अंधेरे को छोड़ विद्या और धर्म से जुड़ने की जरूरत: प्रो. शिवानी
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में प्रो. शिवानी शर्मा ने संवाद कार्यक्रम में कहा कि अज्ञानता के अंधेरे को छोड़ विद्या और धर्म के प्रकाश में आना चाहिए। ज्ञानवान व्यक्ति अग्नि धारण करता है, जो...
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अंधेरे को छोड़ विद्या और धर्म से जुड़ने की जरूरत: प्रो. शिवानी जागृवान् स: समिन्धते टॉपिक पर आयोजित संवाद कार्यक्रम आयोजित
टीपी कॉलेज में स्टडी सर्किल द्वारा आयोजित हुआ ऑनलाइन संवाद
मधेपुरा निज प्रतिनिधि
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित स्टडी सर्कल (अध्ययन मंडल) योजनान्तर्गत एक संवाद का आयोजन किया गया। जागृवान् स: समिन्धते टॉपिक पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में चंडीगढ़ की प्रो. शिवानी शर्मा ने कहा कि जागृति स: समिन्धते एक वेदवाक्य है। इस मंत्र का भावार्थ है कि जो लोग अज्ञानता एवं अधर्म के अंधेरे को छोड़कर विद्या एवं धर्म के प्रकाश में आते हैं, वे ही सर्वोत्तम गुणों से संपन्न होते हैं। वे ही सच्चिदानन्दस्वरूप सब प्रकार से उत्तम सबको प्राप्त होने योग्य निरन्तर सर्वव्यापी विष्णु अर्थात् जगदीश्वर को प्राप्त होते हैं। उन्होंने बताया कि यह मंत्र बताता है कि ज्ञानवान व्यक्ति अग्नि धारण करता है। अग्नि को अभिधात्मिक पहलू में नहीं बल्कि प्रतीकात्मक दृष्टिकोण से समझा जाना चाहिए। अग्नि यज्ञ में केवल हवन का ही प्रतिनिधित्व नहीं करती, बल्कि इसमें नेतृत्व के गुण और ज्ञान भी निहित है। उन्होंने यज्ञ की अवधारणा में निहित प्रतीकात्मकता पर भी चर्चा की और इसे कर्मतत्व और कर्मशीलता या कर्ममय जीवन से जोड़ने का प्रयास किया। उत्तर प्रदेश के प्रो. जटाशंकर, ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जीवन को उसकी संपूर्णता में देखती है। हमने ज्ञान एवं कर्म दोनों के महत्व को स्वीकार किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता आईसीपीआर, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. रमेशचंद्र सिन्हा ने की।
इस अवसर पर भारतीय महिला दार्शनिक परिषद की अध्यक्ष प्रो. राजकुमारी सिन्हा (रांची) एवं पूर्व कुलपति प्रो. कुसुम कुमारी (बोधगया) आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. राजेश कुमार मिश्र (गया) सहित कई लोगों ने प्रश्नोत्तर सत्र में अपने प्रश्न भी पूछे, जिसका मुख्य वक्ता ने संतोषप्रद जवाब दिया। अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव तथा धन्यवाद ज्ञापन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। कार्यक्रम का तकनिकी पक्ष डॉ. विनय कुमार तिवारी (भोपाल) और सौरभ कुमार चौहान (मधेपुरा) ने संभाला।
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