मैथिली पुस्तक इन्द्रधनुष का हुआ लोकार्पण
मधुबनी में डॉ. नरेंद्र नारायण सिंह की मैथिली पुस्तक 'इन्द्रधनुष' का लोकार्पण हुआ। पुस्तक में मिथिला चित्रकला, ऐतिहासिक घटनाएं और समकालीन व्यक्तित्वों का वर्णन है। पद्मश्री दुलारी देवी ने इसे संग्रहणीय...
मधुबनी, नगर संवाददाता। अकादमी मधुबनी के तत्वावधान में डॉ. नरेंद्र नारायण सिंह लिखित मैथिली पुस्तक इन्द्रधनुष का लोकार्पण उनके आवासीय परिसर में किया गया। इस पुस्तक को डॉ. प्रतिमा कुमारी संपादित और स्नेहलता कुमारी ने प्रबंधकीय संपादित किया है। नवारंभ प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। पद्मश्री दुलारी देवी ने कहा कि यह पुस्तक समकालीन व्यक्तियों, ऐतिहासिक घटनाओं और मिथिला चित्रकला पर चित्रित है। स्वागत संबोधन करते हुए आर के कालेज के मैथिली विभाग के प्रो. डॉ अरविंद कुमार सिंह झा ने कहा कि यह पुस्तक संग्रहणीय है एवं इन्द्रधनुष नाम को चरितार्थ करता है। साहित्यकार आनंद मोहन झा ने पुस्तकीय चर्चा में कहा कि इस पुस्तक में अनेकों मंदिर, दलित श्रद्धास्पद व्यक्तित्व सलहेस, कर्णाट वंश पर प्रकाशित पुस्तक की समीक्षा की गई है।
डॉ एस बालक ने कहा कि यह पुस्तक में मिथिला चित्रकला के विभिन्न आयाम, भास्कर कुलकर्णी से लेकर कलाकार लक्ष्मीनाथ झा चित्रकार और अमेरिका के रेमंड तक का इस कला में योगदान और जापान में मिथिला म्यूजियम तक के सफर एवं श्रीमती गंगा देवी एवं दुलारी देवी की जीवनी, सिक्की कला, संग्रहालय और संगीत परंपरा पर निबंध एवं साक्षात्कार संग्रहित हैं। डॉ शिवकुमार पासवान ने कहा कि इस पुस्तक में भारत-नेपाल रेलखंड के ऐतिहासिक एवं शोधात्मक आलेख को प्रस्तुत किए गए हैं। निदेशक डॉ. रामश्रृंगार पाण्डेय ने कहा कि यह पुस्तक स्थानीय एवं आंचलिक होते हुए भी विश्व-संदर्भ को प्रस्तुत करती है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत अजित आजाद ने ज़ूम के माध्यम से कहा कि यह पुस्तक मिथिला लोक चित्रकला के उद्भव एवं विकास से लेकर जितवारपुर से जापान तक की यात्रा को बेखूबी उकेरा है। डॉ अरविंद कुमार झा ने कहा कि इस पुस्तक में मिथिला चित्रकला में यौन शिक्षा का इतिहास को भी स्थान मिला है। संचालन के क्रम में साहित्यकार उदय जायसवाल ने कहा कि इस पुस्तक में लोक देवता के रूप में राजा हरिसिंह देव, बाबू वीर कुंवर सिंह, सूरज बाबू, जय प्रकाश नारायण, ब्रह्मदेव नारायण चौधरी जैसे व्यक्तित्वों एवं नरार के किसान आंदोलन का ऐतिहासिक चित्रण है। डॉ नरेन्द्र नारायण सिंह ‘निराला ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि इस पुस्तक में दुलारी देवी की तीस पेंटिंग संकलित है, आज तक के सभी पुरस्कृत कलाकारों की सूची दी गई है मैथिली की शिक्षिका, डॉ. पुष्प लता झा ने कहा कि मैथिली में सामाजिक कला एवं ऐतिहासिक विषयों पर यह पहली प्रकाशित पुस्तक है। इस लोकार्पण अवसर पर ज्योति रमण झा, सुभाष चन्द्र स्नेही, नरेंद्र प्रताप सिंह, विनय विश्वबंधु, नवनीत, एवं रोहित कुमार आदि उपस्थित थे।
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