बीएसएनएल कर्मियों को चाहिए पेंशन, ग्रेच्युटी व अनुकंपा लाभ
भारत संचार निगम लिमिटेड के 50 से अधिक कर्मियों को पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। कई कर्मियों की मौत हो चुकी है और कई रिटायर हो गए हैं, लेकिन उन्हें न ग्रेच्यूटी मिली है और न ही पेंशन। विभाग की अनदेखी...
भारत संचार निगम लिमिटेड के जिलास्तरीय मुख्य कार्यालय में 50 से अधिक कर्मियों को पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। कई कर्मियों की मौत हो चुकी है और कई लोग पेंशन की आस में रिटायर भी कर गये लेकिन न उन्हें ग्रेच्यूटी मिला और न ही पेंशन। ऐसे में जो कर्मी विभाग में कार्यरत हैं वे भी अपनी रिटायमेंट को लेकर चिंतित हैं। उनकी पीड़ा है कि विभाग उनकी समस्याओं के समाधान पर ध्यान नहीं दे रहा है। कर्मियों के अनुसार, कई अन्य जिलों में अनुकम्पा पर नियुक्ति के साथ अस्थाई सेवा को स्थाई किया गया है लेकिन यहां अनुकम्पा पर नियुक्ति नहीं हो रही है। कर्मचारियों का कहना है कि ऑफिस परिसर में सफाई व पेयजल की व्यवसथा भी बदहाल है।
बीएसएनएल परिसर में कर्मियों ने कहा कि चुनाव, आपदा, आंधी, तूफान, बरसात में वे लोग संचार व्यवस्था बनाये रखने के लिए दिनरात काम करते हैं लेकिन विभाग उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। बीएसएनएल इम्पलाइज यूनियन के जिला सचिव प्रभाष कुमार झा, संचार कर्मी पंकज कुमार ने बताया कि कर्मियों को अवकाशप्राप्त करने के बाद पेंशन की आशा रहती है ताकि बुढ़ापा ठीक से गुजर जाए। लेकिन यहां रिटायमेंट के बाद कर्मचारियों को खाली हाथ जाना पड़ेगा। केबल कटने पर कर्मियों को होती है परेशानी: संचार कर्मियों ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी उनलोगों को केबल कटने पर होती है। सड़क निर्माण, गैस पाइप लाइन, पुल पुलिया निर्माण के दौरान विभाग को बगैर सूचना दिये संबंधित एजेंसी मिट्टी खुदाई करती है। इससे केबल कटता है। पहले तो पता ही नहीं चलता है कि फॉल्ट कहां पर हुआ है। पता चलने पर उसे चालू करने में बहुत परेशानी होती है। इस दौरान मोबाइल, टेलीफोन एवं नेट बंद होने से उपभोक्ताओं का फोन बार-बार आता है। आज के प्रतिस्पर्धा के युग में कोई इंतजार नहीं करना चाहता है। ऐसे में संचार सेवा को हर हाल में जल्द से जल्द बहाल करने की चुनौती होती है।
तीन दशक बाद भी सेवा स्थायी नहीं :
बीएसएनएल में 40 से अधिक कर्मी ऐसे हैं जो पिछले करीब तीन दशक से कार्यरत हैं, लेकिन उनकी सेवा आज तक स्थाई नहीं हुई। पृथ्वीलाल यादव, विनय राय, संजय कुमार सिंह ने बताया कि वे लोग विभाग में लगातार काम करते आ रहे हैं लेकिन आज तक उनकी सेवा स्थाई नहीं हुई। ऐसे में विभाग से मिलने वाली कोई सुविधा उन्हे नहीं मिल रही है। जबकि वे लोग साहब के एक फोन पर काम के लिए दिनरात तैयार रहते हैं। सेवा स्थाई होने की आस में अभी तक वे लोग काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि विभाग का ध्यान कभी तो उनपर पड़ेगा।
बरसात में जलजमाव से होती है परेशानी: संचार कर्मियों ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी बरसात में जलजमाव से होता है। बरसात के समय सरकारी क्वार्टर एवं कार्यालय परिसर में जलजमाव से आफिस जाना व आना मुश्किल हो जाता है। वैसे विभाग द्वारा मुख्य सड़क से मुख्य दूरभाष केन्द्र के गेट तक पीसीसी है। लेकिन परिसर से क्वार्टर जानेवाली गली नीचा रहने से जलजमाव की समस्या बनी रहती है। जलजमाव के कारण बरसात में कीड़े मकोड़े के साथ मच्छर भी बढ़ जाता है। बरसात के समय दूध और सब्जी वाला भी सरकारी क्वार्टर की ओर नहीं जाना चाहते। कर्मियों ने बताया कि कार्यालय के समीप सार्वजनिक शौचालय की गंदगी से भी परेशानी होती है।
पहले जैसी नहीं है कार्यालय की चमक: बीएसएनएल के जिला कार्यालय की चमक अब दो दशक पहले वाली नहीं रही। विभाग में संसाधन की कमी और कार्यालय की साफ-सफाई नियमित नहीं होने से कई भवन में दीमक लग गये है। संचार कर्मियों ने बताया कि कार्यालय में नियमित सफाई के साथ शुद्ध पेयजल की सुविधा होनी चाहिए। विभाग में पहले पांच सरकारी गाड़ी थी, अब सिर्फ तीन गाडी़ है। इससे भी कामकाज प्रभावित होता है। खासकर संचार सेवा बाधित होने पर तुरंत उसे चालू करने के लिए पहुंचना एक चुनौती भरा काम होता है। ऐसे में कई कर्मी अपनी बाइक और गाड़ी से विभाग का काम निपटाते हैं।
कर्मियों की समस्याओं के निदान का प्रयास किया जाएगा: टीडीएम
मधुबनी जिला दूरसंचार प्रबंधक सुमन कुमार झा ने बताया कि संचार कर्मियों की सभी समस्या के निदान को लेकर विभागीय स्तर पर प्रयास किया जाएगा। परिसर में जलजमाव की समस्या निदान को लेकर मिट्टी भराई के बाद पीसीसी किया गया है। भवनों का रंग रोगन किया गया है। जिले में 105 जगहों पर फोर जी बीटीएस लगाने की प्रक्रिया चल रही है। केन्द्रीय बजट में संचार विभाग पर ध्यान दिया गया है। इससे आंतरिक संसाधन के साथ विभाग के कामकाज में तेजी आएगी।
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