वचुअर्ल मोड में काम का विरोध करते अधिवक्ता संघ ने दिया धरना
मोतिहारी। वि.सं. कोविड 19 के संक्रमण प्रसार को लेकर न्यायपालिका का वचुअर्ल मोड...
मोतिहारी। वि.सं.
कोविड 19 के संक्रमण प्रसार को लेकर न्यायपालिका का वचुअर्ल मोड में ऑनलाइन सुनवाई का फैसला न्याय पाने के इच्छुक जनता व वकीलों के साथ न्यायोचित नहीं है। फिजिकल मोड में ही सुनवाई की मांग पर अड़े अधिवक्ता संघ के सदस्य मंगलवार दूसरे दिन न्यायिक कार्य से अलग रहकर विधिज्ञ संघ कार्यालय के गेट पर धरना दिया। अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष शेष नारायण कुंअर व संचालन महासचिव कन्हैया कुमार सिंह ने की। अधिवक्ताओं ने अपने संबोधन में वचुअर्ल मोड में कार्य पर प्रकाश डालते हुये कहा कि जनता को न्याय मिले इसको प्राथमिकता देना है। अधिवक्ता समाज वचुअर्ल मोड की कठिनाइयों को सहन करते हुये फिजिकल व वचुअर्ल मोड में काम करते रहे। एकाएक बिना समुचित प्रबंध के केवल वचुअर्ल मोड में ही कोर्ट का संचालन का फैसला कहीं से न्यायोचित नहीं है। जहां पचास से अधिक कोर्ट चल रहे हो वहां दूसरी मंजिल पर सुरक्षित बैठकर निचले तल पर एक संकीर्ण कक्ष में सरकारी व बचाव पक्ष के वकील व गवाहों की भागीदारी में सामाजिक दूरी का अनुपालन किया जाना कतई संभव नहीं है। फिर भी कोरोना संक्रमण अधिवक्ता व लिटिगेंट के बीच नहीं पहुंचा। अधिवक्तओं ने उसे डिजिटल इंडिया बनाने की आड़ में पूरे न्याय प्रणाली को कमजोर करने की साजिश बताया है। अधिवक्ता अनिश्चितकालीन आंदोलन को और धारदार बनाने की रणनीति पर काम करेंगे। धरना को संबोधित करने वालों में बिहार बार काउंसिल के को चेयरमैन राजीव कुमार द्विवेदी, पूर्व महासचिव कामाख्या नारायण सिंह, रमाकांत पाण्डेय, विपिन बिहारी तिवारी, उपाध्यक्ष मोहम्मद काशिम, अजय कुमार, मोहन ठाकुर, सहायक सचिव राहुल त्रिपाठी आदि प्रमुख थे।
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