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परेशान छात्रों की मदद को आगे आए बीडीओ

लॉकडाउन के बाद अररिया संग्राम की राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज बंद हो गई।  छात्रावास पहले ही खाली हो चुका था।  प्राइवेट डेरा लेकर बाहर रहने वाले छात्र धीरे-धीरे घरों की ओर जाने लगे।  कुछ...

Abhishek Kumar झंझारपुर(मधुबनी)। निज प्रतिनिधि, Fri, 12 June 2020 03:04 PM
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लॉकडाउन के बाद अररिया संग्राम की राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज बंद हो गई।  छात्रावास पहले ही खाली हो चुका था।  प्राइवेट डेरा लेकर बाहर रहने वाले छात्र धीरे-धीरे घरों की ओर जाने लगे।  कुछ ऐसे भी छात्र थे जो अपनी आर्थिक परेशानी  के कारण फंस गए।  उन लोगों को भोजन की दिक्कत थी।  घर जाने के लिए पैसे नहीं थे।  वरीय उप समाहर्ता सह बीडीओ विकास कुमार से मिलकर छात्रों ने अपनी व्यथा कहीं।  बीडीओ श्री कुमार की मानवीय संवेदना जगी।  उन्होंने अपने स्तर से 16 ऐसे छात्र जो गरीबी के कारण घर नहीं जा पा रहे थे, उन्हें लगातार एक महीना तक भोजन करवाया।  यह भोजन उन्हें पैक कर भेजी जाती थी। धीरे धीरे यातायात शुरू हुआ तो जो छात्र घर जाना चाहते थे।  उन्हें घर भेजा। बीडीओ ने गुरुवार को अररिया पहुंच कर सभी छात्रों को हॉस्टल कैम्पस के पास बुलाया।  सभी को अपने पॉकेट से 500 नगद दिए और घर जाने के लिए कहा।
यह मामला बीडीओ के संज्ञान में तब आया जब कॉलेज बंद होने के बाद द्वितीय वर्ष के छात्र समस्तीपुर केविकास कुमार, तृतीय वर्ष के छात्र रोहतास जिले सुमित कुमार, समस्तीपुर के रोहित कुमार,औरंगाबाद के श्रवण कुमार, जहानाबाद के लाल कुमार, भोजपुर के मंजीत यादव, दरभंगा के प्रभाकर, हाजीपुर केशिवम, भागलपुर के नीरज कुमार, बांका के विकास कुमार, कुशेश्वर स्थान के महेश कुमार सहित अन्य लॉकडाउन में ही फसे होने के कारण खाने पीने में दिक्कत होने की गुहार लगाई। बीडीओ पॉलिटेक्निक कॉलेज के क्वारं टाइन बनाने की प्रक्रिया में वहा पहुचे थे। सभी छात्र हॉस्टल से बाहर डेरा लेकर रह रहे हैं। ऐसे फंसे छात्रो को भोजन तक की समस्या आ गई। लॉकडाउन लंबा चलने पर भोजन तक की समस्या आ खड़ी हुई।  बीडीओ ने भोजन की व्यवस्था क्वारंटाईन सेंटर के नजदीक बन रहे भोजनालय से करवा दी। अब लॉकडाउन खत्म हुआ तो घर जाने की परेशानी थी। छात्रों ने सामुहिक रूप से बीडीओ को फोन कर इसकी जानकारी दी।बीडीओ ने अपनी ओर से व्यवस्था कर सभी छात्रों को पैसे दिए। सभी फंसे छात्र गुरूवार को अपने घर के लिए चले गए।  बीडीओ ने इस मद में कुल कितनी राशि खर्च की, बताने से गुरेज किया। छात्रो से  इतना अवश्य कहा कि जब तुम अधिकारी बन जाना तो किसी मजबूर लोगो की यथासंभव मदद जरूर करना। छात्रो की नजरें भरी हुई थी। उन्होंने कहा कि हमारे गार्जियन किसान है। पैसे की दिक्कत के कारण घर नही जा रहे थे। अब कॉलेज खुलेगी तो आएंगे। 

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