भरतखंड हॅाल्ट के अस्तित्व पर खतरा उद्धारक़ का जोह रहा बाट
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परबत्ता, एक प्रतिनिधि परबत्ता प्रखंड को रेल मार्ग से जोड़ने वाली भरतखंड हॉल्ट बदहाल होकर उद्धारक़ का बाट जोह रहा है। वही विभाग इस हॉल्ट की सुदृढ़ीकरण की ओर तनिक भी ध्यान नही दे रहा है। आज भरतखंड हॉल्ट का अस्तित्व खतरे में है। इस हॉल्ट पर सड़क, बिजली, पेयजल, शौचालय आदि समुचित संसाधन का घोर अभाव है। मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना रेल विभाग के लिए प्रश्न चिन्ह बना हुआ है। कटिहार- बरौनी रेलखंड स्थित पसराहा-नारायणपुर स्टेशन के बीच स्थित भरतखंड हॉल्ट स्थापना के कई दशक बाद भी सुविधाओं का घोर अभाव है। अभी तक किसी ने इस हॉल्ट की सुध लेना उचित नहीं समझ रहे हैं। वही दूसरी ओर हॉल्ट का पहुंच पथ अस्तित्व खोने के कगार में है। स्थिति यह है कि बारिश के मौसम में हॉल्ट तक पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। स्थानीय यात्रियों की माने तो इस हॉल्ट पर बिजली, शौचालय, पेयजल, यात्री शेड आदि की समुचित व्यवस्था नही है क विभाग की उदासीनता के कारण हॉल्ट की ओर किसी की नजर नहीं है। अभावों के बीच यात्री इस हॉल्ट पर जाना-आना भी खुद के लिए असुरक्षित महसूस करते हैं।
जानकारी के अनुसार तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान के कार्यकाल में इस हॉल्ट की स्थापना हुई थी। जिसका विधिवत् उद्घाटन तत्कालीन बिहपुर विधानसभा के विधायक ब्रह्मदेव मंडल, एवं डीआरएम यूएन मांझी के द्वारा 15 जनवरी 1999 को किया गया था। विडंबना कहा जाय कि आज यह हॉल्ट जनप्रतिनिधियों की उदासीनता एवं विभागीय उपेक्षा के कारण सुविधाविहीन हो गई है। हॉल्ट तक जाने के लिए राष्ट्रीय उच्च पथ 31 और भरतखंड के 14 नंबर सड़क से समुचित पहुंच पथ का अभाव है। हॉल्ट की स्थापना होते ही विभाग को अच्छा खासा राजस्व की प्राप्ति हुआ करता था, लेकिन सुविधा नहीं रहने के कारण लोग दूसरी जगह जाकर सफर करने को विवश हैं।
दर्जनभर गांवों को रेल मार्ग से जोड़ते हैं यह रेलवे स्अेशन : भरतखंड हॉल्ट से गोगरी व परबत्ता प्रखंड के दर्जनों गांंवों को रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं। अगर गौर किया जाय तो गोगरी प्रखंड के सर्किल नंबर एक स्थित पैंकात, देवठा, बरमसिया, खरौआ, परबत्ता प्रखंड के खजरैठा,भरतखंड, पुनौर, कैरिया , तेलियाबथान, थेभाह, मथुरापुर, यदुवंशनगर भरतखंड, कोलवारा आदि गांवों के लोग जुड़े हुए हैं। बावजूद यहां यात्री के लिए सुविधाओं का नहीं होना लोगों को काफी खल रहा है।
कच्चा है प्लेटफार्म रास्ता भी दुर्गम : भरतखंड हॉल्ट का प्लेटफार्म आज भी कच्चा है। प्लेटफार्म पर पहुंचने के लिए जो रास्ता है वह जंगल में तब्दील हो चुका है। यात्री रेल पटरी पर चलकर प्लेटफार्म तक पहुंचते हैं। इस वीरान हॉल्ट पर सुरक्षा भगवान भरोसे है। रोशनी की समुचित व्यवस्था नहीं है। भरतखंड -जमालपुर 14 नंबर मुख्य सड़क से भरतखंड हॉल्ट की दुरी कम से कम 5 किलोमीटर की है। जहां कुछ जगहों पर सड़क गड्ढे में तब्दील हो चुकी है।
भारती स्टेशन से नाम तब्दील हुआ भरतखंड हॉल्ट : ग्रामीणों की माने तो जिस जगह पर भरतखंड हॉल्ट है उसी के पास अंग्रेज के समय मे भारतीय स्टेशन स्टेशन हुआ करता था। लेकिन संसाधन के अभाव में धीरे धीरे बन्द हो गया क वर्ष 1999 में भारतीय स्टेशन का परिवर्तन होकर भरतखंड हॉल्ट की स्थापना की गई। पूर्व के स्टेशन का अवशेष अभी भी स्थल पर मौजूद हैं।
बोले हॉल्ट संवेदक :
इस हॅाल्ट पर तीन अप एवं तीन डाउन सवारी गाड़ी का ठहराव हैं। जबकि प्रतिदिन राजस्व पांच से हजार के बीच में होती हैं। पहले अधिक होती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। बिहपुर रेलवे स्टेशन से नकद राशि देकर टिकट खरीद कर भरतखंड हॅाल्ट में बेचता हूं। टिकट घर में बिजली की समुचित व्यवस्था है, लेकिन अन्य सुविधाओं का घोर अभाव है। भरतखंड हॅाल्ट के लिए पहुंच पथ भी इस कदर जर्जर हो चुका है कि पैदल चलना भी मुश्किल बना हुआ है।
हिमांशु कुमार, संवेदक, भरतखंड हॅाल्ट।
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