लॉकडाउन के कारण निजी शिक्षकों के सामने भुखमरी की स्थिति
निजी शिक्षण संस्थाओं से जुड़े शिक्षकों व कर्मियों की माली हालत बहुत दयनीय हो गई है। कई जगह बची खुची जमा पूंजी खत्म हो जाने के कारण वे जीवन यापन करने...
कजरा। एक संवाददाता
निजी शिक्षण संस्थाओं से जुड़े शिक्षकों व कर्मियों की माली हालत बहुत दयनीय हो गई है। कई जगह बची खुची जमा पूंजी खत्म हो जाने के कारण वे जीवन यापन करने के लिए जेवर बेचने,जमीन गिरवी रखने, उच्च ब्याज दर पर पैसा लेने के लिए विवश हैं। निजी विद्यालयों में काम करने वाले अधिकांश लोग मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के समूह से आते हैं। लॉकडाउन के बाद विद्यालय में फीस नहीं आ रहा है। जिससे सभी स्कूल संचालक परेशान है।फीस नहीं आने के कारण स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जा पा रहा है। खुद स्कूल संचालक स्कूल के अन्य खर्चे की भी व्यवस्था नहीं कर पा रहे है।हालात यह है कि कई विद्यालय बंद होने के कगार पर हैं जो किराए पर हैं उन्हें मकान मालिक द्वारा किराया नहीं दे पाने की स्थिति में खाली करने की चेतावनी दी जा रही है।इसके अलावा गाड़ी की ईएमआइ, वेतन, बिजली बिल, ब्याज देने का तनाव बना हुआ है। शिक्षक जितेंद्र कुमार, टोनी कुमार, रवीश कुमार एवं वकील यादव आदि ने कहा कि पिछले साल भी मार्च के आसपास ही प्राइवेट शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे। लगभग एक साल तक संस्थान बंद रहे। इसके बाद पुनः कुछ महीनों के लिए खोला गया। फिर कोरोनावायरस के कारण सरकार ने आदेश जारी कर प्राइवेट स्कूल को बंद करवा दिए। ऐसे में स्कूल को बचाने के लिए अभिभावक व सरकार को सामने आना चाहिए। सरकार को कुछ आर्थिक प्रदान करनी चाहिए। वहीं अभिभावकों को कम से कम स्कूल के ट्यूशन फीस को जमा करना चाहिए ताकि स्कूल के आवश्यक खर्चे को प्रबंधन पूरा कर सके।
नियोजित शिक्षकों की फीकी रह गई ईद कजरा। इस बार जिले के नियोजित शिक्षकों की ईद वेतन के अभाव में पूरी तरह फीकी रह गयी। पिछले तीन महीने से शिक्षक आंखें बिछाये वेतन का राह ताक रहे थे कि ईद के पहले एक साथ बड़ी राशि मिलेगी, जिससे अपने परिवार के साथ पूरी खुशी से त्योहार मनायेंगे। किंतु शिक्षा विभाग ने इन नियोजित शिक्षकों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अंतत: इन गुरु जी को वेतन नहीं मिला और इनके परिवार की ईद फीकी रही। मालूम हो कि जिले भर में जितने भी नियमित शिक्षक थे, उन्हें ईद के पूर्व ही तीन महीने का वेतन भुगतान कर दिया गया। किंतु नियोजित शिक्षक वेतन का इंतजार करते रह गये। वे अपने बच्चे व परिवार के अन्य सदस्यों को वेतन मिलते ही नये-नये कपड़े व अन्य सामग्री खरीद देने का दिलासा देते रह गये। नियमित शिक्षकों ने जैसे-तैसे ईद का त्योहार मनाय। किंतु यह मलाल रह गया कि वे इस त्योहार पर अपने परिवार के लिए कुछ बेहतर नहीं कर पाये़।
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