धान की फसल में कीड़ा लगने से किसान परेशान

ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्र में धान की फसल में कीड़ा लगने से किसान परेशान व चिंति हैं। धान की फसल में लगे कीड़ा की सही पहचान नहीं होने के कारण किसानों को उचित दवा भी नहीं मिल पा रहा है जिससे खेत में लगी...

Newswrap हिन्दुस्तान, कोसीMon, 14 Sep 2020 03:35 AM
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ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्र में धान की फसल में कीड़ा लगने से किसान परेशान व चिंति हैं। धान की फसल में लगे कीड़ा की सही पहचान नहीं होने के कारण किसानों को उचित दवा भी नहीं मिल पा रहा है जिससे खेत में लगी धान की फसल बर्बाद हो रहा है। धान की फसल में कीड़ा लगने के कारण उनकी पत्ते सफेद होकर जल जा रहे हैं।

इस संबंध में धान कृषक परमेश्वर, श्री गणेश आदि बताते हैं कि धान की खेत की जुताई कढ़ाई बुनाई खाद आदि देने के बाद अब जब धान का फसल लगभग तैयार हो गया है। इसमें तरह-तरह के कीड़े लगकर फसल को बर्बाद कर रहे हैं। फसल में इस तरह के कीड़े इसके पहले देखने को नहीं मिला था। यह कीड़ा धान की फसलों में लगकर फसल को पूरी तरह पुआल बना दे रहा है। इस संबंध में कृषि दवा विक्रेता सुमित जैन बताते हैं कि धान की फसल में इस तरीके की बीमारी पहली बार देखी गई है ।

इस बार धान की फसलों में लीफ फोल्डर और बीपीएच की बीमारी धान की फसल में आग की तरह फैल रही है। लीफ फोल्डर बीमारी में धान की पत्तों में कीड़े लगने के कारण पूरा धान सफेद रंग में बदल जाता है और सूख जाता है । वहीं दूसरी ओर बीपीएच की बीमारी लगने से धान की फसल जगह-जगह जलकर पुआल का रूप ले लेता है और फसल बर्बाद हो जाता है । इस बीमारी की जानकारी उन्हें कंपनी के विशेषज्ञों द्वारा दी गई । श्री जैन ने बताया कि किसानों को लिफ़ फोल्डर बीमारी के लिए इमामैक्सिंन बेनेजोएट 5%,60 ग्राम प्रति एकड़ और बीपीएच बीमारी के लिए बुप्रोफेजिन25% 200 ग्राम प्रति एकड़ का धान की फसल में छिड़काव करने से इस बीमारी को रोका जा सकता है।

धान की फसलों में आए इस बीमारी की जानकारी स्थानीय किसानों को नहीं होने के कारण यह समस्या काफी जटिल बनती जा रही है। इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी धर्मवीर प्रसाद बताते हैं कि मौसम में हुए अचानक बदलाव के कारण धान की फसल में अलग तरीके के कीड़े लगे हैं। धान की फसल में लगे कीड़े को तना छेदक कहते हैं। किसानों को धान के फसल में ऐसी बीमारी लगने के बाद बायफैनथ्रीन 5% 2 एम एल प्रति लीटर पानी के साथ धान की फसलों में छिड़काव करना चाहिए । साथ ही लंबदा साइलोथ्रीन 5% प्रति लीटर पानी के साथ धान की फसल में छिड़काव करना चाहिए।

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