महर्षि संतसेवी जी महाराज ने संतमत को दी ऊंचाई: अमितानंद
शुक्रवार को जिला मुख्यालय सहित प्रखंडों के संतमत सत्संग मंदिरों में 20 शताब्दी के महान संत एवं ब्रह्मलीन संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी के परम शिष्य महर्षि संतसेवी जी महाराज की 99वीं जयंती...
शुक्रवार को जिला मुख्यालय सहित प्रखंडों के संतमत सत्संग मंदिरों में 20 शताब्दी के महान संत एवं ब्रह्मलीन संत सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी के परम शिष्य महर्षि संतसेवी जी महाराज की 99वीं जयंती धूमधाम से मनायी गई।
शहर के गामी टोला, मिरचाईबाड़ी, मनिहारी, नवाबगंज, कुरसेला एवं समेली सहित अन्य संतमत आश्रम में सुबह सात बजे उनके तैलचित्र को सुसज्जित करके बाजे गाजे के साथ प्रभातफेरी निकाली गई। इस दौरान महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा नारे लगाये जा रहे थे कि संतमत के अमोध ज्ञान दृष्टियोग व नादानुसंधान, सब सन्तन की बड़ी बलिहारी और सबका ईश्वर एक है तथा उनके पास जाने का मार्ग भी एक है। प्रभातफेरी के बाद स्तुति, विनती का कार्यक्रम किया गया। कुरसेला के व्यवस्थापक स्वामी अमितानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि संतसेवी जी ने संतमत के दुलर्भ साधना व ज्ञान को ऊंचाई प्रदान किया है। जिसके कारण न केवल देश में बल्कि विदेशों में नेपाल, जापान, स्वीडेन सहित अन्य देशों में एस मत के अनुयायी इस ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संतमत में सत्संग, ध्यान, सद्गुरु की निष्कपट सेवा के साथ पंच पापों का परित्याग बताया गया है। जो मानव को अपने जीवनकाल में ही मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। सबसे अहम बात यह है कि इस मत में हिन्दु, मुस्लिम, सिख एवं इसाई भी गुरुमहाराज के अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि संतसेवी जी ने योग महात्म्य, जग में ऐसे रहना सहित अनेक पुस्तक की रचना कर साधकों के लिए गुरुगम्य वचनों को सुगम बना दिया है। बाद में उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा की गई।
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