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स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्रों की हालत पस्त

जिले में स्वास्थ्य केन्द्र और उप केंद्रों की स्थिति काफी खराब है। इन जगहों पर डॉक्टर की पोस्टिंग के बावजूद भी अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर ताला लटका रहता है स्वास्थ्य कर्मी भी नियमित नहीं आते।...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीSat, 12 Sep 2020 12:02 PM
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जिले में स्वास्थ्य केन्द्र और उप केंद्रों की स्थिति काफी खराब है। इन जगहों पर डॉक्टर की पोस्टिंग के बावजूद भी अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर ताला लटका रहता है स्वास्थ्य कर्मी भी नियमित नहीं आते। खासकर कोरोना काल में इन जगहों पर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी का नहीं रहना काफी अखरता है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉक्टर और कर्मियों का अभाव इसका कारण मानते हैं।

अनुमंडलीय और रेफरल अस्पताल में होता है इलाज:

मधुबनी | जिले में 58 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र संचालित हैं। इनमें सभी जगहों पर एएनएम की तैनाती की गई है। मगर ग्रामीण इलाके में संचालित उपस्वास्थ्य केन्द्र प्रतिदिन नहीं खुलता है। अगर कहीं खुलता है तो वहां डॉक्टर की ऑन पेपर ड्यूटी रहने के बाद भी नहीं पहुंचते हैं। लोगों को कहना है कि उपस्वास्थ्य केन्द्र पर अत्यावश्यक दवाएं भी उपलब्ध नहीं रहती हैं। इसके अलावा जिले में 10 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और 11 पीएचसी में मरीजों की देखभाल की जाती है। प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि इन केन्द्रों के अलावा जिले में तीन अनुमंडलीय अस्पताल भी हैं। झंझारपुर, जयनगर और फुलपरास में अनुमंडलीय अस्पताल चल रहे हैं।

सुविधा विहीन हैं अतिरिक्त उपस्वास्थ्य केद्र:

बेनीपट्टी | बेनीपट्टी में संचालित अतिरिक्त उपस्वास्थ्य केद्रों की हालत दयनीय है। कहने को तो सभी केंद्रों पर चिकित्सक का प्रतिनियोजन है। पर सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। चिकित्सक तो क्या पदस्थापित नर्स भी केद्रों पर नहीं रहतीं हैं। कुछ एक केंद्रों को छोड़ दें तो कईयों पर ताला भी नहीं खुलता है। जबकि सर्दी-खांसी और बुखार की मरीजों में वृद्धि देखी जा रही है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हो या उपस्वास्थ्य केंद्र सभी की हालत एक जैसी है। चिकित्सकों की कमी के कारण उपस्वास्थ्य केंद्रों का ताला महीनों तक झूलता रहता है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पीएन झा ने बताया कि पीएचसी में चिकित्सकों की घोर कमी है। स्वास्थ्य उपकेंद्रों की बात तो दूर अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केद्रों पर पदस्थापित चिकित्सकों से पीएचसी में ड्यूटी लेना मजबूरी है।

अधिकांश समय बंद रहते है उपस्वास्थ्य केंद्र:

जयनगर | सरकारी स्वास्थ्य विभाग की फाइलों में प्रखंड के कुल सोलह उप स्वास्थ्य केन्द्र व दो अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र भले ही ऑपरेटिव दिखता हो हकीकत इसके ठीक विपरीत है। अधिकांश स्वास्थ्य उप केन्द्र हमेशा बंद रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बड़ी आबादी आरएमपी व नीम हकीमों के उपर निर्भर है। स्वास्थ्य प्रबंधक अर्चना भट्ट का दावा करती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में उप केन्द्रों पर तैनात एएनएम सामान्य दिनों में ओपीडी संचालित करती हैं। केन्द्रों पर दवा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, लेकिन ग्रामीणों की शिकायतें मिलती हैं कि उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर ताला लटका रहता है। हफ्ते में दो दिन टीकाकरण इसके अलावे एएनएम केन्द्र से अनुपस्थित रहती हैं।

नहीं खुलता है अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र:

खजौली | खजौली प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में बनाये गये अतिरिक्ति उप स्वास्थ्य केंद्र संचालन की स्थिति काफी दयनीय है। प्रखंड में 16 उप-स्वास्थ्य केंद्र है। इसमें कन्हौली, बेंताककरघटी, कसमा मरार एवं बिरौल उपस्वास्थ्य केंद्र कभी भी नहीं खुलती है, ऐसा स्थानीय लोगों की शिकायत है। कन्हौली मुखिया रामाशीष सिंह ने स्थानीय पीएचसी प्रभारी एवं जिला से कई बार पत्राचार कर उप स्वास्थ्य केंद्र की वर्तमान स्थिति एवं नहीं खुलने की शिकायत की है। केंद्र खुलने एवं केंद्र पर नियमित रूप से चिकित्सक एवं एएनएम को आने मांग की है। हेल्थ मैनेजर प्रभात कुमार ने बताया कि पीएचसी में कर्मी की कमी का देखते हुए एएनएम की पीएचसी में प्रतिनियुक्ति की गई है।

स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर नहीं रहते एएनएम:

बासोपट्टी | बासोपट्टी प्रखंड के कई स्वास्थ्य उपकेंद्र गुरुवार को बंद पाये गए। सभी स्वास्थ्य उप केंद्रों पर एएनएम केवल टीकाकरण करने जाती है। बांकी दिन बंद ही रहता है। दो बजे एडिशनल पीएचसी छतौनी का विजिट किया गया जंहा पीएचसी बंद था। वार्ड सदस्य पंकज कुमार सिंह आदि ने बताया कि यह एपीएचसी डेढ़ बजे तक ही खुलता है। ड्रेसर आते है एवं खोल कर डेढ़ बजे तक ही रहता है। एएनएम कभी कभार आते है। चिकित्सक तो कभी नही रहते है। इन लोगों ने बताया कि इस अस्पताल में दवा का भी अभाव रहता है। सांप काटने की भी दवा यहां नहीं है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सीताराम महतो ने बताया कि पीएचसी में चिकित्सक की कमी के कारण छतौनी एपीएचसी के चिकित्सक को यंहा तैनात किया गया है।

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एएनएम के सहारे:

लौकही | सरकार स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थिति को लगातार संवारने का दावा कर रही है। लेकिन लौकही प्रखंड में यह दावा खोखला साबित हो रहा है। यहां पांच एडीशनल पीएचसी है। इनमें केवल एक मात्र महादेवमठ में एक डॉक्टर की पोस्टिंग है, अन्य जगहों पर केवल एएनएम की पोस्टिंग की गई है। सबसे बदतर स्थिति मंसापुर एडीशनल पीएचसी का है। दिन के 12 बजकर 15 मिनट हो रहा है। मंसापुर के ग्रामीण सुरेश प्रसाद गुप्ता और नवोनाथ पाठक स्वास्थ्य केन्द्र के करीब खड़े है। वे बताते हैं कि उन्हें कुछ गैस की शिकायत है, लौकही जाना है। पूछने पर यहां तो स्वास्थ्य केन्द्र है। इसके बाद वे भड़क जाते है। सामने के खंडहरनुमा भवन को दिखाते हुए कहते हैं कि यही अस्पताल है।

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