िबना स्वीकृति के खेल मैदान कर रहे ‘बर्बाद
झंझारपुर में गिरधारी चौरसिया हाई स्कूल के खेल मैदान को बिना किसी अनुमति के बास्केटबॉल, वॉलीबॉल और बैडमिंटन कोर्ट में बदल दिया गया। इस निर्णय के खिलाफ स्थानीय युवा और स्कूल के छात्र-छात्राएं विरोध कर...
झंझारपुर। ना एनओसी दिया और ना किसी प्रकार की लिखित या मौखिक स्वीकृति ही दी। बाबजूद जबरन स्कूल के खेल मैदान में विभिन्न कोर्ट बनाकर बर्बाद क दिया। इलाके के युवक व स्कूली छात्र मैदान में क्रिकेट खेलते थे। कई क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता था। अब मैदान को बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन और रनिंग ट्रैक में बदल दिया है। यह दर्द प्रखंड के संतनगर पंचायत स्थित गिरधारी चौरसिया हाई स्कूल के हेड मास्टर, शिक्षक, विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य, अध्यक्ष के अलावा स्थानीय युवा व छात्र-छात्राओं के मुंह से निकल रहा है। पंचायत के मुखिया आरती देवी भी यह मानते हैं कि इस मैदान में अब क्रिकेट का खेल नहीं होगा। क्यों हुई ऐसी स्थिति: फिट इंडिया के तहत प्रखंड के 15 जगह पर खेल मैदान बनाया जा रहा है। जिसमें एक खेल मैदान संतनगर पंचायत के गिरधारी चौरसिया हाई स्कूल सह मिडिल स्कूल के संयुक्त मैदान में भी बनाया गया। कार्य की शुरुआत हुई। सीएम ने ऑन लाइन शिलान्यास किया। स्कूल के कुछ जवाब देह लोगों ने मैदान के स्वरूप को बचाने के लिए कुछ विरोध जताया। मगर प्रशासन ने हनक दिखाकर मनरेगा से यह काम प्रारंभ कर दिया गया। कुछ ग्रामीणों ने बताया की यहां के युवकों को क्रिकेट पसंद हैं। उसे जबरन बास्केटबॉल वॉलीबॉल बैडमिंटन खिलाया जाएगा। विद्यालय के प्रभारी हेड मास्टर उमेश कुमार चौधरी ने बताया कि उनसे पंचायत के मुखिया ने कार्य आदेश देने को कहा। हेड मास्टर इंकार कर जानकारी विद्यालय प्रबंधन समिति के पास भेजी। विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष शिव कुमार ने कहा कि प्रबंधन समिति की मौखिक या लिखित कोई स्वीकृति नहीं है। मुखिया ने कहा प्रशासन का बहुत दबाव है और खेल मैदान में काम शुरू कर दिया। मुखिया आरती देवी ने कहा मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी ने विद्यालय से स्वीकृति लेने का फॉर्म दिया। हेडमास्टर व प्रबंधन समिति के इनकार के बाद इसकी सूचना उन्हें दी गई। उन्होंने कहा जिला से बहुत प्रेशर है। बिना स्वीकृति के काम शुरू कर दे। डीडीसी दीपेश कुमार ने कहा खेल मैदान बनाने के लिए ग्रामीण विभाग व शिक्षा विभाग से ही कार्य योजना बनाकर निर्देश दिया गया है। हमारा काम विद्यालय का संरक्षण करना है खेल मैदान के संरक्षण के लिए आदेश नहीं दिया गया। राज्य स्तर पर ही ही स्वीकृति है। हर स्तर पर स्वीकृति लेकर काम नहीं किया जा सकता। लोकल स्तर पर स्वीकृति लेना जरूरी नहीं है। सभी प्रकार के खेल से शरीर का विकास होता है।
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