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एड्स मरीजों की बढ़ती संख्या चिंताजनक, तीन महीने में 19 मिले

लखीसराय जिले में एचआईवी पॉजीटिव मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिससे स्वास्थ्य महकमा चिंतित है। तीन महीने में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। सिविल सर्जन ने बताया कि यौन शिक्षा की...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीसरायMon, 7 April 2025 03:37 AM
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एड्स मरीजों की बढ़ती संख्या चिंताजनक, तीन महीने में 19 मिले

लखीसराय, एक प्रतिनिधि। जिला में एचआईवी पॉजीटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। तेजी से बढ रहे मरीजों की संख्या से स्वास्थ्य महकमा सकते में है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बीते तीन महीने मे जिला का आंकड़ा बड़ा है। सदर अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2025 में तीन महीने में जहां एआरटी सेंटर में दवा लेने वाले मरीजों की संख्या 19 हो गई है। मार्च में ही सर्फि नौ नए मरीज मिले हैं। जनवरी 504 मरीज की जांच के दौरान जनरल में दो मरीज और एएनसी के 299 जांच में चार मरीज मिले हैं। यानि जनवरी में 6 मरीज, फरवरी 383 जांच में 3 मरीज जबकि एएनसी जांच 263 में एक मरीज फरवरी में 4 मरीज जबकि मार्च 1922 की जांच जो कई जगहों पर कैंप लगाकर आगे की गई उसमें 9 मरीज को चह्निति किया है। एड्स पीड़ित मरीजों को सरकार बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित योजना के तहत प्रतिमाह 1500 रुपए आर्थिक सहायता देती है। इसके अलावा 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के वैसे बच्चों जिनके माता-पिता एड्स पीड़ित हैं या उनकी मृत्यु हो गई है तो समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित परवरिश योजना के तहत प्रतिमाह 1000 रुपए आर्थिक सहायता दी जाती है। अब तीन महीने की दवा एक बार में ही दी जाती है। सिविल सर्जन बी पी सन्हिा ने कहा कि जागरूकता का अभाव ही एचआईवी के प्रसार का मुख्य कारण है। आमलोगों को इसके खतरे के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल वश्वि एड्स दिवस मनाया जाता है। संक्रमित व्यक्ति का खून या फिर असुरक्षित यौन संबंध के कारण किसी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आता है तो वह इस रोग से संक्रमित हो जाता है।

संख्या बढ़ने का कारण यौन शक्षिा का अभाव: सिविल सर्जन डा. बीपी सन्हिा ने कहा कि खासकर युवा वर्गों में एड्स जैसी बीमारी फैलने का मुख्य कारण यौन शक्षिा का अभाव है। एचआईवी असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सूई का इस्तेमाल और संक्रमित रक्त के प्रयोग के कारण होता है। एचआइवी संक्रमण से रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इसके साथ ही एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के नवजात शिशुओं में भी एचआइवी संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। एड्स जन्मजात शिशुओं के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह खत्म कर देता है। जिससे एचआईवी पीड़ित अन्य घातक बीमारियों टीबी, कैंसर व अन्य संक्रामक बीमारियों से प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है। इस संबंध में एड्स पीड़ित महिला या पुरुषों को पहले सरकारी अस्पताल के चिकत्सिकों से चिकत्सिीय सलाह लेना चाहिए। यह बेहद जरूरी है।

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