अक्षय नवमी पर आंवला के पेड़ क़े पास लोगो ने बनाए भोजन
अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है, का आयोजन कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को किया जाता है। इस दिन स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। लोग आंवला के पेड़ के पास पूजा करते हैं और कच्चा...
पताही, एसं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी कहलाती है। यों तो कार्तिक मास ही पवित्र मास है तथा कार्तिक मास में स्नान का विशेष महत्व है। परंतु अक्षय नवमी को स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही अक्षय नवमी को आवला क़े पेड़ क़े पास मिट्टी क़े चूल्हे पर खाना बना लोग केले क़े पत्ते पर खाना खाते है, जिससे अक्षय की प्राप्ति होती है। प्रखंड क्षेत्र में रविवार को अक्षय नवमी मनाया गया। अक्षय नवमी को देहाती क्षेत्रों में आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। लोगो की माने तो इस शुभ दिन पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए वृंदावन से मथुरा की यात्रा की थी और यही वह दिन था जब सतयुग की शुरुआत हुई थी। तभी से इस महापर्व की शुभारंभ हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन आंवला के पेड़ के पास साफ सफाई करके पवित्र जल अर्पित किया जाता है तथा आंवला के पेड़ को कच्चा दूध भी अर्पित किया जाता है। पंडितो की माने तो आंवला पेड़ पूजन की परंपरा वैदिक काल से है। आंवला के पेड़ को स्वस्थ जीवन का प्रतीक माना जाता है। जिसकी पूजा करने से स्वास्थ्य -समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
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