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आधुनिकता के दौर में पिछड़ा लोहारी पेशा योजनाओं का लाभ मिले तो सुधरे हालात

मधुबनी के लोहारों का व्यवसाय तेजी से बदलते कारोबार और ऑनलाइन बाजार के प्रभाव के चलते संकट में है। पुराने कारीगरों की आय घट रही है और सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है। कई दुकानदार अब अपने व्यवसाय को...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीThu, 6 March 2025 05:56 PM
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आधुनिकता के दौर में पिछड़ा लोहारी पेशा योजनाओं का लाभ मिले तो सुधरे हालात

 

मधुबनी । मधुबनी जैसे कस्बाई शहर में विभिन्न कारोबार में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। हर बाजार पर आधुनिकता हावी है। शहर में इसी बदलाव के दौर में लोहारी पेशा से जुडे़ कारोबारी विभिन्न तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। शहर के लोहरसारि, गदियानी, तेरह नंबर गुमती सहित कई अन्य जगहों पर इस कारोबार से जुड़े लोग अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। लोहरसारि में भी करीब 10 से 15 दुकानें कई दशकों से संचालित हो रही हैं। मगर इनकी माली हालत में सुधार नहीं आया है। दिनोंदिन इस पेशा में ह्रास ही होता चला गया। आलम यह है कि अधिकतर लोग अब लोहे के औजार का कारोबार त्याग कर अन्य पेशा अपना रहे हैं।

माली हालत में ह्रास : लोहारी कारोबार से जुड़े राजू कुमार ठाकुर, किशन शर्मा, जीवन ठाकुर, अवधेश ठाकुर आदि ने बताया कि जो लोहरी की पुस्तैनी पेशा को अपना रहे हैं, उनकी माली हालत में सुधार के बदले गिरावट ही आ रही है। उन्होंने शिकायत की कि इनलोगों को अबतक किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिली है। कुछ लोगों का श्रम कार्ड भी बना, मगर इसका अबतक कोई फायदा नहीं मिला। मो. बिलाल, मो. एजाज, मो. असगर, ओम ठाकुर, मो. सदरे, जितेन्द्र कुमार और विक्की ठाकुर ने बताया कि इनलोगों की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है। इनलोगों को अपना पेशा चलाने के लिए एक अच्छी दुकान भी नहीं है। अभी भी किसी तरह पन्नी टांगकर अपना व्यवसाय बाहर में ही चलाते हैं। दुकान के लिए एक छत भी नहीं डाल सके।

ऑनलाइन कारोबार से प्रभावित : लोहारी पेशा से जुड़े कारोबार को ऑनलाइन बाजार ने काफी प्रभावित किया है। अब उन लोगों की कारीगरी को कोई पूछने वाला नहीं है। लोग लोहे से बनी चीजें रेडिमेड खरीदने लगे हैं। एकबार बना सामान कई महीनों तक नहीं बिकता है। अगर ग्राहक आते भी हैं तो लोहे के विभिन्न औजारों के दाम लागत मूल्य से कम लगाते हैं। कई बार मामूली मुनाफे पर देकर इसे बेचने की मजबूरी होती है।

कैंची पर शान भी नहीं लगवाते : लोहे से जुड़े कारोबारी से अब ग्राहक कैंची पर शान लगाने से भी परहेज कर रहे हैं। इससे जुड़े कारोबारियों ने बताया कि पहले वे लोग प्रतिदिन करीब 50 से 60 कैंचियों पर शान लगाते थे। इससे अच्छी कमाई हो जाती थी। अब आलम यह है कि दिनभर में करीब 15 से 20 कैंची पर ही शान लगाने के लिए आता है। इसके अलावा उनलोगों के बनाए हंसिया, खुरपी, टेंगारी, सरौता, कैंची आदि की खरीद करने वाले ग्राहकों की संख्या में काफी कमी आ गई है।

हजामत की कैंचियां भी ऑनलाइन : लोहे से जुड़े कारोबारी का कहना है कि बाजार में छोटी रेडिमेड कैंची 20 रुपये में मिल जाती है। इस वजह से लोग कैंची पर शान नहीं चढ़ाकर नई खरीद लेते हैं। पहले लोग छोटी कैंची पर भी शान लगवाने आते थे, इससे 5 से 10 रुपये मिल जाते थे। वहीं अब इसका बाजार पूरी तरह से मंदा हो गया है। हजामत बनाने वाली कैंचियां भी अब वे लोग ऑनलाइन मंगा लेते हैं। जिस वजह से कैंची पर शान लगवाने भी नाई समाज के लोग कम आते हैं। इन तमाम वजहों के कारण इनलोगों को कारोबार लगातार प्रभावित हुआ है। 

सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं

लोहारी पेशा से जुड़े कारोबारी का कहना है कि उनलोगों को आजतक किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया है। यहां तक की आजतक वे लोग पूरी तरह से उपेक्षित रहे हैं।

लोहे के कारोबारियों की शिकायत है कि उन्हें किसी भी तरह की सरकारी सुविधा या फिर सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है। अगर इनलोगों के कारोबार के लिए कुछ सरकारी सहायता मिलती तो वे लोग अपने कारोबार को बढ़ा पाते। इसमें भी नई और आधुनिक तकनीक से वे लोग अपने कारोबार को जिंदा कर पाते और लंबे समय तक इस कारोबार से जुड़े रहते। सरकार को इसके लिए शिविर का आयोजन करना चाहिए।

खुले में दुकान से परेशानी

माली हालत ठीक नहीं रहने के कारण खुले में दुकान लगाई जाती है। गर्मी के दिनों में काफी मुश्किलें आती हैं।यही हाल बरसात के दिनों में भी होती है। कई बार अधिक बारिश के बाद भट्ठी में भी पानी चला जाता है। इससे आर्थिक क्षति होती है।

सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए करें आवेदन

उद्योग विभाग मधुबनी के जीएम रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री लघु उद्यमी योजना आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए चलाई जा रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। अपने रोजगार को बढ़ाने के लिए पीएमजीईपी योजना का लाभ कारोबारी ले सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसमें चयनित होने पर 15 से 35 प्रतिशत तक का अनुदान भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा मुद्रा योजना के तहत भी लाभुक अपने कारोबार को बढ़ा सकते हैं।

 

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