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टमाटर के खेप को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

टमाटर के खेप को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीसरायFri, 28 Feb 2025 12:51 AM
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टमाटर के खेप को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

बड़हिया, एक संवाददाता। उन्नत कृषि और किसानों के समृद्धि की दिशा में काम कर रहे देहात संस्था द्वारा सब्जी उत्पादक किसानों को बेहतर सुविधा मिल रही है। ज्ञात हो कि टमाटर उत्पादन के क्षेत्र में लखीसराय जिला का प्रदेश में पहला स्थान है। जबकि जिला अंतर्गत एकमात्र बड़हिया प्रखंड में ही टमाटर का उत्पादन होता है। देहात बीज से बाजार तक नाम से संचालित संस्था द्वारा इन दिनों प्रखण्ड क्षेत्र में सब्जी उत्पादक किसानों से टमाटर की ख़रीदगी की जा रही है। जिसे वैशाली जिला के लालगंज में स्थापित हिंदुस्तान यूनीलिवर लिमिटेड को पहुंचाया जा रहा है। जहां इन टमाटरों से किसान जैम के नाम से तैयार होने वाले सॉस के रूप में तैयार किया जा रहा है। इस कड़ी में गुरुवार को ले जाये जा रहे तीन ट्रकों पर लदे 36 टन टमाटर की खेप को जिला कृषि पदाधिकारी सुबोध कुमार सुधांशु एवं अन्य ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ज्ञात हो कि उचित मूल्य और बेहतर बाजार के नहीं मिल पाने से क्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसानों को बेहतर लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में देहात संस्था किसानों के बीच डूबते को तिनके का सहारा साबित हो रहा है। देहात संस्था के सीनियर सेल्स ऑफिसर विपुल कुमार ने बताया कि बीते 10 दिनों से टमाटर की ख़रीदगी हो रही है। जो अगले एक पखवाड़े तक जारी रहेगा। ख़रीदगी के लिए 700 टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसमें अब तक 150 टन की ख़रीदगी हो चुकी है। जिस टमाटर को बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल रहा, उन्हें देहात में माध्यम से बाजार और उचित दाम मिल रहे हैं। हालांकि किसानों द्वारा उत्पादित किया जाने वाला टमाटर सलाद उपयोगी है। जबकि देहात को जैम उपयोगी की जरूरत होती है। जिसके लिए टमाटर का पूरा लाल होना जरूरी है। जिस कारण उपयुक्त उत्पादन की ही ख़रीदगी की जा रही है। किसानों में शामिल रंजीत महतो, शंभू सिंह, पवन सिंह, बिट्टू कुमार आदि ने बताया कि बाढ़ की बनी आपदा के कारण इस वर्ष सब्जी उत्पादक किसानों को बेहतर बाजार नहीं मिल सका है। जो किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस दिशा में देहात फाउंडेशन हम किसानों के बीच मरहम का काम कर रहा है। बता दें कि बड़हिया प्रखंड से टमाटर का उत्पादन प्रदेश के अन्य हिस्सों के मुकाबले करीब एक माह पहले शुरू हो जाता है। जिससे किसानों को उचित बाजार और दाम मिल जाता है। जबकि इस वर्ष बाढ़ के बने स्थति के बीच पौधे बर्बाद हो गए। दुबारा किसानों द्वारा पौधे लगाए गए। जिससे निकले फसल भी अन्य जगहों पर उत्पादित फसल के साथ ही बाजार में उपलब्ध हुए हैं। जिससे किसानों को उचित दाम और बाजार नहीं मिल सका है। देहात संस्था के विपुल कुमार ने बताया कि उनकी संस्था अन्य मार्केटिंग कंपनी के अनुरूप ऑनलाइन सुविधा के साथ उपलब्ध है। जहां एप की मदद से किसान खेती, किसानी, कीटनाशक, उर्वरक प्रयोग, फसलों में लगने वाले मौसमी बीमारी, पशु चिकित्सा आदि से जुड़े समस्याओ का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कोशिश कृषि और किसान को समृद्ध करने की है।

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