सीएम के आश्वासन के बाद भी जिले में नही बना ट्रामा सेंटर
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खगड़िया। नगर संवाददाता तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की घोषणा के नौ साल गुजर जाने के बाद भी खगड़िया में ट्रामा सेंटर खोले जाने का सपना साकार नहीं हो पाया है। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सौ शय्या सदर अस्पताल भवन के उद्घाटन के दौरान आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए अपने संबोधन में कहा था कि यहां एक ट्रामा सेंटर की स्थापना की जाएगी, लेकिन इस घोषणा पर स्वास्थ्य विभाग एवं सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकी है। खगड़िया में ट्रामा सेन्टर की सर्वाधिक जरूरत है। जिससे गंभीर दुर्घटना की स्थिति में लोगों की जान बचाई जा सके, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। इसके कारण गंभीर दुर्घटना की स्थिति में जख्मियों की जान भी जा रही हैं। क्योंकि रेफर किए जाने के कारण कई बार जख्मी लोग अस्पताल तक पहुंच भी नहीं पाते हैं। नए नियम के अनुसार जख्मी को खगड़िया सदर अस्पताल से भागलपुर अथवा पटना मेडिकल कॉलेज ही रेफर किया जाता है। ऐसे में वहां तक जाने में लगने वाले अत्यधिक समय के कारण रास्ते में ही जख्मी अपना दम तोड़ देते हैं।
क्यों जरूरत है खगड़िया में ट्रामा सेंटर : खगड़िया जिला में दो एनएच गुजरती हैं। इसमें से सर्वाधिक व्यस्त एनएच 31 एवं 107 का लगभग 80 से सौ किलोमीटर सड़क खगड़िया जिला में है। प्रतिदिन इस सड़क से सैकड़ों की संख्या में भारी वाहन, लग्जरी वाहन एवं बाइकों की आवाजाही होती हैं। ऐसे में नियमित अंतराल पर वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद लोग गंभीर रूप से जख्मी होते हैं। हालांकि एनएच 31 के किनारे खगड़िया शहर के सदर अस्पताल में इन जख्मी को भर्ती कराया जाता है, लेकिन यहां बेहतर इलाज की व्यवस्था नहीं है। यानि प्राथमिक उपचार के बाद लाइफ सपोर्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग के मानक के हिसाब से सुविधाओं का अभाव है। यानि वेंटिलेटर हैं तो इसके लिए तकनीशियनों का अभाव है। वहीं अन्य सुविधाओं के अभााव में गंभीर जख्मी मरीजों को सदर अस्पताल में पदास्थापित डॉक्टरों द्वारा प्राथमिक उपचार करने के बाद प्राथमिकता के आधार पर रेफर कर देते हैं।
ट्रामा संटर के लिए चाहिए समुचित सुविधा : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार ट्रामा संटर के लिए पर्याप्त संसाधन के अलावा मानव बल की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ट्रामा सेन्टर के लिए पर्याप्त संख्या मे डॉक्टरों की जरूरत होती है। क्योंकि इसके लिए आईसीयू की भी सुविधा काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टरों के अतिरिक्त नर्स व अन्य स्वास्थ्य कर्मी समेत वेंटिलेटर, सेक्शन मशीन, मॉनिटर, ऑक्सीजन पाइप लाइन आदि की व्यवस्था समेत अलग वार्ड की भी जरूरत है। इन सभी संसाधनों एवं मानव बल के पदास्थापन का इंतजार एवं ट्रामा सेंटर के स्थापना का इंतजार है।
कई बार मरीजों की जा चुकी हैं जान : पिछले दिसंबर माह में महेशखूंट एनएच 31 चैधा गांव के पास तीन सहित जिले में आधा दर्जन लोगों की जान सड़क हादसे में चली गई। डॉक्टरों द्वारा रेफर किए जाने के बाद सबसे कम दूरी में बेहतर हॉस्पीटल बेगूसराय में है, लेकिन दर्जनों बार देखा गया है कि गंभीर रूप से जख्मी मरीज बेगूसराय तक नहीं पहुंच पाए हैं। हालांकि बेगूसराय के निजी अस्पतालों तक मरीजों को ले जाने के लिए लोगों को निजी एंबुलेंस भी भाड़े पर करना पड़ता है। मजबूरन लोग अत्यधिक जख्मी को बेगूसराय ही ले जाते हैं। क्योंकि खगड़िया से सबसे नजदीक का इलाका है। इसके बावजूद भी कई बार जख्मी मरीज बेगूसराय तक भी नहीं पहुंच पाते हैं और उसकी मौत हो जाती है। आखिर लोगों के घर परिवार को उजड़ने से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को पहल करने की जरूरत है।
बोले अधिकारी :
अभी वे कुछ दिनों पहले ही खगड़िया में पदस्थापित हुए हैं। ट्रामा सेंटर के स्थापना को लेकर विभाग से पहल की जाएगी।
डॉ रमेन्द्र कुमार, सीएस, खगड़िया।
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