आसाध्य रोगों से निवृत्ति में सूर्योपासना लाभप्रद
मधुबनी में श्रद्धा और आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ आज से शुरू हो रहा है। यह पर्व सूर्योपासना से जुड़ा है और कार्तिक मास की षष्ठी और सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। व्रतियों द्वारा नहाय-खाय, खरना और...
मधुबनी। श्रद्धा, आस्था व वश्विास का विहंगम दृश्य के साथ प्रकृति से सीधा सम्बन्ध रखने बाला लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ आज से शुरू हो रहा है। संस्कृत साहत्यि के वद्विान् शक्षिाविद डॉ.रामसेवक झा ने बताया कि सूर्योपासना का यह पर्व छठ है। छठ व्रत की प्रारम्भ विभन्नि उपनिषदों एवं पुराणों में इसकी कथा प्राप्त होती है। इस व्रत को कार्तिक मास के शुक्लपक्ष षष्ठी तिथि एवं सप्तमी तिथि को पूजा-अर्चना करने की परम्परा शास्त्रों में प्रमाणयुक्त विवरण मिलते है। चार दिवसीय इस महापर्व को लोग बहुत ही नष्ठिा व श्रद्धा के साथ उत्सवीय माहौल में मनाते है। जहां नहाय-खाय मंगलवार को व्रतियां करेगी। वहीं दिन भर व्रत में रह कर संध्याकाल बुधवार को खरना करेगी। खरना में गुड़ से बने खीर,लडू केला भगवान को अर्पित कर सभी को प्रसाद वितरण करने की परंपरा रही है। बुधवार को संध्या व्रति स्वयं खरना का प्रसाद खाकर उसी समय से 36 घंटे के लिए नर्जिला व्रत रखती हैं। गुरुवार को संध्याकालीन षष्ठी तिथि में भगवान भास्कर को अर्घ्य तथा शुक्रवार को सप्तमी तिथि में प्रात:काल भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद व्रति प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करेगी।
शक्षिाविद डॉ.रामसेवक झा ने कहा कि प्रकृति के साथ साक्षात् छठ पर्व का सम्बन्ध है। आसाध्य रोग, पुत्र की प्राप्ति व मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आस्थापूर्वक लोक प्रत्यक्षदेवता सूर्य को अर्घ्य देते हैं। साथ ही इस पर्व का रोजगार दृष्टि से भी अत्यधिक प्रधानता है क्योंकि इस पर्व में सभी समुदायों के लोगों द्वारा नर्मिति लघु उद्योग की सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। लघु उद्योगवर्गीय को पर्व के बहाने आर्थिक लाभ भी होता है।
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