एक ही जमीन का केवाला व पर्चा देख अधिकारी रह गए दंग
परबत्ता में जनता दरबार के दौरान एक ही जमीन के दो दस्तावेज देखकर अधिकारी और कर्मचारी दंग रह गए। 1981 में सुधाकर सिंह ने भूमि का केबाला प्राप्त किया, जबकि शंकर सिंह ने 2001 में उसी जमीन का पर्चा लिया।...
परबत्ता। एक प्रतिनिधि थाना परिसर में आयोजित जनता दरबार के दौरान एक ही जमीन केबाला व पर्चा देखकर अधिकारी और कर्मचारी दंग रह गए क प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 1981 में करना मौजा में खाता-1 खेसरा- 375 रखवा एक बीघा 9 कट्ठा जमीन केबाला के माध्यम से प्राप्त किया। इसी बीच भूधारी सुधाकर सिंह द्वारा अपने ग्रामीण शंकर सिंह को सात आठ कट्ठा जमीन बटाईदारी रूप में दिया क बटाईदारी लेने के उपरांत प्रतिवर्ष अनाज बांटकर दिया करते थे क गत वर्ष से अनाज देने में बटाईदारी में आनाकानी करने लगे क गत 11 सितंबर को सुधाकर सिंह अपने बासा पर लकड़ी रखनें जा रहा था क इसी बीच बटाईदार शंकर सिंह भूधारी को लकड़ी रखने से मना कर दिया क घटना की चर्चा गाँव में आग की तरह फ़ैल गया क घटना की सूचना भूधारी द्वारा अंचल व स्थानीय थाना में किया क स्थानीय थाना ने दोनों पक्षो को नोटिस कर संबंधित कागजात के साथ जनता दरबार में आने का निर्देश दिया। शनिवार को दोनों पक्ष जनता दरबार में उपस्थित हुए तथा एक पक्ष द्वारा 1981 का केबाला तो दूसरे पक्ष अंचल कार्यालय द्वारा वर्ष 2001 में निर्गत 6 डिसमिल जमीन का पर्चा व लगान रसीद दिया। एक ही जमीन का पर्चा व केबाला देख अधिकारी व राजस्व कर्मी दंग रह गए क हालांकि जांचोंप्रांत सत्य सामने आने की प्रबल संभावना है। सीओ ने इसकी जांच करने सम्बंधित कर्मचारी को दिया। सबसे महत्वपूर्ण बातें सामने आई की शंकर सिंह को प्राप्त पर्चा में खाता नंबर 125 अंकित किया है। जबकि सुधाकर सिंह के केबाला में खसरा संख्या 1 अंकित किया गया है। जबकि दोनों का खेसरा 375 है। जानकर लोगों की माने तो खेसरा संख्या 375 में बिहार सरकार की जमीन दूर दूर तक नहीं है। फिर केबाला की जमीन पर पर्चा कैसे निर्गत हो गया?
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