हमारी ज्ञान की व्याख्या व ज्ञानार्जन की पद्धति है अनूठी: प्रो. अभय
मधेपुरा में बीएनएमयू के छठे दीक्षात समारोह में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने ज्ञान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञान मानव सभ्यता का पोषक है और शिक्षानीति के माध्यम...
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मधेपुरा, कार्यालय संवाददाता। बीएनएमयू के छठे दीक्षात समारोह के मुख्य अतिथि नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी ज्ञान की व्याख्या और ज्ञानार्जन की पद्धति अनूठी है। ज्ञान ही मानव सभ्यता और संस्कृति का पोषक है। ज्ञान की सत्ता का संरक्षण मानवहित में अनिवार्य है। आधुनिक काल में नवाचार, नए संचार माध्यम, आर्थिक विकास के बढ़ते महत्त्व, इत्यादि के कारण ज्ञान जगत भी निष्प्रभावित नहीं रह सकता है। संभावित समस्याओं के समाधान शिक्षानीति और शिक्षापद्धति के द्वारा ही संभव हो सकेगा। भारतीय मनीषियों ने ज्ञान तत्त्व को नॉलेज की सीमित परिभाषा से अधिक व्यापक और उद्देश्यपूर्ण माना है। ज्ञान में मानव प्रगति ही नहीं अपितु मानवता के विकास का लक्ष्य निहित होता है। विद्या या विचार सकारात्मक होता है। विचार सृजनात्मक, कल्याणकारी, मंगलकारी और शुभ होता है। ज्ञान नियामक है। इसके प्रयोग के फल हितकारी, न्यायपूर्ण और कल्याणकारी होते हैं। इसी कारण ज्ञानियों का परामर्श और नियंत्रण स्वीकार्य रहा है। उन्होंने कहा कि विद्या और शिक्षा में घनिष्ठता है। विद्या हमारी बौद्धिकता और अनुभव जनित है। विद्या बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि ज्ञान की उच्चता, विद्या की सार्थकता, कौशल और शिक्षा द्वारा भौतिक जीवन की सुरक्षा, समृद्धि और सफलता और शिक्षण द्वारा समाज निर्माण व राष्ट्र उत्थान, सभी महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं। मुख्य अतिथि ने दीक्षांत समारोह में आमंत्रित करने के लिए कुलाधिपति, कुलपति के प्रति आभार जताया।
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