ और प्रसूता मंथली चेकअप मात्र 39 प्रतिशत प्रसूता का प्रसव पूर्व जांच हो सकी। सिजेरियन भी मात्र 23 प्रतिशत ही किया गया। यह आंकड़ा जिला से सरकार को भेजा गया है। बताते हैं कि पिछले वर्ष जिला में करीब 1 लाख 70 हजार गर्भवती का निबंधन किया गया था।
जानकार बताते हैं कि सरकार ने संस्थागत प्रसव के लिए जननी व बाल सुरक्षा योजना चला रखी है। गर्भवती महिला का सरकारी अस्पताल में निबंधन से लेकर प्रसव पूर्व जांच करवाने और सुरक्षित प्रसव कराने के लिए सरकारी अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेवारी आशा कार्यकर्ता को दे रखी है। इसके लिए जिला में करीब 4800 आशा कार्यकर्ता मानदेय पर बहाल है। बदले में सरकार मानदेय प्रति आशा को देती है। प्रसूता को भी प्रोत्साहन राशि देती है। प्रसूता को दवा भी मुफ्त मिलती है। प्रसव के लिए घर से अस्पताल तक आने पर व प्रसव के बाद घर तक जाने के लिए एम्बुलेंस कि व्यवस्था की गई है। बावजूद सरकारी अस्पताल में प्रसूता का नहीं आना जांच का विषय बनता जा रहा है।
बताया जाता है कि इसका मुख्य कारण कतिपय निजी नर्सिंग होम के द्वारा दी जा रही मोटी कमीशन है। जिसके कारण कतिपय आशा कार्यकर्ता और सरकारी अस्पताल के कतिपय ममता प्रसूता को निजी नर्सिंग होम में प्रसूता को पहुंचा रही हैं। इसके अलावा सरकारी अस्पताल के कतिपय डॉक्टर भी आशा के माध्यम से अपने निजी नर्सिंग होम में प्रसूता को बुला रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि इस धंधा में बहुत निजी दलाल भी हैं, जो कतिपय नर्सिंग होम से टैग हैं। सूत्र पर भरोसा करें तो कतिपय निजी नर्सिंग होम वाले दलाल को प्रति मरीज प्रसूता एक से डेढ़ हजार देते हैं। सिजरियन होने पर दो से ढाई हजार रुपया हाथों हाथ दे देते हैं। हालात यह है कि सदर अस्पताल के प्रांगण से कभी-कभी वार्ड से भी प्रसूता को बहलाकर निजी नर्सिंग होम तक ले जाया जाता है। इस धंधा में लिप्त कुछ आशा पकड़ी भी गईं। मगर कार्रवाई शून्य रहा।
बताया जाता है कि सभी आशा का अलग अलग क्षेत्र है। मगर अधिकांश आशा सदर अस्पताल परिसर में ही रहती हैं। इसको लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है।
जानकार यह भी बताते हैं कि समय पर न तो आशा के मानदेय का भुगतान होता है और न प्रसूता को प्रोत्साहन राशि मिलती है। करीब 15 हजार से अधिक प्रसूता का प्रोत्साहन राशि का अबतक भुगतान बाकी है। जिसका असर यह है कि प्रसूता से लेकर अधिकांश आशा निजी नर्सिंग होम की तरफ रुख कर लिया है।
इस संबंध में डीपीएम ठाकुर विश्व मोहन ने बताया कि प्रसव का अनुपात विगत वर्ष से चल रहा है। मगर अब नई योजना के तहत प्रसूता को प्रोत्साहन राशि प्रसव के 48 घंटा के अंदर उसके बैंक खाता में चला जाएगा।
सीएस डॉक्टर रवि भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि इसकी समीक्षा होगी। जिस स्तर पर त्रुटि होगी, वहां सुधार किया जाएगा।
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