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मेले में इंतजाम अच्छा पर ऐसी भीड़ कभी नहीं देखी

मधुबनी/जयनगर में स्वतंत्रता सेनानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस लगभग 18 घंटे की देरी से पहुंची। यात्रियों ने महाकुम्भ स्नान के दौरान भारी भीड़ और असुविधाओं का सामना किया। प्रयागराज स्टेशन से ट्रेन खुलने में आठ...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीFri, 31 Jan 2025 12:35 AM
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मेले में इंतजाम अच्छा पर ऐसी भीड़ कभी नहीं देखी

मधुबनी/जयनगर, एक संवाददाता। नई दिल्ली से जयनगर भाया प्रयागराज से आनेवाली 12562 स्वतंत्रता सेनानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस गुरुवार को करीब 18 घंटे विलंब से मधुबनी पहुंची। माहकुम्भ स्नान कर उस ट्रेन से लौटे यात्रियों ने रेलवे स्टेशन पर बताया कि ऐसी भीड़ जीवन में नहीं देखी थी। मधुबनी पहुंचने पर उनके चेहरे पर घर पहुंचने की खुशी साफ देखी जा रही थी। यात्रियों ने कहा ऐसी भीड़ कभी नहीं देखी, पर मेले में अच्छी व्यवस्था थी। शहर की कल्याणी झा, आदित्य झा, अनिल कुमार, मनोज सहित कई यात्रियों ने बताया कि महाकुम्भ में भगदड़ के बाद सभी यात्री रेलवे और बस स्टैंड पहुंचने को बेताब थे। वैसे उनलोगों ने जिस घाट पर स्नान किया वहां सबकुछ ठीक था। लेकिन भीड़ ऐसी थी जिसकी कल्पना नहीं की थी। महाकुम्भ स्नान की यात्रा तो बहुत कष्टदायक रही, लेकिन संगम में डुबकी लगाने के बाद मन हल्का हो गया। मधुबनी पहुंचने के बाद मन और शांत हो गया है। यात्रियों ने बताया कि भीड़ ऐसी की आरक्षित और जनरल बोगी में कोई अंतर नहीं था। लेकिन रास्ते में आते वक्त सभी स्टेशनों पर लोग उतरते गये तो ट्रेन खाली होती गई। नेपाल के जनकपुरधाम की सीता देवी ने बताया कि भगदड़ के दिन वह वहीं स्नान कर लौटने को थी। भगदड़ के कारण लोग जहां-तहां होने लगे। किसी तरह प्रयागराज स्टेशन पहुंचे। स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन पकड़ी। घर लौटने पर राहत की सांस मिली। जनकपुर की शाम वाली ट्रेन छूटने का मलाल था। इसी तरह नेपाल के राजबिराज के रूपली निवासी विष्णु देव पासवान, राम नारायण, बद्री पासवान, रामकन ठाकुर,रानीवती ठाकुर समेत अन्य यात्रियों ने बताया कि वे जैसे-तैसे ट्रेन में सफर किया। जो परेशानी भरा था। स्वतंत्रता सेनानी में भीड़ के कारण शौचालय के लिए दिक्कत होती थी। कोच में रास्ते से लेकर शौचालय तक यात्री बैठे थे। जहां से आनाजान मुश्किल था। उनके साथ पुरुष व महिला की दो दर्जन श्रद्धालु की टीम थी। गुरुवार को 4:50 बजे शाम को सेनानी जयनगर स्टेशन पहुंची। कमोवेश स्थिति अन्य यात्रियों की थी। दिल्ली से एसी बोगी में सपरिवार लौट रहे लदनिया निवासी उत्तम कुमार ने बताया कि दिल्ली से प्रयागराज तक तो सफर ठीक था। पर प्रयाग राज के बाद से महाकुम्भ के ट्रेन की सभी बोगियां श्रद्धालुओं से भर गई। जिसे जहां जगह मिली वहीं बैठ गया।

खाना पानी तो दूर, शौचालय आने जाने में परेशानी थी। रेल प्रशासन की भी एक नहीं चली। किसे हटाये, किसे बैठाये, कहने पर हल्ला गुल्ला शुरू हो जाता था।

प्रयागराज स्टेशन से ट्रेन खुलने में आठ घंटे लगे

प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान रेलवे यात्रा से जुड़ी असुविधाओं ने श्रद्धालुओं को बेहद परेशान कर दिया। ट्रेन की लेटलतीफी, भीड़ और अव्यवस्थाओं ने यात्रियों का सफर दुरुह बना दिया। यात्री ट्रेन में घंटों तक फंसे रहे और थकान से बेहाल हो गए। दिल्ली से प्रयागराज और फिर प्रयागराज से अन्य शहरों की ओर जाने वाली ट्रेनों में देरी के कारण लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में अधिक समय लग रहा है। अनिल कुमार राय ने बताया कि इस सर्दी में भी दिल्ली से प्रयागराज तक सफर करने में उन्हें पसीने छूट गए।

उन्होंने कहा, प्रयागराज स्टेशन से ट्रेन खुलने में आठ घंटे लगे। इससे टे्रन रास्ते में और विलंब होती गई। मधुबनी स्टेशन पर पहुंची स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस 20 घंटे और पवन एक्सप्रेस 17 घंटे की देरी से आई। यात्रियों ने बताया कि इन ट्रेनों को एक दिन पहले ही पहुंचना था, लेकिन विलंब के कारण उनका पूरा कार्यक्रम प्रभावित हो गया। हेमंत ने कहा, स्वतंत्रता सेनानी से सफर करना परेशानी का सबब बन गया।

भगदड़ के बाद रेल ट्रैफिक में आयी गड़बड़ी

प्रयागराज में हाल ही में हुई कुंभ हादसे के बाद रेलवे ट्रैफिक में गड़बड़ी आ गई है। इससे इस रूट पर चलने वाली कई गाड़ियां प्रभावित हुई हैं। लोकमान्य तिलक टर्मिनस से जयनगर जाने वाली पवन एक्सप्रेस का रूट डायवर्ट किए जाने के बावजूद ट्रेन समय पर नहीं पहुंची। यात्रियों ने बताया कि इस वजह से उनकी परेशानी और बढ़ गई। ट्रेन में रिजर्वेशन और जनरल कोच का अंतर समाप्त हो गया था। प्रयागराज में यात्री जिस भी ट्रेन को पाते हैं, उसी में चढ़ने को मजबूर हो जाते हैं। इससे रिजर्वेशन और जनरल कोच का अंतर समाप्त हो गया है, जिससे बैठने और सोने तक की जगह नहीं मिल रही थी। यात्रियों को भारी फजीहत झेलनी पड़ रही थी।

प्रयागराज से लौट रही कल्याणी झा ने बताया कि कुंभ में भीड़ के कारण व्यवस्थाएं चरमरा गईं। उन्होंने कहा कि वहां की हकीकत उससे बिल्कुल विपरीत है। कोईिकसी को देखने वाला नहीं है। भीड़ ऐसी की अपनों को खोजना मुश्किल था।

आदित्य झा ने कहा कि संगम तट पर कुंभ स्नान के दौरान बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी। उन्होंने कहा,तीर्थ यात्रा में जो आनंद आना चाहिए था, वह इन असुविधाओं के कारण पूरी तरह खत्म हो गया। लेकिन स्नान करने के बाद मन खुश हो गया।

यात्री बिरजू चौधरी ने अपनी परेशानी साझा करते हुए कहा कि थके-हारे ट्रेन के डिब्बे से उतरा हूं। इतनी परेशानी हुई कि शब्दों में बयान करना मुश्किल है। प्रयागराज में भीड़ के कारण ट्रेन बहुत देर रूकी। ट्रेन में कई लोग खड़े होकर तो शौचालय के समीप बैठ कर पहुंचे।

कुंभ स्नान कर मधुबनी पहुंची शहर की सुबिता झा ने बतायी की प्रयागराज तो किसी तरह पहुंच गये। लेकिन वहां भीड़ देख कर लग रहा था की स्नान होगा की नहीं। लेकिन वे लोग भगदड़ से पहले ही दूसरे घाट पर स्नान कर लिये। परेशानी तो बहुत हुई लेकिन महाकुंभ में डुबकी के बाद मन प्रसन्न हो गया।

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