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किशनगंज : छात्रावस तो बना लेकिन नहीं पहुंच रहे विद्यार्थी

ठाकुरगंज उच्च विद्यालय में बने अल्पसंख्यक छात्रावास ने अपने उद्देश्य को पूरा करने में विफलता दिखाई है। 2016 में शुरू होकर, 2024 तक केवल 25 विद्यार्थी ही इसका लाभ उठा पाए हैं। सरकार द्वारा करोड़ों की...

Newswrap हिन्दुस्तान, किशनगंजThu, 2 Jan 2025 08:04 PM
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ठाकुरगंज, एक संवाददाता। करोड़ों की लागत से ठाकुरगंज उच्च विद्यालय में बना अल्पसंख्यक छात्रावास अपने उद्देश्य को पूरा करने में पूरी तरह विफल है। वर्ष 2016 में शुरू हुए इस अल्पसंख्यक छात्रावास में 2024 तक बड़ी मुश्किल से दो से ढाई दर्जन विद्यार्थी ही इसका लाभ उठा पाए हैं।

बिहार सरकार की महत्वकांक्षी योजना के तहत निवर्तमान विधायक नौशाद आलम द्वारा वर्ष 2015 में बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड पटना से 50 बेड वाले अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण ठाकुरगंज उच्च विद्यालय में करवाने के लिए शिलान्यास करवाया गया था। जो 2017 में बन कर तैयार हुआ। पर वर्ष 2017 में इस 50 बेड वाले अल्पसंख्यक छात्रावास में 4 विद्यार्थी वर्ष 2018 में 4 विद्यार्थी वर्ष 2019 में 5 विद्यार्थी वर्ष 2020 और 2021 में

लॉकडाउन रहने की वजह से विद्यार्थी उपलब्ध नहीं हो पाए। वहीं वर्ष 2022 में 5 और लगभग यही हाल वर्ष 2023 और वर्ष 2024 का भी है। विद्यार्थी इस छात्रावास का लाभ उठा पाए। इस तीन तल्ला 50 बेड वाले अल्पसंख्यक छात्रावास में दो हाल 10 कमरा ग्राउंड फ्लोर पर कीचेन वार्डन के रहने की व्यवस्था के साथ तीनों मंजिल पर शौचालय की भी व्यवस्था कराई गई है ।

इस संबंध में वार्डन मोहम्मद मुजफ्फर आलम बताते हैं कि सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से मुस्लिम बहुल क्षेत्र में अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण इसलिए कराया गया था कि प्रखंड के दूरदराज वाले पंचायतों से छात्र यहां आकर शिक्षा पा कर राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ पाए । ठाकुरगंज उच्च विद्यालय में अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण तो कराया गया। पर आज स्थिति यह है कि इस पूरे भवन की साफ-सफाई या देखरेख के लिए सरकार द्वारा कोई भी राशि अबतक उपलब्ध नहीं कराई गई है।

वही इस संबंध में ठाकुरगंज नगर पंचायत अध्यक्ष सिकंदर पटेल ने बताया कि उच्च विद्यालय में बना यह अल्पसंख्यक छात्रावास पूरे नगर को मुंह चिढ़ा रहा है। जब इसका उपयोग विद्यालय नहीं कर पा रही है तो इसे नगर पंचायत को सौंप देना चाहिए या अन्य किसी कार्यों में करोड़ों के लागत से इस भवन का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि करोड़ों की लागत से इस भवन में देख-रेख के बिना पूरे भवन में वृक्ष उग आए हैं। जो इस भवन की आयु को कम कर रहे हैं यदि इस भवन को किसी अन्य विभाग या नगर पंचायत को सौंप जाएगा तो इस भवन का उचित देखभाल भी संभव हो पाएगा।

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