5.75 करोड़ रुपये से बनेगा रेफरल अस्पताल का नया भवन
झाझा के रेफरल अस्पताल के 42 साल पुराने जर्जर भवन को तोड़कर 5.75 करोड़ की लागत से नया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बनेगा। बीएमएसआईसीएल ने अस्पताल प्रशासन को भवन खाली करने का अल्टीमेटम दिया है।...
झाझा । निज संवाददाता सालों की देरी से ही सही,किंतु झाझा स्थित रेफरल अस्पताल के जर्जर भवन के कायाकल्प की शुभ घड़ी अंतत: अब आ गई है। जर्जरता की वजह से गुजरे सालों से टुकड़ों में टूटते आ रहे अस्पताल का 42 साल पुराना भवन अब पूरी तरह तोड़ दिया जाएगा। और....उसके एवज में उसी स्थल पर 5.75 करोड़ रूपए की लागत से रेफरल की बजाय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का एक नया भवन तैयार होगा। नए भवन के निर्माण हेतु बिहार चिकित्सा सेवाएं आधारभूत संरचना निगम लि. (बीएमएसआईसीएल) की ओर से स्थानीय रेफरल अस्पताल प्रशासन को पुराने भवन को खाली कर देने का अल्टीमेटम मिल चूका है। अस्पताल सूत्रों के अनुसार निगम के उप महाप्रबंधक (परि.) द्वारा अपने पत्रांक 392,दि.30.11.24 के जरिए झाझा में रेफरल अस्पताल की बजाय तीस शय्या वाले सीएचसी के भवन निर्माण की योजना के मद्देनजर मौजूदा जर्जर भवन को खाली कराने का निर्देश दिया गया है। बताया जाता है कि बीते शनिवार को उक्त निर्देश प्राप्ति के बाद से अस्पताल प्रशासन भवन खाली करने की तैयारियों में जुट गया है। ध्यान रहे कि झाझा के विधायक सह पूर्व मंत्री दामोदर रावत के सतत प्रयासों के मद्देनजर राज्य स्वास्थ्य समिति (एसएचएस) ने 15वें वित्त आयोग की निधि से झाझा में 30 बेड क्षमता वाले सीएचसी के निर्माण हेतु फंड की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जा चूकी है। जानकारीनुसार,एसएचएस के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत द्वारा अपने पत्रांक 2979 दि.17.09.24 के जरिए बीएमएसआईसीएल को उक्त आशय की सूचना दिए जाने के बाद अब निगम की ओर से भी भवन निर्माण की पहल शुरू कर दी गई है। हालांकि,नाम गोपनीयता की शर्त्त पर स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन के लोग झाझा में लक्ष्मीपुर से ऊंचे दर्जे का हीं तो कम से कम उसके समतुल्य ही जी 2,जिसका भावार्थ है कि ग्राउंड फ्लोर एवं उसके उपर दो फ्लोर (यानि डबल स्टोरी बिल्डिंग) की जरूरत बताते मिले। कहा,जिला मुख्यालय के बाद जिला में सबसे अधिक इसी अस्पताल पर लोड होता है। इतना ही नहीं,रोड के अलावा रेल से दुर्घटनाग्रस्त मरीज भी इसी अस्पताल का रूख करते हैं।
इतिहास बन जाएगा 1982 में बना भवन और रेफरल अस्पताल का नाम:
पुराने भवन के जमींदोज होते ही साल 1982 में रेफरल अस्पताल के रूप में ने उस अस्पताल की इमारत और नाम दोनों ही बदल जाएंगे। बता दें कि नया भवन रेफर नहीं अपितु सीएचसी की श्रेणी को आत्मसात करता मिलेगा। हालांकि,बेडों की संख्या में कोई बदलाव नहीं होगा। नए भवन में भी उतने (30) बेड ही होंगे जितने 1982 में वजूद में आए रेफरल अस्पताल में थे।
जर्जरता की वजह से मरीजों के अलावा ड्यूटी के दौरान स्वास्थ्यकर्मी भी रहते थे चिंतित
बता दें कि उक्त भवन की अत्यधिक जर्जरता की वजह से विगत में कई बार जहां मरीजों के बाल-बाल बचने या फिर मामूली तौर पर चोटिल होने की घटनाएं अक्सर सामने आती रही हैं। वहीं,भवन की जर्जरता के मद्देनजर डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी भी मानों अप्रिय अंदेशों से घिरे रहते हुए ही अपनी ड्यूटी करते थे। सूत्र बताते हैं कि एक बार एक चिकित्सक द्वारा इस बावत विधान पार्षद अजय कु.सिंह के समक्ष चिंता जताए जाने एवं इस संबंध कुछ उपाय किए जाने के अनुरोध पर विप द्वारा जमुई के तत्कालीन डीएम को भवन की मरम्मति को पत्र लिखा गया था। बहरहाल,किन्हीं कारणों से जीर्णोद्धार का कार्य भी परवान नहीं चढ़ पाया था।
विगत में अस्पताल के विभिन्न हिस्सों के छत का गिरता रहा है मेटेरियल,बाल-बाल बचते रहे हैं लोग:
बताने की जरूरत नहीं कि झाझा स्थित रेफरल अस्पताल के भवन की बदहाली के फलाफल में आए दिन अस्पताल के विभिन्न हिस्सों की छत का मेटेरियल गिरता रहा है। अस्पताल की पोर्टिको एवं ओपीडी के आगे की छत से ले महिला वार्ड वाले कॉरीडोर तक वाली छत के क्षतिग्रस्त हिस्से बहुत स्पष्ट तौर पर भवन की जर्जरता की दास्तां बयां करते साफ नजर आते हैं। देखने वाली बात यह कि ओपीडी कक्ष के आगे जहां मरीजों का मजमा लगा रहता है उस जगह की छत तक भी क्षतिग्रस्त होने से चिंता का सबब बनी है। वैसे,गनीमत या कहें कि सुखद सुयोग यही रहा है कि छत केउन हिस्सों के भरभराकर जमीन पर गिरते वक्त या तो मरीज व कर्मी बाल-बाल बचते आए हैं या फिर मासमूली तौर पर ही चोटिल। बताया जाता है कि एक बार तो डिलेवरी के बाद अपने नवजात को गोद में लिए वार्ड वाले कॉरीडोर से जाती महिला के हाथ से सटते हुए कुछ मलबा नीचे जा गिरा था। जिसमें महिला बहुत मामूली तौर पर चोटिल हुई थी किंतु उसका शिशु सुरक्षित रह गया था।
कहा रखें सामान और.....कहां करें इलाज
अस्पताल भवन को खाली करने के फरमान से मुश्किल में पड़ा अस्पताल प्रशासन
झाझा,निज संवाददाता
अस्पताल का नया भवन बनेगा,इस खबर से अस्पताल आने वाले मरीजों के साथ-साथ यहां पदस्थापित डॉक्टर से ले स्वास्थ्यकर्मी तक इस बात को ले बड़ी राहत की सांसें लेते दिख रहे हैं कि चलो जर्जरता की वजह से भवन के किसी न किसी हिस्से के गिर पड़ने के अदेशे व चिंता से उन्हें निजात मिल जाएगी। किंतु,सीएचसी के नए भवन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने को ले मौजूदा भवन को खाली करने संबंधी बीएमएसआईसीएल के फरमान ने स्थानीय अस्पताल प्रशासन को मुश्किलों में डाल दिया दिख रहा है। बता दें कि जर्जर ही सही,किंतु आउटडोर व इंडोर मरीज एवं महिलाओं की डिलेवरी से लेकर नवजातों की देखभाल आदि रेफरल अस्पताल संबंधी तमाम गतिविधियां उसी भवन में संचालित होती आ रही हैं। ऐसे में अस्पताल प्रशासन के लिए परेशानी व चिंता का सबब यह है कि कहां रखें वे मौजूदा भवन का सारा माल असबाव और भला कहां करें आउटडोर से ले अन्य तरह के मरीजों का इलाज। कहां बनाएं इंडोर वार्ड और कहां तैयार करें महिलाओं की डिलेवरी को लेबर रूम और नवजातों की देखभाल को न्यूली बोर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) ? बताया जाता है कि रेफरल अस्पताल भवन खाली करने को ले दो दिन पूर्व बीते शनिवार को निर्देश मिलने के बाद से ही अस्पताल े एमओआईसी डॉ.अरूण कुमार तथा बीएचएम सुभाष कुमार व एचएम नवनीत कुमार समेत पूरा स्टाफ उक्त मुश्किलों का मुफीद जवाब ढूंढ़ने की मगजमारी में ही मशगुल है। जानकारीनुसार,सामान एवं सेवाओं के समायोजन के नजरिए से कुछ डॉक्टर व स्टाफ को भी अपने आवासों में कुछ कमरे खाली करके देने को कहा जा रहा है।
लेप्रोसी सोसाइटी के केंद्र से ले कुछ पुराने भवननुमा क्वार्टर भी आएंगे विध्वंस की जद में,बदल जाएगा कैंपस का हुलिया:
सूत्रों की मानें तो नए सीएचसी भवन के निर्माण को ले मौजूदा रेफरल अस्पता भवन के अलावा कष्ठ रोग उपचार के केंद्र संबंधीभवन के अलावा उक्त केंद्र के बगल एवं सामने स्थित कुछ पुराने भवननुमा क्वार्टर भी विध्वंस की जद में आ जाएंगे। साथ ही पिपराडीह की ओर वाले गेट से मुख्य गेट की ओर जाने वाली कैंपस के अंदर का पथ भी नवनिर्वाण में ही विलीन हो जाने की बात बताई जाती है। हालांकि,निर्माण संबंधी नक्शा अभी अस्पताल प्रशासन को सुलभ नहीं हुआ है। किंतु माना जा रहा है कि उक्त नव निर्माण के बाद अस्पताल कैंपस ा पूरा लुक ही बदल जाएगा। संभव है कि पिपराडीह की ओर का गेट निष्िक्रिय होने पर जेसी साव मुख्य पथ की ओर से नया प्रवेश द्वारा बने।
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