प्रशासन स्टेडियम बना दे तो हर घर में दिखेंगे मेडल
मधुबनी जिला मुख्यालय में खेल का कोई भी मैदान नहीं है, जिससे खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर नहीं मिल रहा है। स्टेडियम की खराब स्थिति के कारण स्थानीय लोग भी परेशान हैं। स्थानीय प्रतिनिधि और...

मधुबनी। जिला मुख्यालय में खेल का एक भी मैदान नहीं है। इस कारण खिलाड़ियों को प्रतिभा निखारने का अवसर नहीं मिल रहा है। नौनिहालों को अगर शुरू से ही बेहतर संसाधन उपलब्ध करायी जाए तो एक दिन जिले समेत राज्य और देश का नाम रोशन करेंगे। हमारे खिलाड़ी न्यूनतम संधासन में भी चमक बिखेड़ने में सक्षम हैं। सोचिए अगर बेहतर संसाधन हो तो क्या-क्या हो सकता है। जिले में खेल और मैदान को लेकर की जा रही सभी सरकारी पहल जिला मुख्यालय में बेदम साबित हो रही है। एक भी बड़ा मैदान नहीं होने के कारण खिलाड़ियों के साथ आम लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह में मॉर्निंग वॉक हो या फिर बच्चों के विभिन्न खेल का मामला। मैदान की समस्या हर वर्ग को झेलनी पड़ रही है।
जिला मुख्यालय का एकमात्र मधुबनी स्टेडियम की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। सीएम के सामने यह मामला दर्जनों बार उठाया जा चुका है। स्थानीय प्रतिनिधि से लेकर वरीय अधिकारी भी स्टेडियम के जिर्णोद्धार की दिशा में कोई पहल नहीं कर रहे हैं। जमींदोज हो रहे मधुबनी स्टेडियम को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया जा चुका है। इसकेबाद विभाग हरकत में आया। लेकिन वह भी बेदम ही साबित हुआ। वरीय अधिवक्ता महताब आलम ने इसे व्यापक जनहित का मामला बताते हुए जनहित दायर किया था। वहीं, स्थानीय लोगों ने दर्जनों बार जमींदोज हो रहे स्टेडियम को लेकर शहरी विकास, पर्यावरण और संसाधन, लोकहित व जवाबदेही का मामला बताते हुए जीर्णोद्धार के लिए गुहार लगायी है। लगभग चार वर्षों से इसके निरीक्षण, डीपीआर की तैयारी और विभिन्न मंचों पर मामला उठाया जा चुका है। यह मामला विधानसभा, सीएम जनता दरबार, सीएम की विभिन्न यात्राओं में भी यह उठाया जा चुका है। स्टेडियम की ईंट और रॉड की चोरी हो गई है। पूरा स्टेडियम गंदगी, जलजमाव और कचरा से पट चुका है। प्राक्कलन व तकनीकी स्वीकृति का पेच वर्षो से फंसा हुआ है। जिले में खेल व खिलाड़ियों के समेकित विकास के लिए वर्ष 1983 में इस स्टेडियम का निर्माण किया गया था।
स्थानीय स्तर पर भी उठता रहा आवाज: स्टेडियम के जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय स्तर पर आवाज उठाया गया। कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से विधानसभा में आवाज उठाया गया। हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर ने विधानसभा में इस मामला को उठाया था। वहीं, पूर्व मंत्री सह विधायक समीर कुमार महासेठ ने सीएम की यात्रा के दौरान हुई बैठक में इसकी बदहाली का सवाल उठाया था। इसके बाद सीएम ने इसके शीघ्र निर्माण का निर्देश दिया था। यहां पर मुख्यालय से लेकर जिलास्तर तक के सभी वरीय पदाधिकारियों का दौरा हुआ है और शीघ्र स्टेडियम निर्माण का आश्वासन दिया गया। कुछ ही दिनों के बाद इसके जीर्णोद्धार के लिए कुछ उठी लौ बुझ गई।
बेहतर प्रदर्शन का बना है गवाह: यह स्टेडियम अपने शुरू के दिनों से ही कई प्रसिद्ध खेल का गवाह बना है। यहां पर कई जिलास्तरीय व राज्यस्तरीय खेल प्रतिस्पर्धा का आयोजन हो चुका है। स्थानीय स्तर पर प्रतिदिन खेल गतिविधियों का यह एकमात्र अड्डा रहा है। राजनीतिक गतिविधियों का तो केंद्र ही रहा है। यहां पर केंद्रीय मंत्रियों व राजनेताओं के साथ ही विभिन्न सीएम की जनसभा भी हुई है। खिलाड़ियों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रौशन करने का अवसर प्राप्त हो चुका है।
शिक्षण संस्थानों का ग्राउंड भी खराब: जिला मुख्यालय में चार कॉलेज और तीन प्लस टू उच्च विद्यालय हंै। यहां पर आरके कॉलेज, जेएन कॉलेज, डीएनवाई कॉलेज, महिला कॉलेज, वाटसन प्लस टू उवि, शिवगंगा बालिका प्लस टू उवि और सूड़ी प्लस टू उवि यहां पर संचालित है। इसमें महिला कॉलेज व शिवगंगा बालिका प्लस टू केवल अपनी छात्राओं के लिए ही और वह भी संस्थान संचालन अवधि में ही उपयोग में लाया जाता है। शिवगंगा बालिका में ग्रांउड की हालत खराब है।
पंडौल में होता है खेल आयोजन: सभी सरकारी और गैर सरकारी खेल का आयोजन पंडौल में करना पड़ता है। ये बदहाली खिलाड़ियों के उज्जव भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा रही है।
बोले जिम्मेदार: हर पंचायतों में हो रहा खेल मैदान का निर्माण
जिला खेल उपाधीक्षक नीतीश कुमार ने कहा किजिले में खेल के विकास के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की गयी है। हर पंचायत में मनरेगा से खेल मैदान का निर्माण किया जा रहा है। जिला मुख्यालय में स्टेडियम के निर्माण का काम तेजी से आगे बढ़ाया गया है। रहिका अंचल को इसके सीमांकन करने का आदेश दिया गया है। निविदा की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। वहीं शहर में खेल भवन में कई खेलों की सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है। प्रतिदिन खेल का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। खेल के विकास के लिए कई गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। ताकि हर खेल में बच्चे आगे बढ़ सके।
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