खगड़िया से अलौली तक ट्रेन चलने का सपना रह गया अधूरा
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खगड़िया। निज प्रतिनिधि खगड़िया से अलौली गढ़ तक पैसेजर टे्रन चलने का सपना 2024 में भी अधूरा रह गया। पिछले ढाई साल से अलौली तक यात्री ट्रेन चलने की आस लगी है। पर, इस साल भी पूरा नहीं हो सका है। गत साल भी सोनपुर डीआरएम ने जल्द यात्री ट्रेन चलाने की बात की थी। पर, इस साल भी पैसेंजर ट्रेन नहीं चलाई जा सकी है। वही एक पखवाड़ा पहले सांसद राजेश वर्मा ने भी संसद में जोरदार तरीके से पैसेंजर ट्रेन चलाने की मंाग की। हालांकि अलौली से मक्का का रैक खुल रहा है। पर, पैसेंजर ट्रेन चलने का इंतजार आज भी रह गया। खगड़िया से अलौली गढ़ तक 19 किलोमीटर तक यात्री ट्रेन चलाने के लिए साल 2022 में खगड़िया से अलौली गढ़ स्टेशन तक मालगाड़ी की स्पीड ट्रायल हुई थीा। तब से ही इलाके के लोगों को पैसेंजर ट्रेन के चलने की आस लगी है। हालांकि खगड़िया से अलौली गढ़ तक पैसेंजर ट्रेन चलाने में सीआरएस निरीक्षण का इंतजार है। सीआरएस निरीक्षण की भी खूब चर्चा होती रही। पर, आज तक इंतजार ही है। जिससे लोगों को ट्रेन पर चढ़ने का सपना ही है। 44 किलोमीटर लंबी खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना दिवंगत रेल मंत्री रामविलास पासवान की महत्वाकांक्षी परियोजना है। परियोजना के 25 साल से अधिक हो गए। पर, 44 किलोमीटर में महज 19 किलोमीटर तक ही काम पूरा हुआ है। कई भाग में तो काम भी नहीं शुरू हुआ है।
वर्ष 1998 में शुरू हुई थी रेल परियोजना: वर्ष 1998 में 44 किलोमीटर लंबी स्वीकृति यह रेल परियोजना तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान के गृह गांव शरहबन्नी होते हुए कुशेश्वर स्थान तक पहंुचेगी। परियोजना को 2007 में ही पूरा करने का तब लक्ष्य था। पर, परियोजना में देरी होती गई और लक्ष्य भी बढ़ते रहे। पर, परियोजना के आधे से अधिक भाग में रेलवे ट्रैक नहीं बिछ पाया है। खगड़िया से अलौली गढ़ के बीच विशनपुर रेलवे स्टेशन बना है।
खगड़िया-अलौली गढ़ तक तीन रेलवे स्टेशन बनकर है तैयार: खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना में अलौली तक तीन रेलवे स्टेशन बनकर तैयार है। यहां तक कि रेलवे ट्रैक से लेकर स्टेशन भवन पर सारी सुविधा की व्यवस्था की जा चुकी है। खगड़िया से अलौली गढ़ तक के बीच साढ़े करीब 19 किलोमीटर में तीन रेलवे स्टेशन बनकर कब से तैयार है। खगड़िया स्टेशन के बाद पहला रेलवे स्टेशन बिसनपुर गांव में बनाया गया है। जबकि दूसरा रेलवे स्टेशन कामाथान गांव में बना है। वहीं तीसरा रेलवे स्टेशन अलौली गढ़ में बना है। यहां रैक प्वाइंट भी बनाया गया है। जहां से बिते साल से ही मक्का का रैक खुल रहा है। इस साल भी करीब डेढ़ दर्जन रैक खुली है।
25 साल में महज 19 किलोमीटर पूरा हुआ काम
खगड़िया। निज प्रतिनिधि
खगड़िया से कुशेश्वर स्थान 44 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना पिछले 25 साल में महज 19 किलोमीटर तक ही पूरी हो सकी है। जी हां, नौ साल में पूरा होने वाली यह रेल परियोजना 25 साल में भी पूरी नहीं हो सकी है। जाहिर है कि साल 1998 में तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान ने 162 करोड़ की लागत से परियोजना को स्वीकृति दी थी। उस समय 2007 में परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य था। बाद में लक्ष्य बढ़ाकर 2020 तक किया गया। पर, पूरा नहीं हो सका। समय में देरी से वर्तमान में यह लागत बढ़कर 645 करोड़ से अधिक हो गई है। जैसे जैसे समय बीतता जाएगा लागत भी करोड़ों में बढ़ता जाएगा।
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