कचरा निस्तारण में लापरवाही से फैल रहा प्रदूषण
जयनगर नगर पंचायत की लापरवाही के कारण कई दशकों से कचरा निस्तारण की स्थायी व्यवस्था नहीं हो पाई है। कूड़ा सड़कों पर फेंका जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है। नगर पंचायत प्रति माह 10 लाख...
जयनगर। नगर पंचायत प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते कई दशक बीत जाने के बावजूद कचरा निस्तारण की स्थायी व्यवस्था अबतक नहीं हो पायी है।यहां शहरी क्षेत्र के कूड़े कचड़ों को इधर उधर सड़क किनारे जहां खाली जमीन मिल जाय वहां फेंकने की परंपरा रही है। शहरी लोगों के विरोध के बाद कई वर्षों तक रेलवे की खाली जमीन में जहां तहां नप के द्वारा कचरा फेंका जाता रहा। फिर जब रेलवे ने सख्ती की तो हाल के वर्षों तक जयनगर बाजार के पूर्वी छोड़ पर बहने वाली कमला नदी के किनारे मुक्तिधाम के आसपास काफी दूर में फैले रेत पर कचड़ा निस्तारण किया जाता रहा। वहां भी मुहल्ले के लोगों के प्रबल प्रतिरोध के बाद जबरन कचरा डम्प किया जाता रहा। कहा जाता रहा कि वैकल्पिक व्यवस्था होने तक यहीं फेंकेगे। अब कुछ महीनों से कमला नदी के उस पार पूरब उत्तर की दिशा में जयनगर मांडर नेपाल रोड के किनारे बेला बेतोनहा मौजे में एक प्राइवेट लेंड में कचरे का निस्तारण किया जा रहा है। यह व्यवस्था भी इतनी लुंज पुंज है कि सड़क के किनारे ही कचरे को फेंक दिया जाता है जिससे इंडो नेपाल संपर्क सड़क से गुजरने वाले लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
जयनगर नगर पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के निकम्मेपन की हद ने उन्हें आमलोगों की नजर में पूरी तरह बेपर्द कर दिया है। गंदगी, प्रदूषण व साफ सफाई के अभाव की जिल्लत लोग झेल रहे है लेकिन जिनकी जिम्मेदारी है वे संवेदनहीन बने हुए हैं। जयनगर नगर पंचायत कचरा उठाव व निस्तारण के मद में प्रति माह 10 लाख रुपये खर्च करती है। आउट सोर्सिंग एजेंसी को कुल 14 वार्डों वाले नप क्षेत्र के कचरा उठाव व निस्तारण की जिम्मेदारी दी गयी है। 10 से 14 वार्ड तक में साफ सफाई का जिम्मा भी इसी एजेंसी के पास है। लेकिन कचरा संग्रह व उठाव की व्यवस्था संतोषप्रद होने के बाद भी निस्तारण की स्थायी व्यवस्था नहीं हो पाना नगर पंचायत की अक्षमता व अकर्मण्यता का प्रमाण है। अब बहाना बनाया जा रहा है कि जमीन ढूंढी जा रही है।
नगर पंचायत के मुख्य पार्षद कैलाश पासवान ने कहा कि जिला प्रशासन व अनुमंडल प्रशासन को शहरी क्षेत्र से बाहर कचड़ा डंपिंग यार्ड के लिये जमीन उपलब्ध कराने को अनुरोध किया गया है ताकि निस्तारण की स्थायी व्यवस्था हो सके। नप प्रशासन भी अपने स्तर से लीज पर जमीन लेने का प्रयास शुरू कर चुका है। फिलहाल शहरी क्षेत्र से दूर एक स्थानीय व्यक्ति की अनुमति से उनकी निजी खाली पड़ी जमीन में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत निस्तारण किया जा रहा है।
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