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Hindi Newsबिहार न्यूज़मधेपुराBlood loss in blood bank may not get heavy on your life

कहीं जान पर भारी न पड़ जाए ब्लड बैंक में खून की कमी

जिले में 22 लाख की आबादी पर एक मात्र ब्लड सेंटर (बैंक) खुद खून की कमी से जुझ रहा है। ब्लड सेंटर में विभिन्न ग्रुपों के खून के लिए हमेशा मांग बनी रहती है। खासकर अब मेडिकल कॉलेज से भी गंभीर मरीज को खून...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधेपुराTue, 18 Aug 2020 11:24 PM
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जिले में 22 लाख की आबादी पर एक मात्र ब्लड सेंटर (बैंक) खुद खून की कमी से जुझ रहा है। ब्लड सेंटर में विभिन्न ग्रुपों के खून के लिए हमेशा मांग बनी रहती है। खासकर अब मेडिकल कॉलेज से भी गंभीर मरीज को खून चढाने की आवश्यकता होती है तो सदर अस्पताल से ही खून मंगाया जाता है। ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता नहीं रहने पर मरीज के जान का खतरा बना रहता है। ऐसे हालात में जरूरतमंदों को उसी ग्रुप के खून की व्यवस्था करना काफी परेशानी भरा होता है।

ब्लड बैंक से प्रतिमाह औसतन 150 यूनिट खून की खपत होती है। ब्लड बैंक के इंचार्ज आरके पूरी ने बताया कि शुक्रवार और शनिवार को ब्लड बैंक में एक यूनिट भी खून उपलब्ध नहीं था। शहर के कुछ संस्था द्वारा समय-समय पर ब्लड डोनेट कराया जाता है। इसमें प्रांगण रंगमंच, श्रृंगी श्रृषि सेवा मिशन, कोसी के रक्तवीर, समिधा ग्रुप, वन आवर एक प्रयास, एचडीएफसी बैंक, महिन्द्रा फाइनांस, परिवहन विभाग, पुलिस विभाग, राष्ट्रीय सेवा योजना के सदस्यों द्वारा जरूरत पड़ने पर खून उपलब्ध कराया जाता है।

शनिवार को वन आवर एक प्रयास संस्था द्वारा सात यूनिट खून उपलब्ध कराया गया। जिले में थैलीसिमिया पीड़ित लोगों की संख्या करीब दस है। जिसे महीने में एक एक बार खून चढ़ाना पड़ता है। थैलीसिमिया मरीज को दो सतह में कई लोगों द्वारा खून उपलब्ध कराया गया। ब्लड बैंक कर्मियों की है कमी: सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में एक मात्र कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि यहां लैब टेक्निशियन, जीएनएम, एएनएम, मेडिकल स्टाफ, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का होना आवश्यक है।

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