माणिकपुर एपीएचसी में मरीजों को आधी अधूरी स्वास्थ्य सेवा
माणिकपुर एपीएचसी में मरीजों को आधी अधूरी स्वास्थ्य सेवा
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माणिकपुर थाना क्षेत्र का अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र से मरीजों को आधा आधूरा ही लाभ मिल पाता है। इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र के भीतर स्थान की कमी है। कहने को 6 बेड वाला हॉस्पीटल है,लेकिन जगह की कमी देखी जा रही है। इस कारण से मरीजों को परेशानी होती है। एक कक्ष में प्रसव कराने के सामान वर्षों से रखे हुए हैं। लोगों का कहना है कि ये सामान खराब हो रहे हैं। मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं हे। मरीज नियमित आते हैं। साधारण या प्रारंभिक उपचार होता है। प्रभारी डॉ. मधुमिता मंडल के अलावा गौरव कुमार समेत तीन सीएचओ हैं। एक आयुष चिकित्स्क और एक एएनएम प्रतिनियुक्ति में बताए गए। डाटा कार्यपालक राकेश कुमार यहां और सीएचसी में कार्य करते हैं। मनोज कुमार, वंदना कुमारी एएनएम समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी कार्यरत हैं। इनके अलावा गार्ड भी हैं। एक शौचालय है। पेयजल की व्यवस्था है।
केन्द्र में जगह की इतनी कमी है कि स्लाइन चढ़ाने में परेशानी होती है। परिसर के भीतर खाली पड़ी जमीन है। इसके बाद भी भवन निर्माण नहीं कराया जा सका। चिकित्सक रोज आते और जाते हैं। ग्रामीणों में जमीन रहने के बावजूद भवनों के निर्माण कार्य नहीं होने को लेकर क्षोभ देखने को मिलता है। वैसे यह केन्द्र प्रखंड के सबसे बड़े पंचायत कबादपुर में है। इस पंचायत में 19 वार्ड हें। इसके अलावा इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र से पुराना सलेमपुर, इमाम नगर, खांड़पर, गरीबनगर, लक्ष्मीपुर, माणिकपुर, कोनीपार, भवानीपुर, दिघड़ी, शिवाना आदि गांव जुड़े हुए हैं। पिछले साल कोनीपार गांव में वेलनेस सेंटर चालू किया गया है। थाना के सामने के उप स्वास्थ्य केन्द्र पर माणिकपुर पुलिस का कब्जा था। हाल ही में इसे पुलिस से खाली किया गया है। पोलियो, टीकाकरण आदि के कार्य होते हैं। ग्रामीणों के अनुसार पुलिस के द्वारा इसका उपयोग अब भी किया जाता है। नदी कान्ही क्षेत्र में भवानीपुर गांव में उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन का निर्माण नहीं होने की बात ग्रामीणों ने की। वर्षों पहले जमीन का निबंधन कराया गया था, मगर अभी तक भवन का निर्माण नहीं कराया जा सका।
माणिकपुर ऐसे भैगोलिक स्थान पर है, जहां से सूर्यगढ़ा और पीरीबाजार आठ-10 किलोमीटर की दूरी पर पड़ते हैं। मेदनीचौकी और कजरा भी करीब दस किलो मीटर की दूरी पर हैं। ऐसी स्थिति में प्रसव वाली महिलाओं को अधूरी व्यवस्था के चलते सूर्यग-सजय़ा सीएचसी ले जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। रास्ते में ही गाड़ी पर प्रसव होने और गंभीर रूप से घायलों व बीमार लोगों की मौत हो जाती है। इस क्षेत्र में नीम हकीम उपचार करने वाले चिकित्सकों की कमी नहीं है। लोग इनके पास जाते हैं। झोला छाप चिकित्सकों के पास जाने की मजबूरी रहती है। इससे आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती है। अभी भी इस क्षेत्र में -झोला छाप डाक्टरों के पास लोग जाते हैं। लोगों का कहना है कि माणिकपुर थाना बन गया। सबसे बड़ा पंचायत कबादपुर है। छोटा बाजार भी है। इसके अलावा थाना के पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मी रहते हैं। घायलों को सूर्यग-सजय़ा सीएचसी ही अधिकांश रूप में ले जाने को विवश हो जाना पड़ता है। इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र में इंज्यूरी रिपोर्ट नहीं बनती है,क्यों कि घायलों को इतनी लंबी दूरी तय कर के सूर्यगढ़ा सीएचसी ही आना पड़ता है। महामारी या रोगियों की संख्या में वृद्धि होने पर सूर्यगढ़ा सीएचसी ही सहारा बनता है।
देहाती क्षेत्र और प्रखंड मुख्यालय से दूर रहने के कारण नियमित निरीक्षण कार्य नहीं किया जाता है। इस कारण से चिकित्सकों, एएनएम और स्वास्थ्य कर्मियों के देर सबेर जाने और अनियमित रूप् से जाने की भी शिकायत की जाती है। मरीजों को जांच और उपचार में प्राइवेट क्लिीनिकों में भेजे जाने की शिकायत की जाती है। वैसे सीएचसी के स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सक इसे सही नहीं मानते हैं। वे नियमित आने की बात करते हैं। नदी कान्ही क्षेत्र को लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में वोट बैंक की दृष्टि से देखा जाता है। करीब 30 हजार से ज्यादा मतदाता एक खास समाज के माने जाते हैं,जो पिछड़ा, अति पिछड़ा, एससी आदि हैं। मतदाताओं का कहना है कि चुनावों के समय बड़े बड़े आश्वासन दिए जाते हैं,मगर लोगों की आंकांक्षा के अनुरूप एक सुविधा युक्त हॉस्पीटल का निर्माण नहीं किया जा सका है। बीमारों और घायलों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
मतदाताओं का कहना है कि वे लोग एकजुट होकर किसी दल के उम्मीदवार का समर्थन करे आ रहे हैं। इसके बाद भी भवनों का निर्माण नहीं किया जा सका। आयुष चिकित्सक ही अधिकांश रहते हैं। एक एमबीबीएस चिकित्सक है तो पहले उनकी भी दो तीन के लिए प्रतिनियुक्ति सूर्यगढ़ा सीएचसी होती थी। मामूली रोगों के उपचार और जांच का कार्य होता है।संपर्क सड़क का निर्माण नहीं हो सका । इससे विभिन्न गांवों के लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। कच्ची ही यह संपर्क सड़क है। पक्की हो जाने से दुर्गा स्थान, माणिकपुर, कोनीपार आदि गांवों के लोगों को सुविधा होती। बरसात या खेत में पटवन होने पर कीचड़ जमा हो जाता है। इससे आने जाने में परेशानी होती है। लंबी दूरी तय कर के यहां आना पड़ता है।
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लोगों ने कहा
1. माणिकपुर एक प्रखंड का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां की आबादी भी करीब 50हजार के लगभग होगी। इसे नदी कान्ही का क्षेत्र कहा जाता है और यह देहाती इलाका पड़ता है। स्वास्थ्य सेवा के लिए माणिकपुर के अतिरिक्ति स्वास्थ्य केन्द्र का विस्तार होना चाहिए। लोगों की सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए। अभी भी यहां आधी अधूरी सेवा मिल पाती है।
मनोज यादव, पुराना सलेमपुर
2. वे अपने बच्चों को दिखाने के लिए यहां आई थीं। उन्हें दवा दी गई। रोज ही यह केन्द्र खुलता है। जांच का कार्य भी होता है। इस कारण से उन्हें सूर्यगढ़ा हॉस्पीटल नहीं जाना पड़ता है। सूर्यगढ़ा हॉस्पीटल की दूरी करीब 10 किलोमीटर है। यहां स्वास्थ्य केन्द्र रहने से समय और पैसे की बचत होती है।
शांति देवी
3. हमलोगों के लिए यह वरदान के समान है। बहुत सारी सुविधाएं मिल जाती हैं। छोटी बीमारी में उन्हें सूर्यगढ़ा नहीं जाना पड़ता है। गंभीर बीमारी या घायलों को सूर्यगढ़ा ले जाना पड़ता है। नदी-कान्ही क्षेत्र के लोगों को और भी फायदा मिलेगा जब डॉक्टर रात में भी रहेंगें। रात में बीमार लोगों को सूर्यगढ़ा ले जाना पड़ता है। इस पर विभाग को सोचना चाहिए।
रजनीश कुमार
4. वे पुराना सलेमपुर गांव के निवासी हैं। उनके लिए माणिपुर की अपेक्षा सूर्यगढ़ा हॉस्पीटल जाना होता है। वैसे दोनों की दूरी लगभग बराबर है। फिर भी सूर्यगढ़ा जाना आसान है। माणिकपुर में पुरी व्यवस्था नहीं है। बेड की संख्या भी कम है। महामारी होने पर लोग माणिकपुर ही जाना अच्छा सम-हजयते हैं। डॉक्टर की संख्या बढ़ाना जरूरी है।
सहदेव यादव, पुराना सलेमपुर
5. वैसे वे कभी कभी ही माणिकपुर की ओर जाते हैं। पहले यहां चहल पहल कम रहती थी। आजकल बहुत चहल पहल रहती है। डॉक्टरों और नर्सों को वे आते-जाते देखते हैं। इनकी संख्या में भी वृद्धि हो गई है। इससे लोगों को कुछ तो फायदा हो ही जाता है।
सोनू कुमार
6. प्रखंड के विकास के लिए इस हॉस्पीटल का भी विकास होना चाहिए। डॉक्टर और नर्स को बराबर आना चाहिए। सभी तरह की दवाएं मिलनी चाहिए। होमियोपैथिक डॉक्टर से काम नहीं चलने वाला है। सूर्यगढ़ा की तरह डॉक्टर रहना चाहिए। इससे ही इलाके के लोगों को सही फायदा मिल सकेगा।
मुस्लिम खां
7. नाम के लिए ही माणिकपुर में हॉस्पीटल है। उधर के सब लोग तो सूर्यगढ़ा ही दिखाने के लिए आते हैं। सुविधाओं में वृद्धि करनी चाहिए। तभी जनता को पूरा फायदा मिल सकेगा। यहां आधा-अधूरा ही फायदा मिलता है। ग्रामीण क्षेत्र है। देहात का इलाका पड़ता है। इसलिए सुविधाओं में वृद्धि करना बहुत आवश्यक है।
शंकर रजक
8. माणिकपुर में किसी चीज की कमी नहीं है। इस इलाके में नौकरी करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। किसानों और मजदूरों की संख्या भी ज्यादा है। गरीबी भी देखने को मिलती है। बहुत लोगों में जागरूकता की कमी है। स्वास्थ्य के लिए भी जागरूकता बढ़ानी चाहिए। तभी इस हॉस्पीटल से लोगों को पूरा फायदा मिल सकेगा।
श्रीकांत कुमार
9. बहुत पहले उन्होंने माणिकपुर का अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र देखा था। सरकार के द्वारा लगातार इसमें सुधार किया जा रहा है। बड़ी आबादी को देखकर अब सुविधाएं मिलने लगी हैं। फिर भी लोग सूर्यगढ़ा हॉस्पीटल ही अधिक संख्या में आते हैं। सुविधा मिलने से लोगों की संख्या में वृद्धि होगी और सरकार का उद्देश्य भी पूरा होगा।
दुष्यंत कुमार
10. माणिकपुर एक धनी और शिक्षा में अग्रणी इलाका है। इसके बाद भी यहां अच्छा हॉस्पीटल नहीं होना। निराशा की बात है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। इस इलाके में कई गांव हैं। सुविधा बढ़ाने से गांव के इन लोगों को फायदा होगा। उन्हें दूसरे स्थान पर भटकना नहीं पड़ेगा। घर में ही सुविधा प्राप्त हो जाएगी। गांव के लोगों के लिए अच्छे हॉस्पीटल का रहना बहुत जरूरी है।
आलोक कुमार
11. इस हॉस्पीटल को सुंदर बनाने के लिए भवन का निर्माण बहुत आवश्यक है। परिसर में जगह की कमी नहीं है। चाहरदिवारी बना दी गई है। स्वास्थ्य कर्मी अपने को सुरक्षित समझते हैं। काम करने में भी लोगों को सुविधा होती है। इसलिए भवन बनना चाहिए। जगह की कमी नहीं है। पहले इस जगह को लोग अतिक्रमित किए हुए थे।
गौरव कुमार
12. सरकार और विभाग के निर्देश के अनुसार योगासन भी सिखाया जाता है। इससे गांव के लोगों और रोगियों को सुविधा होती है। गांव के लोग इस ओर ध्यान देने लगे हैं। योगासन से हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।
विवेकानंद
13. इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र में अब कम्प्यूटर कर्मी भी हैं। एक पूरे मुकम्मल हॉस्पीटल जैसा काम हो रहा है। मरीजों को इससे आसानी होती है। आयुष्मान भारत योजना आदि में इस कारण लोग फायदा उठाते हैं। पहले उन्हें सूर्यगढ़ा सीएचसी जाना पड़ता था। अब इलाके के लोगों को इस कारण से अधिक परेशानी नहीं होती है।
राकेश कुमार
14. इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र में जांच का कार्य किया जाता है। कई लोगों को इस आधार पर उपचार कराने में सुविधा होती है। उनके पैसा और समय की बचत होती है। जो सुविधाएं इसके लिए उपलब्ध कराई गई हैं, लोगों को जांच से फायदा मिलता है। सूर्यगढ़ा सीएचसी के लिए भी इस आधार पर रेफर किया जाता है। प्रसव की सुविधा रहनी चाहिए।
मनोज कुमार
फोटो 30 माणिकपुर का अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र
फोटो 31 परिसर में खाली पड़ी जमीन
फोटो 32 मरीजों के आने के लिए अधूरी संपर्क सड़क
फोटो 33 मनोज यादव
फोटो 33 शांति देवी
फोटो 34 रजनीश कुमार
फोटो 35 सहदेव यादव
फोटो 36 सोनू कुमार
फोटो 37 मुस्लिम खां
फोटो 38 शंकर रजक
फोटो 39 श्रीकांत कुमार
फोटो 40 दुष्यंत कुमार
फोटो 41 आलोक कुमार
फोटो 42 गौरव कुमार
फोटो 43 विवेकानंद
फोटो 44 राकेश कुमार
फोटो 45 मनोज कुमार
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