मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा से महेशखूंट को प्रखंड बनाने की जगी आस
ोज चार बॉटम:मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा से महेशखूंट को प्रखंड बनाने की जगी आसमुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा से महेशखूंट को प्रखंड बनाने की जगी आस
महेशखूंट। एक प्रतिनिधि मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा से महेशखूंट को प्रखंड बनाने की आस जगी है। जिले की हृदयस्थली महेशखूंट की ख्याति दूर-दूर तक है। यह अपने भौगोलिक स्थिति के कारण भी खास है। यहां से एनएच-31 व 107 और महेशखूंट-अगुवानी पथ की शुरुआत होती है।यहां अंग्रेज जमाने का रेलवे स्टेशन है।महेशखूंट का महेशखंूटिया पान महेशखूंट की खास पहचान है। यहा पान का बड़ा बाजार है। फिर भी उपेक्षित है। जबकि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम का मुख्य कार्यालय यहां है। विभिन्न बैंकों की शाखाएं हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण महेशखूंट को प्रखंड का दर्जा अब तक नहीं मिल सका है। जबकि महेशखूंट को प्रखंड बनाने की मांग दशकों होती रही है। दो-दो सीएम के आश्वासन बाद भी महेशखूंट को प्रखंड का दर्जा नहीं मिल सका है। पूर्व मुखिया राजेश चौरसिया व समाजसेवी अरूण केशरी ने बताया कि महेशखूंट में पर्याप्त जमीन है। केवल प्रखंड को लेकर पहल करने की आवश्यकता है। यहां थाना पूर्व से है ही। वर्ष 2008 से महेशखूंट को प्रखंड बनाने की हो रही है मांग
महेशखूंट जिला मुख्यालय से18 किलोमीटर पूरब है। वर्ष 2008 से इसे प्रखंड बनाने की मांग की जा रही है। 2008 में इसको लेकर सर्वदलीय कमेटी का गठन किया गया। वर्ष 2009 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खटहा- गौछारी पहुंचे, तो उन्हें महेशखूंट को प्रखंड बनाने का मांग पत्र सौंपा गया। उन्होंने खुले मंच से आश्वासन भी दिया था। लेकिन आज भी लोगों को इंतजार ही है।
वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री को सौपा था ज्ञापन: वर्ष 2018 में सूबे के सीएम नीतीश कुमार खटहा- गौछारी पहुंचे तो उन्हें मांग पत्र सौंपा गया, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। वही इससे पहले वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को भी महेशखूंट को प्रखंड बनाने को लेकर मांग पत्र दिया गया। जबकि महेशखूंट में आयोजित जनप्रतिनिधि सम्मान समारोह में सूबे के मंत्री श्रवण कुमार को वर्ष 2015 में आयोजित जनप्रतिनिधि सम्मान समारोह में इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया। पूर्व मुखिया राजेश चौरसिया कहते हैं कि अगर महेशखूंट को प्रखंड बना दिया जाए तो यहां के विकास को चार चांद लग जाएगा।
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महेशखूंट बस स्टैंड के जीर्णोद्धार की ओर भी लोग लगाए हैं टकटकी
बस स्टैंड की बदहाली के कारण एनएच किनारे वाहन खड़े करने के लिए मजबूर हैं चालक
अधिकारी व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से लोग हो रहे हैं परेशान
महेशखूंट। एक प्रतिनिधि
वर्ष 1985 में 3 करोड़ की लागत से बना बस स्टैंड को जीर्णोद्धार की तलाश है। महेशखूंट में मुख्यमंत्री प्रगति यात्रा से वीरान पड़े जर्जर सरकारी बस स्टैंड के जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी है। उल्लेखनीय है कि उत्तर बिहार को जोड़ने वाले एनएच- 31, एनएच-107 एवं अगुवानी-महेशखूंट रोड के केंद्र में बना महेशखूंट बस स्टैंड प्रशासन की अनदेखी से दो दशकों से बदहाल है। बस स्टैंड में गाड़ी नहीं लगती। बिजली, पानी, शौचालय तथा अन्य सुविधाओं से लैस 5 एकड़ में फैले इस बस स्टैंड बेकार पड़ा है। जिले के इस महत्वपूर्ण बस स्टैंड के बारे में न तो अधिकारी सोच रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि। अब मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा को लेकर बस स्टैंड के जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी है। असुविधा की वजह से लोग बस और अन्य गाड़ियां सड़क पर ही खड़ा करते हैं। इधर, प्रतिदिन महेशखूंट चौक से भी काफी संख्या में लोग यात्रा करते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।समाजसेवी बासुदेव बिहारी ने बताया कि इस बस स्टैंड का निर्माण 1985 में कराया गया था। तब स्टैंड परिसर में 26 स्टॉल, सुलभ शौचालय, यात्री शेड एवं पेयजल की व्यवस्था की गई थी, जो आज वीरान है। जबकि बस स्टैंड की जर्जरता के कारण यात्री वाहन चालकों ने सड़क को बस स्टैंड बनाकर रखा है। सड़क किनारे सभी वाहनों खड़े कर यात्रियों को उतारते और चढ़ाते हैं। जिसके कारण महेशखूंट चौराहे पर हमेशा जाम लगा रहता है। बताया गया कि महेशखूंट अंतरराज्यीय बसें भी चलती हैं। जिला परिषद अंतर्गत यह बस स्टैंड सरकारी उपेक्षा के कारण अस्तित्व विहीन हो गया है। बस पड़ाव के व्यवस्थित होने से वहां कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा तथा जिला परिषद को इससे अच्छी-खासी आय भी हो सकती है। रेलवे स्टेशन के निकट स्थित बस पड़ाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यहां से बंगाल, झारखंड सहित उत्तर बिहार के कई जिलों के अलावा अन्य कई बड़े शहरों के लिए यहां से कई बसें चलती हैं। उत्तर बिहार को जोड़ने वाली इस जगह पर हमेशा बसों तथा छोटे वाहनों का ठहराव होता है।
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कैप्शन: महेशखूंट: एनएच 31 किनारे स्थित बदहाल बस स्टैंड।
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