घर पहुंचने पर श्रमिक थे उत्साहित, पर सता रही थी रोजगार की चिंता
समूचे देश में तालाबंदी की मार झेल रहे हजारों की संख्या में श्रमिक रोजाना अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। घर की वापसी कर रहे श्रमिकों को घर पंहुचने पर उत्साह तो है, लेकिन रोजगार की चिंता अभी भी उन्हें...
समूचे देश में तालाबंदी की मार झेल रहे हजारों की संख्या में श्रमिक रोजाना अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। घर की वापसी कर रहे श्रमिकों को घर पंहुचने पर उत्साह तो है, लेकिन रोजगार की चिंता अभी भी उन्हें अंदर से खाये जा रही है। दो दिन पहले ही महीनों से बंद पड़ किऊल जंक्शन के दरवाजे आम लोगों के लिए खुले। सिर्फ अंदर से बाहर जाने के लिए, बाहर से अंदर जाने के लिए अभी स्टेशन के दरवाजे बंद है।
प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि इन दो दिनों में दो हजार से अधिक श्रमिक किऊल स्टेशन पर उतरे हैं। इसमें लखीसराय सहित आसपास के अन्य जिले के श्रमिक भी शामिल हैं। किऊल स्टेशन पर कार्यरत कर्मियों की मानें तो किसी त्योहार के समय ही इतने संख्या में लोग बाहर से आते हैं, वरना इस सीजन में बाहर जाने वाले लोगों का तांता लगा रहता था।
दो जोड़ी कपड़े व जरूरी सामान ले सके: माथे पर गठरी रखे स्टेशन से बाहर आ रहे भागलपुर के जीसांत अली बतातें हैं कि सूचान मिलने के बाद दो जोड़ी कपड़ा और कुछ जरूरी समान ही साथ ला पाएं हैं। मेरे बहुत सारे समान वहीं छुट गए। सारे सामान को साथ में लाना संभव नहीं था। इधर बस पकड़ने के पहले खड़े बांका के रंजीत कुमार ने किसी तरह बस घर पहुंच जाएं समान तो बाद में भी खरीद ली जा सकती है। वहीं अपने बच्चो और बीबी के साथ बस के इंतजार में खड़े मुंगेर निवासी माखन माहतो ने बताया कि दो बैग और एक थैलें बच्चों के कपड़े और जरूरत की समान लिए और चल दिए। ऐसे सेंकड़ों को बस पकड़ने के कतार में खड़े थे, जो कुछ न कुछ छोड़कर आया हो।
सुरक्षा व्यवस्था में दिख रही चूक: प्रवासियों के उनके गंतव्य तक पंहुचाने के लिए प्रशासन ने समूचित व्यवस्था कर रखी है। बावजूद इसके बाहर से आने वाले प्रवासी बिना क्वारंटाइन हुए गांव में प्रवेश कर ले रहे हैं। ये सुरक्षा व्यवस्था की चूक ही कही जा सकती है कि दर्जनों सुरक्षा कर्मी की ड्यूटी लगाए जाने के बाद भी प्रवासी शहरों और गांव में प्रवेश कर ले रहें हैं। सुबह हैदराबाद से बौरोनी जाने वाली ट्रेन से 400 से अधिक की संख्या में प्रवासी किऊल स्टेशन पर उतरे। इसमें से कई प्रवासी लखीसराय शहरों में घुमते देखे गए। उनसे जब स्थानीय लोगों ने पूछताछ की, तो उन्होने बताया कि बस नहीं होने के कारण वे लोग पैदल ही नवादा को निकल पड़े। इधर खगौर में कुछ प्रवासी स्थानीय दुकानों में बिस्कुट, मिक्स्चर आदि खाने के समान खरीदते देखे गए। वहीं उन्होने सामान देने के बाद वापस फिर से बस के नजदीक जाने की अपील किए। वहीं किऊल स्टेशन के यार्ड पर भी घुमते दिखे।
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