सफाई कर्मियों के पास सुविधाओं का टोटा
मधुबनी नगर निगम के सफाई कर्मियों के पास आवश्यक संसाधनों की कमी है, जिससे उन्हें काम में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम करने वाले लगभग 450 मजदूर भी सुविधाओं के अभाव...
मधुबनी। मधुबनी नगर निगम में काम करने वाले सफाई कर्मियों के पास आवश्यक संसाधनों की घोर कमी है। आवश्यक सुविधाएं भी इन्हें नहीं दी जा रही है। जिससे प्रतिदिन इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। काम की अधिकता व बढ़े बोझ के बाद भी इन्हें आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। नगर निगम में विभागीय सफाई कर्मी भी काम कर रहे हैं। इनकी संख्या दो दर्जन है। वहीं आउटसोर्सिंग माध्यम से लगभग 450 मजदूर प्रतिदिन काम कर रहे हैं। आउटसोर्सिंग मजदूर की बात तो दूर निगम के विभागीय सफाईकर्मियों के पास भी जरूरी संसाधन नहीं हैं। इन्हें जूता, ग्लब्स या अन्य संसाधन नियमित रुप से नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सर्वेक्षण में पिछड़ने की आशंका
स्वच्छता सर्वेक्षण में पहली बार सफाई कर्मियों को उपलब्ध सुविधाओं के मामले को शामिल किया गया है। सर्विस में स्वच्छता मित्र को दी जाने वाली सुविधाओं को शामिल किया गया है। इसके लिए 1500 अंक निर्धारित किए गए है। लेकिन शहर में काम करने वाले सफाई मित्रों की स्थिति काफी खराब है। सुविधाओं के अभाव में ये लोग काम करने को विवश हैं। इस हालत में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में खराब हालत होने की ही आशंका जताई जा रही है। सर्वेक्षण में पहली बार बैकलेन शामिल : इस बार के सर्वेक्षण में पहली बार बैकलेन के मुद्दे को शामिल किया गया है। इस बार थ्री आर यानी रिड्यूज, रियूज, रिसाइकिल और बैकलेन (घर के पीछे की गली) पर विशेष फोकस किया गया है।
इस हिसाब से शहर के वार्डों में अब तक थ्री आर से संबंधित ठोस व कारगर उपाए नहीं देखने को मिला है। स्थानीय लोगों के द्वारा अबतक छत के पीछे कचरा फेंकने की आदत नहीं बदली है। जो शहर की गंदगी का प्रमुख कारण माना जा रहा है। यह समस्या हर वार्ड में कमोबेश मौजूद है। जिससे सीवर लाइन वर्क से गड्ढों में कीचड़ और नाला में कचरा जमा होने से आवागमन प्रभावित होता है।
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