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सुविधाएं तो दूर की कौड़ी घर का पर्चा भी नसीब नहीं

मधुबनी के शबरी आश्रम कॉलनी के लोग जलापूर्ति, शिक्षा, सफाई और रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नगर निगम में शामिल होने के बाद भी 150 परिवारों को भूमि के अधिकार नहीं मिल रहे हैं। भू-माफिया की नजर इस...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीSat, 22 Feb 2025 07:54 PM
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सुविधाएं तो दूर की कौड़ी घर का पर्चा भी नसीब नहीं

मधुबनी। नगर निगम में शामिल होने के बावजूद शबरी आश्रम कॉलनी के लोग जलापूर्ति, शिक्षा, सफाई और रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नगर निगम में शामिल इस बस्ती में 150 परिवार वर्षों से अपने अधिकारों के लिए तरस रहे हैं। इनमें अधिकतर लोगों के पास अपनी भूमि का कोई वैध प्रमाण नहीं है। पंचायत क्षेत्र में रहते हुए उन्हें अंचल कार्यालय से भूमि का पर्चा मिल सकता था, लेकिन नगर निगम में शामिल होने के बाद यह प्रक्रिया अटकी हुई है। दो विभागों के बीच द्वंद्व में फंस गए 150 परिवार :नगर निगम और अंचल कार्यालय के बीच अधिकारों को लेकर चल रहे विवाद के कारण 150 गरीब परिवारों की ज़िंदगी असमंजस में फंस गई है। भू-माफिया की नजर इस क्षेत्र पर है और कई बार जमीन विवाद को लेकर हिंसक झड़प भी हो चुकी हैं। सरकारी नियमों की अस्पष्टता और प्रशासन की लापरवाही के कारण इन परिवारों के लिए अपना घर बचाए रखना संघर्ष बन गया है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो यहां के लोग बेघर होने के कगार पर आ जाएंगे।

उपेक्षा का दंश झेलने को विवश : निगम का यह बस्ती आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां लोग वर्षों से सरकारी भूमि या गैर-मजरूआ आम भूमि पर झोपड़ियां बनाकर रह रहे हंै। नगर निगम में शामिल होने के बाद उनकी भूमि का पर्चा बनने की प्रक्रिया ही अधर में लटक गई है। इन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है। सफाई की व्यवस्था काफी लचर है। ये लोग सामाजिक उपेक्षा का भी दंश झेलने को विवश हैं। स्थानीय निवासी पुनीता देवी, पूनम देवी, गोविन्द सदाय, दिलीप सदाय ने बताया कि आवास के लिए कई वर्षों से भटक रहे हैं। इस मोहल्ले में लालबाबू सदाय के घर से निर्मला देवी के घर व मुख्य सड़क से सबरी आश्रम तक जाने वाली सड़क कच्ची है। वैसे मोहल्ले की सभी गलियां कच्ची ही हंै। यहां पर नल से जल की आपूर्ति व्यवस्था लचर है। पानी के लिए बस्ती में एक ही चापाकल है।

बेघर होने का सता रहा है डर : अंचल कार्यालय का कहना है कि नगर निगम में शामिल होने के बाद बेघर लोगों को भूमि का पर्चा देने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। नगर निगम के अधिकारी भी इसे अपना कार्यक्षेत्र नहीं मानते हैं। इस कारण यहां के बसे लोग न सिर्फ बेघर बल्कि भूमिहीन भी माने जा रहे हैं। कई सालों से यहां बसे इन परिवारों ने अपने छोटे-छोटे झोपड़े बना रखे हैं। अब भूमाफियाओं की इस क्षेत्र पर नजर है। कई बार इस इलाके में जमीन विवाद को लेकर झड़प और हिंसा भी हो चुकी है। बस्ती में जल आपूर्ति की व्यवस्था तो है, लेकिन केवल 30 घरों तक ही सही तरीके से पानी पहुंच रहा है। बाकी जगहों पर पानी की पाइपलाइन फट चुकी है, जिससे पानी बर्बाद हो रहा है और सड़कें जर्जर हो गई हैं। मोहल्ले में स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई गई हैं।

स्कूल तक नहीं जा पा रहे यहां के बच्चे : शिक्षा की स्थिति भी बेहद दयनीय है। स्थानीय स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। यहां बसे परिवारों के कई बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं। जिससे उनके विकास पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। सफाई व्यवस्था की हालत भी खराब है। कूड़ा-कचरा समय पर नहीं उठाया जाता है। वहां फैली गंदगी के कारण बीमारियों का खतरा बना रहता है।

कीचड़ से पटी रहती हैं यहां की सड़कें: शबरी आश्रम के इस समुदाय के समक्ष कई समस्याएं हैं। इलाके में पानी की पाइपलाइन बिछी तो है, लेकिन सही रखरखाव न होने से केवल 30 घरों तक ही पानी पहुंच पा रहा है। टूटी पाइपलाइनों से पानी बर्बाद हो रहा है, जिससे सड़कें कीचड़ से भर गई हैं। इसकी पुख्ता व्यवस्था की जरूरत है।

समुदाय के लोगों को बनाएं आत्मनिर्भर स्थानीय निवासी फुलदाई देवी, रामरती देवी, चानो देवी, कलिया देवी, परमेश्वर सदाय, संजीत सदाय, सिकंदर सदाय, कन्हैया सदाय और अन्य ने बताया कि भूमि की समस्या का समाधान निकालना चाहिए और उचित प्रावधान बनाकर भूमि का पर्चा उपलब्ध कराना चाहिए। सुदामा सदाय, कारी सदाय, सीताराम सदाय, सूरज सदाय, अनिल सदाय, सुनील सदाय, लक्ष्मण सदाय, प्रमोद सदाय, ललन कुमार व अन्य ने बताया कि जल आपूर्ति, सफाई, स्ट्रीट लाइट और शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। सरकारी योजनाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़कर इस समुदाय के लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

आधुनिक कौशल की हो सार्थक पहल

शहर में शामिल हुए इन लोगों के लिए तकनीकी ज्ञान और आधुनिक कौशल सीखने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है। जिससे वे बेहतर रोजगार पाने में भी असफल हो रहे हैं। कुछ युवाओं ने तकनीकी ज्ञान हासिल किया भी, लेकिन स्थायी रोजगार के लिए आवश्यक पूंजी की कमी के कारण वे भी शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।

आर्थिक मदद कर हमें रोजगार दें

बोले मधुबनी अभियान के दौरान इन लोगों ने बताया कि वे सभी परंपरागत रूप से मिट्टी के कार्यों से जुड़े थे, लेकिन आधुनिक मशीनों और संसाधनों ने इनके रोजगार को छीन लिया है। जेसीबी और अन्य आधुनिक तकनीकों के कारण उनकी आजीविका खत्म होती जा रही है, जिससे वे बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। उन्हें आर्थिक मदद की जरूरत है तोकि बदलते परविेश में वे अपने आप को फिट कर सकें।

रोजगार के लिए ठोस पहल करने की जरूरत : अधिवक्ता

अधिवक्ता सियाराम सदाय ने बताया कि कानून कहता है कि साढ़े बारह साल तक कोई किसी भूमि पर निर्बाध रुप से रह रहा है, तो उसका मालिकाना हक निवास करने वालों को प्राप्त होता है। कहा रोजगार को लेकर बिहार महादलित मिशन को यहां के लोगों के लिए ठोस व कारगर पहल कने की जरूरत है। रोजगार व शिक्षा के लिए विशेष कार्य किये जाने चाहिए। यहां पर बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।

अनुदान की राशि से समुदाय का विकास संभव होगा : संजू

लंबे समय से शबरी कॉलोनी के लोगों के हक के लिए संघर्ष कर रही संजू सदाय ने बताया कि सामुदायिक भवन, रहने के लिए सामुदायिक मल्टी स्टोरी भवन, गली-नली, कौशल विकास की व्यवस्था और छोटे कारोबार के लिए सरकारी स्तर पर अनुदान की राशि उपलब्ध कराये जाने से इस समुदाय का विकास होगा। साथ ही समाज की मुख्य धारा से जुड़ पाना सहज हो पायेगा।

सामुदायिक भवन की योजना पर चल रहा काम : आयुक्त

नगर आयुक्त अनिल कुमार चौधरी ने बताया कि निगम के पास भूमि पर्चा जारी करने का अधिकार नहीं है; यह कार्य अंचल कार्यालय का है। हालांकि, नगर निगम में शामिल होने के बाद, प्रक्रिया में कुछ अस्पष्टता उत्पन्न हुई है। बताया कि यहां की अन्य समस्याओं जैसे पेयजल की समस्या का शीघ्र समाधान होगा। वहीं आवास के लिए आवेदन लिये गये हैं। व्यक्तिगत स्तर पर भूमि की अनुपलब्धता की हालत में सामुदायिक भवन बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

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