रोजगार की तलाश में परदेश जा रहे हैं लोग
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कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि कटिहार की उपजाऊ ज़मीन और मेहनतकश लोग होने के बावजूद रोज़गार की कमी ने जिले के युवाओं को परदेस का रास्ता दिखा दिया है। हर साल हजारों युवा गांव-घर छोड़कर दिल्ली, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में रोज़ी-रोटी के लिए पलायन कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर न तो औद्योगिक विकास हो पाया और न ही कृषि, बाढ़ और कटाव की मार से उबर पाई। ऐसे में युवाओं के पास विकल्प सीमित हैं। बेरोजगारी से जूझते कटिहार के युवा मजबूरी में मजदूरी, फैक्ट्री और दिहाड़ी के काम के लिए दूर-दराज शहरों का रुख कर रहे हैं।
पलायन कर रहे युवाओं ने बताया दर्द
बरारी प्रखंड के रंजीत कुमार बताते हैं कि पढ़ाई के बाद भी नौकरी नहीं मिलती। हर साल बाढ़ में खेती चौपट हो जाती है। मजबूरी में दिल्ली जाना पड़ा। गांव में कोई काम ही नहीं है। मनिहारी, अमदाबाद और बलरामपुर प्रखंडों में हर गांव से दर्जनों युवा बाहर कमाने गए हुए हैं। गंँव के स्कूलों और कॉलेजों से निकलने वाले छात्र अपनी डिग्री लेकर सीधे स्टेशन की ओर बढ़ जाते हैं।
बेहतर प्रशिक्षण के अवसर नहीं
कटिहार के सामाजिक जानकारों का मानना है कि जब तक स्थानीय स्तर पर लघु उद्योग, स्वरोज़गार योजनाएं और बेहतर प्रशिक्षण के अवसर नहीं मिलते, तब तक यह पलायन जारी रहेगा। सरकार की कई योजनाएं फाइलों में अटकी हुई हैं, जिनका सही क्रियान्वयन होने पर युवाओं को गांव छोड़ने की नौबत नहीं आएगी। युवाओं की इस मजबूरी ने गांवों की रौनक तो छीनी ही है, साथ ही उनके सपनों और प्रतिभा को भी परदेस में गुम कर दिया है। सवाल यह है कि क्या आने वाले समय में कटिहार का युवा अपने ही गांव में अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा।
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