कवि अंकित सिंह की रचित गंगा सुवन पुस्तक का हुआ लोकार्पण
कवि अंकित सिंह की रचित गंगा सुवन पुस्तक का हुआ लोकार्पण
बड़हिया, एक संवाददाता। नगर स्थित श्री जगदंबा हिंदी पुस्तकालय में रविवार को लोकार्पण कार्यक्रम हुए। जिसकी अध्यक्षता डॉ सत्येंद्र अरुण और संचालन सुरेश प्रसाद माधुर्य ने किया। कवि अंकित सिंह द्वारा स्वरचित प्रथम पुस्तक गंगा सुवन जीवन संग्राम पुस्तक के लोकार्पण को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम के बीच पुस्तक का विमोचन हिंदी रत्न से सम्मानित साहित्यकार डॉ सत्येंद्र अरुण के हाथों किया गया। इसके बाद लेखक व कवि अंकित सिंह ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए बताया की महाभारत के अंदर गंगा पुत्र भीष्म पितामह पर जितनी चर्चा होनी चाहिए थी, उतनी हुई नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए भीष्म पितामह की महानता को उचित स्थान भारतीय मानस के मन मस्तिष्क पर स्थापित करने के उद्देश्य से इस काव्य खंड की रचना की गई है। जिसे पढ़कर ही समझा जा सकता है। अन्य वक्ताओं ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि उस दौर में भारत देश के लिए जो बलिदान गंगा पुत्र भीष्म पितामह ने दिया। वह अद्भुत है। जिन्हें काव्य में जगह दिया जाना एक बेहतर पहल है। डॉ सत्येंद्र अरुण ने कहा कि धर्म का वास्तविक अर्थ धारण करने से है। जैसे पानी का गुण है बहना, सूर्य का गुण है प्रकाश और गर्मी बिखेरना, चांद का गुण है शीतलता प्रदान करना। इसी तरह मनुष्य का धर्म है अनुशासित जीवन जीना। नवोदित कवि अंकित सिंह ने अपनी पहली पुस्तक में ही राष्ट्रीय स्तर की चरित्र पर काव्य खंड की रचना कर सराहनीय, प्रेरणादाई और उत्साहवर्धक कार्य किया है। हम इस वृक्ष को वटवृक्ष के रूप में विकसित होते देखने के आकांक्षी हैं। मौके पर मिथिलेश प्रसाद सिंह, घनश्याम कुमार, निशांत सिंह, राजेश सिंह, अशोक प्रसाद सिंह, मुकुंद कुमार, सौरभ आनंद, शुभम कुमार, प्रवीण कुमार झुन्नु, रामनारायण सिंह, अवधेश सिंह आदि थे।
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