Hindi Newsबिहार न्यूज़जमुईThe bridge built in 1954 becomes dilapidated the speed of stopped vehicles

1954 में बना पुल हो गया जर्जर, थामी वाहनों की रफ्तार

एनएच 333 बटिया घाटी के ‘चिरेन पुल पर अब ‘दुर्घटना, ‘हादसे को आमंत्रण देता यह पुल जर्जर हो चुकी है। इस पुल पर दुर्घटनाओं की बड़ी लंबी सूची...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईFri, 30 Oct 2020 03:22 AM
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एनएच 333 बटिया घाटी के ‘चिरेन पुल पर अब ‘दुर्घटना, ‘हादसे को आमंत्रण देता यह पुल जर्जर हो चुकी है। इस पुल पर दुर्घटनाओं की बड़ी लंबी सूची है।

बिहार को झारखंड से जोड़ने वाली सबसे महत्वपूर्ण चिरैन पुल है। बटिया घाटी के बीचों बीच बनी यह पुल दुर्घटना का कारण बनती रही है।

संकरे और जर्जर पुल के कारण यहां वाहनों की रफ्तार कम हो जाती है। वहीं ढ़लान होने के कारण वाहनों को कंट्रोल करने में भी परेशानी होती है। एनएच333ए बिहार को झारखंड से जोड़ने वाली मुख्य सड़क एनएच-333 पर चिरेन पुल ब्लैक स्पॉट भी साबित होती रही है। इस पुल के निर्माण के लिए कई बार आवाज उठती रही लेकिन अब तक इसपर पहल नहीं किया गया।

1954 में बना था चिरेन पुल:

आजादी के बाद बटिया घाटी और चकाई को जमुई से जोड़ने के लिए चिरेन पुल का निर्माण कराया गया था। पुल का निर्माण कार्य 1952 में शुरू हुआ और 1954 में बनकर तैयार हो गया। 20 फीट चौड़े और लगभग सौ फीट लम्बे इस पुल ने 64 साल का सफर तय कर लिया है। यही कारण है कि पुल पुराना होने के साथ ही जर्जर हालत में पहुंच गया है।

झारखंड जाने का मुख्य मार्ग होने के कारण प्रतिदिन हजारों वाहनों का होता है आना-जाना:

यह मार्ग झारखंड के कई शहरों को जोड़ने के कारण चिरेन पुल होकर हर दिन हजारों बड़े-छोटे वाहन गुजरते हैं पर पुल की चौड़ाई कम होने के कारण दो बड़े वाहन एक साथ नहीं गुजर पाते हैं। यही कारण है कि यहां हर दिन जाम लगता है। वहीं दुर्घटनाओं की बड़ी लंबी सूची है।

नए पुल के निर्माण की हो रही मांग:

पुल जर्जर होने के बाद नए पुल निर्माण की मांग होती रही। हालांकि निर्माण के लिए विभाग को 20 करोड़ की राशि का आवंटन भी मिल चुका है लेकिन कार्य शुरू नहीं हो पाया। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी इसमें टेंडर की प्रक्रिया होनी है उसके बाद कार्य शुरू किया जाएगा। जबकि आवंटन की राशि मिले भी एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है।

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