टोर्च की रोशनी में सदर अस्पताल में कराया गया प्रसव
टोर्च की रोशनी में सदर अस्पताल में कराया गया प्रसव
लखीसराय, एक प्रतिनिधि। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में विभाग के उदासीन रवैया से मदमस्त जनरेटर संचालक की मनमानी के कारण मंगलवार शाम टॉर्च व मोबाइल की रोशनी में लेबर वार्ड में प्रसव पीड़िता का प्रसव कराने का मामला सामने आया है। जिसपर प्रसव पीड़िता के परिजन व लेबर वार्ड कर्मी ने नाराजगी जाहिर किया है। जानकारी के अनुसार शाम लगभग 5:20 बजे बिजली कट के बाद जेनरेटर संचालक ने प्रबंधन व अन्य स्वास्थ्य कर्मी के लाख प्रयास के बाद 45 मिनट बाद 6:05 बजे पर जेनरेटर चलाया। इस दौरान टाउन थाना क्षेत्र के अशोक धाम निवासी रोशन मंडल की पत्नी करीना कुमारी का टॉर्च एवं मोबाइल की रोशनी में नॉर्मल डिलीवरी कराया गया। लेबर वार्ड में ऑन ड्यूटी तैनात जीएनएम मधु कुमारी एवं निशा कुमारी ने बताया कि अगर पीड़िता को नॉर्मल डिलीवरी के दौरान अगर स्टिच लगाने की स्थिति आती तो पीड़िता के साथ उनकी परेशानी बढ़ सकती थी। करीना कुमारी के अलावे लेबर वार्ड में किऊल थाना क्षेत्र गोदिहह गांव निवासी सोनू कुमार की पत्नी पूजा कुमारी एवं रामगढ़चौक थाना क्षेत्र के बरतारा गांव निवासी विशाल कुमार की पत्नी शिवानी कुमारी सहित आधा दर्जन से अधिक प्रसव पीड़िता भर्ती थी। लेबर वार्ड कर्मी की माने तो उन्होंने लेबर वार्ड में तैनात अन्य स्वास्थ्य कर्मी के साथ सुरक्षा कर्मी के सहयोग से कई बार जनरेटर चालू करवाने का प्रयास किया इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन को भी दिया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस दौरान सदर अस्पताल प्रबंधन भी अस्पताल में मौजूद थे। इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिए आने व लेबर वार्ड में भर्ती अन्य पीड़िता के परिजन के द्वारा नाराजगी जाहिर करने व विभिन्न सोशल मीडिया प्रतिनिधि के सदर अस्पताल में पहुंचने के बाद ही जेनरेटर चालू किया गया। नाम नहीं छापने के शर्त पर अस्पताल प्रबंधन से जुड़े लगभग आधा दर्जन कर्मी ने बताया कि जेनरेटर संचालक की मनमानी से संबंधित शिकायत व उनके खिलाफ स्पष्टीकरण जारी करने के बाद वरीय पदाधिकारी के स्तर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण जनरेटर संचालक का मनोबल पूरे तरीके से बढ़ा हुआ है। ज्ञात हो सदर अस्पताल में इमरजेंसी के अलावे विशेष रूप से संस्थागत प्रसव के लिए रात में पीड़िता का अधिक आना होता है। लेबर वार्ड कर्मी की माने तो देर रात में लाइट कटने के बाद किसी भी स्थिति में जनरेटर चालू नहीं किया जाता है। लाइट आने के बाद या फिर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत टॉर्च और मोबाइल की रोशनी में ही उन्हें पीड़िता का डिलीवरी करना पड़ता है।
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