आदापुर में नहीं बना है मनरेगा से मिनी स्टेडियम,सरकारी स्टेडियम में जलजमाव
आदापुर में मनरेगा के तहत बन रहे पंचायत स्तरीय खेल स्टेडियम असफल साबित हुए हैं। यहाँ किसी भी पंचायत में खेल का मैदान नहीं है। स्थानीय युवा खेलकूद की सुविधाओं के अभाव में परेशान हैं। कई स्टेडियमों का...
आदापुर, एक संवाददाता। मनरेगा से बननेवाले पंचायत स्तरीय खेल स्टेडियम जैसे सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट आदापुर में फिसड्डी साबित हुए हैं। इस योजना के तहत क्रियान्वित स्टेडियम का कही कोई वजूद नहीं है। लाखों युवाओं के सपने स्टेडियम या खेलकूद मैदान के अभाव में दम तोड़ते नजर आते हंै। आदापुर के कुल सत्रह पंचायतों के किसी भी गांव में खेल का मैदान या स्टेडियम नहीं है। सिरिसिया कला पंचायत के बेलदरवा परती पर करोड़ों की लागत से बने स्टेडियम अपने वजूद बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है,जबकि यह मनरेगा से नहीं बना है। वहीं, भवनरी हाई स्कूल के समीप तत्कालीन विधायक पूर्व मंत्री श्यामबिहारी प्रसाद के सौजन्य से बने स्टेडियम भी रखरखाव व समुचित देखभाल के अभाव में गड्ढे में तब्दील रहता है। उक्त स्टेडियम आदापुर के श्यामपुर बाजार से तीन किमी दूर बना हुआ है। वहीं,बाजार से दूर रहने के कारण किसी खेलकूद का आयोजन श्यामपुर के बंशीधर हाई स्कूल के मैदान पर किया जाता है। वर्षो से इस मैदान में स्टेडियम बनाने की योजना सफल नहीं हो सकी है। वहीं,मनरेगा से खेल व खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए मिनी स्टेडियम की योजना खटाई में पड़ गई है।
बेसिक स्कूल और भवनरी हाई स्कूल के बगल में श्यामपुर नरकटिया बाजार मोतिहारी मुख्य पथ किनारे स्थित यह करोड़ों की लागत से बना खेल स्टेडियम अप्रासंगिक बन गया है। खिलाड़ी अनीसुर रहमान, परवेज आलम, मोहमद भूषण, राज किशोर श्रीवास्तव, अमित कुमार आदि का कहना कि अगर पंचायत स्तर पर खेल का मैदान या मिनी स्टेडियम बने तो ग्रामीण प्रतिभाओं को पर मिलेंगे तथा सैन्य क्षेत्रों के साथ ही खेल कूद में स्थानीय युवा वर्ग कीर्तिमान गढ़ेंगे। लेकिन स्टेडियम के अभाव में खिलाड़ियों को खाली खेत और प्रतियोगियों के लिए खुला रोड ही खेलकूद मैदान बना हुआ है। पूछने पर नकरदेई पंचायत के मुखिया राम एकबाल राय व बरवा के मुखिया सोना बैठा ने बताया कि भूमि के अभाव में मिनी स्टेडियम का निर्माण नहीं कराया जा सका है। वहीं,मनरेगा के पीओ विनोद कुमार प्रभाकर ने बताया कि इस योजना के तहत इस प्रखंड में एक भी मिनी स्टेडियम का निर्माण नहीं हो सका है। पर्याप्त भूमि नहीं मिलने से यह योजना धरातल पर असफल है। अगर सरकारी या गैर सरकारी भूमि उपलब्ध हो तो इसे मूर्तरूप दिया जा सकता है।
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