मदद की आस: दूध उत्पादक की बड़ी मंडी है लखीसराय
लखीसराय कृषि प्रधान जिला होने के साथ दूध उत्पादक का एक बहुत बड़ा मंडी है। जिले के 75 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर करती है। किसान खेती के साथ दुधारू गाय व भैंस भी रखते हैं। पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर गौर...
लखीसराय कृषि प्रधान जिला होने के साथ दूध उत्पादक का एक बहुत बड़ा मंडी है। जिले के 75 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर करती है। किसान खेती के साथ दुधारू गाय व भैंस भी रखते हैं। पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में एक लाख दुधारू पशु है। किसान खेती के साथ अतिरिक्त कमाई के लिए पशुपालन करते हैं। डेयरी में किसानों के दूध का रेट फैट के हिसाब से तय की जाती है। बकेन भैंस का दूध 35 से 50 रुपए और गाय का दूध 26 से 36 रुपए प्रतिकिलो की दर से बिक्री होती है। अधिकांश पशुपालक गाय का पालन करते हैं, और इन्हीं का दूध भी बिक्री की जाती है। डेयरी में पशुपालकों से दूध मिल्क टेस्टर से जांच कर ली जाती है। पशुपालक चाहकर भी दूध में पानी का मिलावट नहीं कर सकते हैं। एैसा करने पर पशुपालकों की चोरी आसानी से पकड़ी जा सकती है।
चैनपुरा सुधा डेयरी के अध्यक्ष उदय कुमार ने विभागीय अधिकारियों के हवाले बताया कि जिले में मुख्य रूप से सुधा डेयरी, आईटीसी व गंगा डेयरी के द्वारा दूध का कलेक्शन किया जाता है। सुधा डेयरी हर रोज 75 हजार लीटर दूध का कलेक्शन करती है। सुधा दूध व इससे बने अन्य उत्पाद की डिमांड बाजार में अधिक है। गंगा व आईटीसी डेयरी तकरीबन 25 हजार लीटर दूध का कलेक्शन करती है। कुल मिलाकर इन तीनों डेयरी से एक लाख लीटर से अधिक दूध का कलेक्शन किया जाता है। इन सब के अलावे मिठाई दुकानों में दूध का डिमांड अलग से है।
सुधा डेयरी दूध का डिमांड व बाजार का विस्तार अधिक है। सुधा डेयरी की दूध स्टोरेज क्षमता अधिक है और अत्याधुनिक सुविधाओं से भी लैस है। पशुपालकों के साथ अच्छी व्यवहार की जाती है। समय से बिक्री की गई दूध का भुगतान भी कर दिया जाता है। लखीसराय जिले में सुधा के कुल 350 सेंटर हैं। ये सभी सेंटर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। सुधा के बड़हिया, बालगुदर, खेमतरणी स्थान, सूर्यगढ़ा, ऋषि पहाड़पुर, रामगढ़चौक और हलसी में दूध का बरकुलर केन्द्र है।
फर्स्ट लॉकडाउन में पशुपालकों को लगा था झटका : पशुपालक विनोद कुमार सिंह, रामप्रवेश सिंह और युगलकिशोर सिंह की बातों पर गौर करें तो लॉकडाउन के पूर्व व बाद में दूध के रेट में उतार- चढ़ाव रहा, फिर सामान्य स्थिति बनी । लॉकडाउन के शुरूआती दौर में पशुपालकों को 10 से 15 दिनों तक झटका लगा था, लेकिन फिर स्थिति सामान्य हो गई। डेयरी के द्वारा कोटा से कम मात्रा में दूध कम ले जाने लगी थी, तब दूध का रेट 20 से 25 रुपए पशुपालकों को बेचना मजबूरी था।
जिले में तकरीबन 300 मिठाई की दुकानें : जिले के लखीसराय शहर के अलावे बड़हिया, सूर्यगढ़ा, कजरा, पीरी बाजार, रामगढ़चौक, मननपुर, मेदनीचौकी सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्र में तकरीबन 300 से अधिक मिठाई की दुकानें हैं। शहर के पुरानी बाजार चित्तरंजन रोड स्थित रॉयल स्वीटस एण्ड रेस्टोरेंट के संचालक रवीश कुमार गुप्ता उर्फ लालो ने बताया कि शहर के प्रमुख एक दर्जन से अधिक मिठाई दुकानों में एक हजार लीटर से अधिक दूध की खपत हर रोज होती है।
लॉकडाउन में दुकानें बंद, आर्डर पर होम डिलीवरी: लॉकडाउन का चौथा चरण जारी है। मिठाई दुकानें को खोलने को लेकर शासन व प्रशासन ने अब तक ऑडर जारी नहीं की है। शहर की अधिकांश मिठाई दुकाने में बाहर से तले लगे रहते हैं, लेकिन अंदर सोशल डिस्टेंस का पालन कर मिठाई का आर्डर मिलने पर होम डिलीवरी की जा रही है। किसी प्रकार के फंक्शन या श्राद्ध कर्म में आर्डर मिलने पर मिठाई की सप्लाई हो रही है।
पशुपालकों का दर्द: पशुओं की इलाज की व्यवस्था नहीं :जिले के पिपरिया, बड़हिया, सूर्यगढ़ा व चानन प्रखंड क्षेत्र के बहुतायत संख्या में पशुपालक हैं। पिपरिया प्रखंड के रहाटपुर ग्राम के पशुपालक प्रमोद सिंह उर्फ भुसंडी, बाल्मिकी सिंह, विनोद सिंह, युगल किशोर सिंह, रामप्रवेश सिंह, प्रमोद कुमार सहित अन्य की बातों पर गौर करें तो मोहनपुर पशु चिकित्सा केन्द्र में पशुओं की इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण पशु चिकित्सक से इलाज कराने को मजबूर हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।