90 पैसे के कमीशन में खर्चे बेशुमार, कैसे चलाएं परिवार
मधुबनी में 40 राशन डीलर 50 हजार उपभोक्ताओं को राशन प्रदान कर रहे हैं। डीलरों को तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, खासकर पीओएस मशीनों के कारण। वे उम्र सीमा हटाने और उचित भुगतान की मांग कर रहे...
मधुबनी। शहरी क्षेत्र में करीब जनवितरण प्रणाली से जुड़े 40 डीलर हैं, जो 50 हजार उपभोगताओं को राशन उपलब्ध करा रहे हैं। डीलरों का काम अनाज को उचित वितरण कर लोगों तक पहुंचाना है, लेकिन इस प्रक्रिया में कई तकनीकी और प्रबंधकीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इन कारणों से डीलरों को विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। राशन वितरण कर रहे डीलरों के सामने पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) मशीन से जुड़ी समस्या प्रमुख है। डीलर जय नारायण यादव बताते हैं है कि विभाग ने अनाज वितरण प्रक्रिया को डिजिटलाइज कर दिया है, जिससे हर चीज को ट्रैक करना और सही ढंग से वितरण करना आसान हुआ है। लेकिन इस बदलाव के बाद डीलरों को पीओएस मशीन से जुड़ी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस मशीन की बैटरी अक्सर खराब हो जाती है और डीलरों को खुद ही इसे ठीक करना या बदलना पड़ता है। इसके अलावा इन मशीनों में इस्तेमाल होने वाले रोल भी केवल एक बार मुफ्त मिलते हैं। उसके बाद डीलरों को खुद ही खरीदना पड़ता है। इससे उनकी व्यावसायिक लागत पर असर पड़ता है।
उम्र सीमा को करना चाहिए खत्म: अपनी समस्याओं के बारे में डीलरों ने बताया कि सरकार को राशन डीलरों के लिए निर्धारित 58 वर्ष की उम्र सीमा को समाप्त कर देना चाहिए। उनका मानना है कि इस उम्र सीमा के कारण बहुत से डीलरों को उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता। जबकि अन्य क्षेत्र में उम्र सीमाओं को बढ़ाया जा रहा है। डीलर मनोज कुमार का कहना है कि 58 वर्ष के पार होने पर उनका लाइसेंस उनके परिवार के किसी सदस्य को नहीं मिलता है, जबकि राशन वितरण के कार्य में उनका पूरा परिवार लगा रहता है। डीलर चाहते हैं कि सरकार इस नीति में बदलाव करे और किसी भी राशन डीलर के परिवार के सदस्य को लाइसेंस देने का अधिकार दे, ताकि परिवार का भरण-पोषण चलता रहे। जनवितरण प्रणाली विकेताओं ने बताया कि कई बार बाहरी राशनकार्डधारी राशन का उठाव कर लेते हैं। इससे स्थानीय कार्डधारकों के लिए समस्या उत्पन्न हो जाती है।
राशन डीलरों का कहना है कि सरकार द्वारा राशन वितरण के लिए जो भुगतान किया जाता है, वह बहुत ही कम है। उन्हें 90 पैसे प्रति किलो के हिसाब से भुगतान मिलता है, जो उनके लिए अपर्याप्त है। डीलरों का कहना है कि इस मामूली रकम से राशन वितरण की पूरी प्रक्रिया चलाना मुश्किल हो जाता है। उन्हें परिवहन, भंडारण, मजदूरों का वेतन और अन्य खर्चों को भी ध्यान में रखना पड़ता है। इन सब खर्चों को पूरा करने के बाद उनके पास बहुत कम बचता है, जिससे उनका जीवनयापन करना भी कठिन हो जाता है। डीलरों का कहना है कि सरकार को इस भुगतान को बढ़ाकर उन्हें उचित आर्थिक मदद प्रदान करनी चाहिए, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर सकें।
बाहर के राशन धारकों से होती है समस्या
राशन डीलरों का कहना है कि कई बार बाहरी राशन कार्डधारी शहर में आकर राशन उठाते हैं, जिससे स्थानीय राशन कार्ड धारकों को राशन मिलने में परेशानी होती हैं। इन बाहरी व्यक्तियों के कारण, पहले से मौजूद स्थानीय लाभार्थियों को उनका हक समय पर नहीं मिल पाता है। डीलरों का कहना है कि उन्हें इस स्थिति का सामना करने के लिए कई बार दबाव का सामना करना पड़ता है, क्योंकि राशन की मात्रा सीमित होती है और यह सभी के लिए पर्याप्त नहीं हो पाती। इससे स्थानीय लोगों में असंतोष और परेशानी पैदा होती है। डीलरों का मानना है कि इस समस्या का समाधान यह है कि सरकार को राशन वितरण प्रणाली में सुधार लाकर बाहरी कार्डधारियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। ताकि स्थानीय राशन कार्ड धारकों को उनकी जरूरत का राशन समय पर मिल सके और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।
मांगों को लेकर 13 दिनों तक हड़ताल पर बैठे थे डीलर
राशन डीलरों ने अपनी आठ सूत्री मांगों को लेकर हरताल की घोषणा की थी, जिसमें मुख्य रूप से 30,000 रुपये प्रति माह मानदेय 300 रुपये प्रति क्विंटल राशन वितरण का शुल्क और पूर्ण अनुकम्पा सहित अन्य मांगें शामिल थीं। डीलरों ने संबंधित अधिकारी से इन मुद्दों के समाधान की मांग की थी। डीलरों की मांगों को लेकर आश्वासन दिया गया। बातचीत के बाद डीलरों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी। आश्वासन के बाद राशन वितरण कार्य को पुन: शुरू किया।
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