सड़कों पर मछली बेचने की मजबूरी प्रशिक्षण व पूंजी से संवरेगी किस्मत
मधुबनी शहर में स्थायी मछली बाजार की कमी है। करीब 400 मछली दुकानदार सड़क किनारे दुकान लगाते हैं, जिससे उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पुलिस द्वारा दुकानें हटाने की कार्रवाई से व्यवसाय...
मधुबनी। मधुबनी शहरी क्षेत्र में कोई स्थायी मछली बाजार नहीं है। अनुमान के मुताबिक शहर में करीब 400 से अधिक लोग मछली की दुकान चलाते हैं, लेकिन सभी दुकानें शहर की सड़कों के किनारे सजती हैं। खुले में दुकानें होने से विक्रेताओं के साथ ग्राहकों को भी दिक्कत होती है। जाम व अतिक्रमण के नाम पर पुलिस जब चाहे, इन्हें हटा देती है। मछली दुकानदारों का दर्द है कि उन्हें न कोई सरकारी सहायता मिलती है और न ही साधन-संसाधन के लिए बड़ी पूंजी। दुकानदारों ने बताया कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी उनलोगों को नहीं मिल पाता है और न ही विभाग इस बारे में कोई जानकारी देता है। लोगों का कहना है कि शहर में स्थायी जगह के साथ पूंजी व प्रशिक्षण मिले तो उनकी किस्मत भी संवर सकती है।
अभी शहर के गदयानी मोहल्ला, कोतवाली चौक, भौआरा चौक, गिलेशन बाजार व अन्य स्थानों पर मछली की दुकान लगानी पड़ती है। दुकानदारों ने बताया कि सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों के तालाब से मछली लेकर बेचने के लिए शहर में आते हैं लेकिन यहां कई चुनौतियों से जूझना पड़ता है।
वे दिन में 11 बजे तक और शाम में 4 बजे से सड़क किनारे मछली दुकान लगाते हैं। मछली व्यवसायियों के अुनसार गिलेशन बाजार में मछली शेड है लेकिन वह किसी काम का नहीं है। वह पूरी तरह जर्जर है। हालत ऐसी है कि मछली दुकानदार अब उसमें सामान भी नहीं रखते हैं। मछली व्यवसायी राम नारायण सहनी ने बताया कि वर्षों से सड़क के किनारे ही दुकान लगा कर मछली बेचते आ रहे हैं और इसी से कमाई कर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं।
मछली व्यवसायियों का कहना है कि नगर निगम और स्थानीय प्रशासन से कई बार स्थायी मछली बाजार बनाने की मांग की लेकिन न तो नगर निगम प्रशासन और न स्थानीय प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है। दुकानदार अनिल कुमार ने बताया कि मछली व्यवसायी किसी तरह रोज की समस्याओं को झेलकर आजीविका चला रहे हैं।
मछली व्यापारी अनिल कुमार व अन्य ने बताया कि वे लोग नगर निगम क्षेत्र में सड़क किनारे मछली दुकान लगाते हैं। इससे सड़क जाम की समस्या हो जाती है। राहगीरों को आने-जाने में समस्या होती है। पुलिस इसको लेकर कभी जुर्माना करती है तो कई बार तो दुकान भी हटा दिया जाता है इस वजह से ग्राहक वहां से मछली बिना खरीदे चले जाते हैं। इससे व्यवसाय पर असर पड़ता है।
दुकानदारों ने बताया कि कम देर दुकान लगने से मछली नहीं बिक पाती है। अधिक देर पानी से बाहर रहने के कारण मछली मर जाती है। मरी हुई मछली कोई खरीदना नहीं चाहते हैं। ऐसे में उन्हें हर दिन नुकसान होता है। कई दिन तो मछली की लागत भी नहीं निकल पाती है।कई बार बड़े कारोबारी मछली उधार ले लेते हैं। घाटा होने में दुकानदारों को जेब से भरना पड़ता है। इससे कर्ज के बोझ के नीचे दबते चले जाते हैं। बारिश के मौसम में सड़कों पर मछली की दुकान लगाना कारोबारों के लिए मुश्किल हो जाता है।सड़क पर जलजमाव से भी दुकानदारों को उचित जगह तलाशनी पड़ती है। हर जगह दुकानें लगाने नहीं दी जाती हैं। इन सभी समस्याओं के बीच मछली कारोबारियों के सामने पूंजी की सबसे अधिक समस्या होती है। योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से दुकानदारों को कारोबार में परेशानी आ रही है।
प्रस्तुति: शशि चंद्र झा।
स्टेडियम रोड में खाली भूमि पर बनेगा स्थायी बाजार
नगर आयुक्त अनिल कुमार ने बताया कि शहर में सड़क पर मछली और मांस कारोबारियों की समस्या को ध्यान में रखते हुए एक अहम कदम उठाने का प्रस्ताव रखा है। इन कारोबारियों को सड़क पर दुकानें लगाने के कारण होने वाली अव्यवस्थाओं और ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए स्थाई मछली बाजार बनाने की योजना तैयार की जा रही है। इस स्थाई बाजार को शहर के स्टेडियम रोड के पास स्थित नगर निगम की खाली जमीन पर स्थापित किया जाएगा। यहां पर सभी मांस और मछली कारोबारी जो सड़क किनारे अपनी दुकानें लगाकर व्यापार कर सकेंगे, इससे न केवल कारोबारी वर्ग को एक स्थिर और सुरक्षित जगह मिलेगी, बल्कि यातायात और सड़क की साफ-सफाई में भी सुधार होगा।
मछली व्यापारियों को नही मिलता सरकारी योजनाओं का लाभ
मछली दुकानदार राम नारायण सहनी ने बताया कि कई बार सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए आवेदन किया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। इस रोजगार में पूंजी के अभाव से लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ता है बाहरी लोगों से अधिक ब्याज दरों पर पैसा लेना पड़ता है ।
व्यापार में नुकसान के बाद कर्ज का बोझ इतना ज्यादा हो जाता है कि उस कर्ज के बोझ को हल्का करने के लिए किसी ओर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों के लिए पलायन करते हैं।
सड़क किनारे दुकान लगाने पर परेशान करती है पुलिस
शहर में मछली व्यापारियों ने बताया कि सड़क के किनारे मछली दुकान लगाने पर पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार परेशान किया जाता है। स्थायी मछली बाजार की कमी के कारण व्यापारी अपनी दुकानों को सड़क पर ही लगाते हैं। सड़क किनारे मछली बेचने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। पुलिस द्वारा कई बार व्यापारियों को सड़क खाली करने के निर्देश दिया गया है। पुलिस द्वारा कार्रवाई करने से व्यापारियों को भारी नुकसान होता है। दुकान नहीं लगा पाने की स्थिति में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बारिश के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जब सड़क पर पानी जमा हो जाता है और मछली के व्यापार में और भी मुश्किलें आ जाती हैं।
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